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भारत में बीते 6 साल में सबसे कम महंगाई; क्या आमलोगों को मिल रही राहत?

इस बार जून में पिछले सालों की तुलना में खाने-पीने के चीजों की महंगाई कम बढ़ी है और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के साथ ईंधन की कीमत में भी गिरावट हुई है

देश में खुदरा महंगाई दर में बड़ी गिरावट
देश में खुदरा महंगाई दर में बड़ी गिरावट
अपडेटेड 17 जुलाई , 2025

भारत सरकार की ओर से जून महीने में खुदरा महंगाई दर का आंकड़ा जारी किया गया, जो काफी राहत भरा रहा है. दरअसल, मई के 2.82 फीसदी की तुलना में जून में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) गिरकर 2.10 फीसदी पर आ गया.

प्राइस इंडेक्स में पिछले साल जून की तुलना में इस बार भारी गिरावट देखने को मिल रही है. जनवरी 2019 के बाद महंगाई दर में सबसे कम वृद्धि जून 2025 में हुई है.

यह काफी हद तक खाने-पीने के चीजों की कीमत में आई गिरावट के कारण हुआ है. दरअसल, खाद्य पदार्थों की कीमत में वृद्धि का इंडेक्स फरवरी 2019 के बाद पहली बार नेगेटिव में रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, खाने-पीने के चीजों की महंगाई दर -1.06 फीसद रही, जबकि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में खाने-पीने के चीजों की महंगाई दर क्रमशः -0.92 फीसद और -1.22 फीसद रही.

हालांकि, महंगाई दर कम होने का मतलब यह नहीं है कि आमलोगों के लिए कीमतों में कोई बड़ा अंतर हो. ऐसा इसलिए है क्योंकि साल-दर-साल के आंकड़े दर्शाते हैं कि कीमतों में वृद्धि की दर कम हो रही है, न कि कीमतें कम हो रही हैं.

जून 2024 में खुदरा मुद्रास्फीति 5.08 फीसद के उच्च स्तर पर थी, इसलिए मुद्रास्फीति में मामूली (2 फीसद) वृद्धि के बावजूद भी चीजों की कीमतें ज्यादा रहेंगी.

केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के मुताबिक, खाने-पीने की चीजों की कीमतों में इस बार कम वृद्धि हुई है, इसलिए महंगाई दर में गिरावट देखने को मिल रही है. मंत्रालय के मुताबिक, सब्जियों, दालों, मांस और मछली, अनाज, चीनी, मिठाइयों, दूध और मसालों की महंगाई दर में गिरावट हुई है.  

ईंधन की बात करें तो इसकी महंगाई दर घटकर 2.6 फीसद रह गई, जिसकी वजह बिजली और लकड़ी-चिप्स की कीमतों में वृद्धि पहले की तुलना में कम हुई है. जबकि पेट्रोलियम गैस की मुद्रास्फीति मामूली रूप से बढ़ी है.

पिछले चार महीनों में वैश्विक कमोडिटी कीमतों में गिरावट देखी गई है. उर्वरक और कीमती धातुओं को छोड़कर, सभी प्रमुख सामानों की कीमत में सिर्फ मामूली वृद्धि देखी गई है.

खाने-पीने के सामानों और ईंधन को छोड़ दें तो बाकी चीजों की मुद्रास्फीति 4.2 फीसद से बढ़कर 4.4 फीसद हो गई है.

हालांकि, जून में 'आयातित सामानों की मुद्रास्फीति' बढ़ी है. इस तरह आयातित सामानों में लगातार 13वें महीने में वृद्धि हुई है. भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के रिसर्च मुताबिक, "सोने और चांदी की कीमतों में बढ़ोतरी ने आयातित मुद्रास्फीति को बढ़ाने में सबसे ज्यादा योगदान दिया है. कुल CPI मुद्रास्फीति में आयातित मुद्रास्फीति की कुल हिस्सेदारी जून 2025 में 71 फीसद होगी, जो मई में 50 फीसद थी."

रिपोर्ट में कहा गया है, "आगामी जुलाई 2025 तक CPI मुद्रास्फीति डेटा यानी महंगाई दर डेटा अब तक के सबसे निचले और ऐतिहासिक स्तर पर कम हो सकता है."

फाइनेंशियल सर्विसेज देने वाली कंपनी क्रिसिल ने इस वित्त वर्ष में महंगाई दर में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में कम वृद्धि का अनुमान लगाया है. क्रिसिल की तरफ से कहा गया है, "मुद्रास्फीति के अनुमान और कृषि तथा वैश्विक तेल एवं कमोडिटी कीमतों के अनुमान के आधार पर इस वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति औसतन 4 फीसद रहेगी, जो पिछले वित्त वर्ष में 4.6 रही थी."

क्रिसिल के मुताबिक, कम मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को इस वित्त वर्ष में एक और ब्याज दर में कटौती के लिए पर्याप्त गुंजाइश देती है, जो अब तक की गई 100 आधार अंकों की कटौती के अलावा है.

कृषि मंत्रालय के तीसरे अग्रिम अनुमानों में रिकॉर्ड गेहूं के साथ रबी की अच्छी फसल का संकेत मिलने के बावजूद भारतीय मौसम विभाग ने सामान्य से बेहतर मानसून का अनुमान लगाया है. क्रिसिल ने कहा है, "इस बार अच्छी बारिश हो रही है. 13 जुलाई तक दक्षिण-पश्चिम में औसतन 110 फीसद बारिश हुई. इसी कारण खरीफ की बुआई अच्छी रही है."

क्रिसिल के मुताबिक बेहतर कृषि उत्पादन से इस वित्त वर्ष में खाने-पीने के चीजों की कीमतों पर नियंत्रण रहने की उम्मीद है, बशर्ते आने वाले समय में भी अच्छी बारिश हो. क्रिसिल ने कहा कि अगर भू-राजनीतिक यानी जियोपॉलिटिकल परिस्थितियां नहीं बदलती है, तो कच्चे तेल की कीमतें 60-65 डॉलर प्रति बैरल होने की संभावना है, जिससे खाने-पीने के चीजों के अलावा दूसरे सामानों की कीमतों को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी.

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