भारत में लंबे वक्त से कम बजट में यात्रा और घूमने-फिरने के लिए ट्रेन सबसे बेहतर जरिया रहा है. हालांकि, पिछले कुछ सालों में देश की अर्थव्यवस्था में एक बड़ा बदलाव आया है.
इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में एक जगह से दूसरे जगह जाने के लिए फ्लाइट का किराया कई महंगी ट्रेनों की टिकट से भी कम हो गया है.
2011 से 2023 के बीच वास्तविक हवाई किराए में 25 फीसद की गिरावट आई है. इससे उन हजारों लोगों के लिए हवाई यात्रा आसान हो गई है, जिनके लिए अब तक हवाई सफर उनकी पहुंच या बजट से बाहर था.
IATA रिपोर्ट के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. पीक सीजन में, दिल्ली से मुंबई तक थर्ड एसी ट्रेन यात्रा का किराया लगभग 3,000-3,500 रुपये होता है. जबकि कई दिन इसी रूट पर फ्लाइट का किराया ट्रेन की थर्ड एसी जितना या फिर सेकेंड या फर्स्ट एसी के किराए से भी कम होता है.
इसके अलावा समय के हिसाब से देखें तो हवाई यात्रा करके दिल्ली से मुंबई जाने में 2 घंटे लगते हैं, वहीं ट्रेन से 15 घंटे तक का समय लगता है. एक बात और है कि हवाई यात्रा अब देश में हाई स्टेटस सिंबल नहीं रह गया है, बल्कि सामान्य लोग भी अब समय, धन और जरूरत के हिसाब से हवाई यात्रा करते हैं.
2 जून को जारी IATA रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में प्रति 1000 लोगों पर 111 फ्लाइट ने उड़ानें भरी. यह देश में हवाई यात्रा में बड़ी वृद्धि को दिखाता है. जिस देश में एक दशक पहले महज कुछ लोग हवाई यात्रा कर पाते थे. बाकी लोगों के लिए यह सपने जैसा था. अब उसी देश में लोग बहुत आसानी से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का लाभ उठा रहे हैं.
परिवहन को लेकर देश में हो रहा यह बदलाव काफी कम समय में हुआ है. यह भारत में एयरलाइंस के क्षेत्र में बड़े स्तर पर होने वाले विकास को दिखाता है. कम किराए, अधिक व्यापक नेटवर्क और सरकारी सहायता के जरिए इस क्षेत्र का लोकतंत्रीकरण हो रहा है.
हालांकि, देश में हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों के आंकड़ों में होने वाले इजाफे के अलावा क्या इसका और कुछ मतलब है? 2 जून को नई दिल्ली में IATA की वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय विमानन की कहानी को एक बड़े वैश्विक ढांचे में रखने की कोशिश की.
उन्होंने कहा कि भारत को अब सिर्फ एक विमानन बाजार के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इस क्षेत्र में हमें लीडर बनकर उभरना चाहिए. यात्रियों के लिए हवाई यात्रा को सुलभ बनाने के साथ ही हमें 'मेक इन इंडिया' और 'डिजाइन इन इंडिया' के जरिए विमानों के पार्ट्स और कल-पुर्जे बनाने के क्षेत्र में भी हमें आगे बढ़ने की जरूरत है.
इस समारोह में पीएम मोदी का संदेश स्पष्ट था कि भारत अपने लोगों के लिए केवल अधिक उड़ानों पर जोर नहीं दे रहा, बल्कि वह एयरलाइन इंडस्ट्री के क्षेत्र में मैन्युफैक्चरिंग को भी बढ़ाना चाहता है.
पीएम मोदी ने कहा कि भारतीय विमानन कानूनों में भी बदलाव किया जा रहा है. विमानन के क्षेत्र में भारत दुनियाभर में सबसे अच्छा कानून बनाना चाहता है. उन्होंने कहा कि इस वक्त वैश्विक विमानन कंपनियों के लिए देश में इनवेस्ट करने का शानदार मौका है.
विमानन उद्योग पहले से ही भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान देता रहा है. IATA की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय विमानन उद्योग देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 53.6 अरब डॉलर (1.5 फीसद) का योगदान देता है.
इस क्षेत्र में कुल 77 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है, जिनमें से 369,700 लोग एयरलाइन इंडस्ट्री में नौकरी करते हैं. वहीं 5 लाख लोगों की नौकरियां पर्यटन के क्षेत्र में हैं. यह भारत में नौकरी पैदा करने वाले उन कुछ सेक्टर में से एक है, जहां प्रत्येक 100 नौकरियों के लिए 600 से ज्यादा अप्रत्यक्ष नौकरियां सृजित होती हैं.
पीएम मोदी ने भारत में विमानों के MRO यानी रखरखाव और मरम्मत की व्यवस्था के लिए वैश्विक केंद्र बनाने पर भी जोर दिया है. उन्होंने कहा कि भारत इस क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ा रहा है और 2030 तक 4 अरब डॉलर के MRO हब का लक्ष्य बना रहा है.
2014 में देश में 96 MRO था, जबकि आज भारत में 154 MRO हैं. भारत सरकार द्वारा इस क्षेत्र में उठाए जाने वाले अहम कदम जैसे इस क्षेत्र में 100 फीसद FDI, माल और सेवा कर यानी GST में छूट आदि जैसे बड़े फैसलों से संभव हुआ है.
कार्गो और कनेक्टिविटी में भी देश तेजी से आगे बढ़ रहा है. भारत अब दुनिया का छठा सबसे बड़ा एयर कार्गो बाजार है. 2023 में 3.3 मिलियन टन एयर कार्गो एक जगह से दूसरे जगह भेजा गया.
हवाई जहाज द्वारा माल या सामान का परिवहन पहले इतना ज्यादा नहीं हुआ करता था, लेकिन फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स और ई-कॉमर्स जैसे उद्योगों के विकास के साथ ही यह देश और विदेश में माल-ढुलाई के लिए महत्वपूर्ण इंजन बन गया है.
भारत के साथ दूसरे देशों के व्यापार के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय संबंध भी तेजी से मजबूत हो रहे हैं. हर रोज करीब 521 अंतरराष्ट्रीय विमान दुनिया के 58 देशों के लिए उड़ान भरते हैं.
भारत के पास 103 अंतरराष्ट्रीय विमान मार्ग हैं और केवल पांच वर्षों में देश अंतरराष्ट्रीय विमानन बाजार में 10वें स्थान पर आ गया है. 2024 में 33.9 लाख अंतरराष्ट्रीय यात्रियों ने भारत से दूसरे देश के लिए उड़ान भरी.
देश के लिए विमानन क्षेत्र में यह प्रगति जितनी रोमांचक हैं, उससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण और जरूरत भी है. सिर्फ दूसरे देश नहीं बल्कि देश के भीतर भी हवाई यात्रा दूर-दराज के पूर्वोत्तर राज्यों या पहाड़ी क्षेत्रों में राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए एकमात्र भरोसेमंद कड़ी हो सकती है, जहां सड़क और रेल संपर्क बेहतर नहीं हैं.
आपात स्थिति, आपदा या तत्काल चिकित्सा व्यवस्था को एक जगह से दूसरे जगहों पर भेजने के मामले में एयरलाइन बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. भारत सरकार की ‘उड़ान योजना’ की बदौलत पिछले चार वर्षों में क्षेत्रीय हवाई संपर्क में तेजी आई है, जिसके तहत अब दरभंगा, झरसागुड़ा और रूपसी जैसे शहरों में विमान उड़ान भर रहे हैं. हालांकि, इन जगहों पर पहले हवाई सेवा अकल्पनीय लगती थी.
देश में विमान सेवा सिर्फ यातायात नहीं बल्कि इससे कहीं बढ़कर क्यों है? इस सवाल का जवाब पीएम मोदी के उस बयान में है, जिसमें उन्होंने कहा कि विमानों को लीज पर देने के क्षेत्र में वो भारत को दुनिया में सबसे आगे ले जाना चाहते हैं.
इसके लिए इस क्षेत्र की कंपनियों को सरकार टैक्स में छूट देने के साथ ही कानूनी तौर पर निश्चितता भी प्रदान कर रही है. हालांकि, कई बड़े शहरों में हवाई अड्डे के बुनियादी मजबूत ढांचे का आभाव, पायलटों की कमी जैसी कई समस्याएं विमानन सेक्टर में हैं. लेकिन, पिछले 10 सालों में काफी बदलाव हुआ है. अब भारतीय विमानन क्षेत्रों में कई सारी प्राइवेट कंपनियां इन्वेस्ट कर रही है, जो पहले नहीं होता था.