11 दिसंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा 370 हटाए जाने के फैसले को सही ठहराया. इस दौरान जजमेंट देने वाली बेंच में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस बी. आर. गवई, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस सूर्यकांत शामिल थे.
जजमेंट के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कई मुद्दों पर टिप्पणियां कीं, मसलन आर्टिकल 370 स्थायी था या अस्थायी, इसे हटाया जाना कानूनी तौर पर कितना सही था, और भी काफी कुछ. मगर एक टिप्पणी जिसने सभी का ध्यान खींचा, वो भारत के मुख्य न्यायाधीश ने की.
उन्होंने 1949 की उस औपचारिक घोषणा का जिक्र किया जिसमें कश्मीर के 'फुल एंड फाइनल सरेंडर' की बात जाहिर हो रही थी. जानिए क्या थी वो औपचारिक घोषणा.
1949 में युवराज करण सिंह ने की थी औपचारिक घोषणा
सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 370 हटाए जाने को लेकर फैसला सुनाने के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने 1949 की उस औपचारिक घोषणा की बात की जिसे महाराजा हरि सिंह के बेटे और जम्मू-कश्मीर की गद्दी के तत्कालीन वारिस युवराज करण सिंह ने स्टेट ऑफ जम्मू-कश्मीर के नाम जारी किया था. भारतीय संविधान के अपनाए जाने के ठीक एक दिन पहले यानी 25 नवंबर को जारी इस घोषणा में करण सिंह ने कहा था,
'उक्त संविधान के प्रावधान, इसके प्रारंभ की तारीख से, अन्य सभी असंगत संवैधानिक प्रावधानों को प्रतिस्थापित और निरस्त कर देंगे जो वर्तमान में इस राज्य में लागू हैं'
इसका मतलब मुख्य न्यायाधीश ने अपने जजमेंट में बताया कि यह घोषणा ने इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन के 2 क्लॉज को सिरे से खारिज कर देती है. पहला तो इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन का पैराग्राफ 7, जिसमें इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन को कभी भी भविष्य में भारतीय संविधान मानने का प्रतीक ना मानने की बात कही गई थी. दूसरा था पैराग्राफ 8, जिसमें इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन से महाराजा की सम्प्रभुता में दखल ना होने की बात कही गई थी. इसी को चीफ जस्टिस ने कश्मीर का फुल एंड फाइनल सरेंडर माना क्योंकि यह घोषणा जम्मू-कश्मीर के संप्रभु शासक की ओर से हुई थी.
सीजेआई ने इस औपचारिक घोषणा की बात तब कही जब ये चर्चा हो रही थी कि यूनियन ऑफ इंडिया में शामिल होने के बाद कश्मीर ने अपनी संप्रभुता भारत को सौंप दी थी या कायम रखी थी.
और क्या था उस घोषणा में?
युवराज करण सिंह की उस घोषणा में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट, 1935 को हटाने की भी बात कही गई थी जो इस घोषणा से पहले तक भारत और कश्मीर के रिश्तों को नियंत्रित करते थे. इस घोषणा के बाद भारत और कश्मीर के रिश्तों को भारतीय संविधान द्वारा नियंत्रित करने की बात कही गई थी.
अब 92 साल के हो चुके करण सिंह ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा,
"मुझे लगता है कि यह उस समय देश और राज्य के लिए आवश्यक था और इसलिए किसी भी अस्पष्टता से छुटकारा पाने के लिए मैंने वह उद्घोषणा जारी की"
इसी के साथ आर्टिकल 370 के मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट ने हमेशा के लिए विराम दे दिया और केंद्र सरकार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा जल्द बहाल करने का भी आदेश दिया.