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1971 के युद्ध के बाद कल होगा भारत का पहला मॉक ड्रिल; इसमें क्या होगा और यह क्यों अहम है?

5 मई को गृह मंत्रालय ने राज्यों को निर्देश जारी किया कि वे पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच 7 मई को मॉक ड्रिल करें

CRPF की मॉक ड्रिल (फाइल फोटो)
CRPF की मॉक ड्रिल (फाइल फोटो)
अपडेटेड 6 मई , 2025

मई की 7 तारीख को देश के अलग-अलग हिस्सों में हवाई हमलों के सायरन की गूंज सुनाई देगी. ऐसा इसलिए क्योंकि नागरिक मॉक ड्रिल (नकली अभ्यास) में भाग लेंगे, जिसका उद्देश्य युद्ध की स्थिति में आत्मरक्षा के लिए उन्हें तैयार करना है.

1971 के बाद से अपनी तरह का यह पहला अभ्यास है, जिसका आदेश केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच दिया है. इस हमले में 26 लोग मारे गए थे.

5 मई को गृह मंत्रालय (एमएचए) ने राज्यों को निर्देश जारी किया कि वे पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच 7 मई को मॉक ड्रिल करें. अभ्यास के दौरान हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन बजाए जाएंगे और नागरिकों और छात्रों को शत्रुतापूर्ण हमले की स्थिति में खुद को बचाने के लिए नागरिक सुरक्षा की ट्रेनिंग दी जाएगी.

अन्य उपायों में 'क्रैश ब्लैकआउट' की व्यवस्था, अहम संयंत्रों और प्रतिष्ठानों को समय से पहले छिपाने और 'इवैकुएशन प्लान' यानी निकासी योजनाओं को अपडेट करने और उनका पूर्वाभ्यास शामिल है. क्रैश ब्लैकआउट एक आपातकालीन उपाय है, जिसमें युद्ध या हवाई हमले की स्थिति में दुश्मन के हवाई हमलों से बचने के लिए तुरंत सभी बाहरी प्रकाश स्रोतों, जैसे स्ट्रीट लाइट, भवनों की रोशनी और अन्य दृश्यमान रोशनी को बंद या कम कर दिया जाता है.

इस तरह का आखिरी अभ्यास 1971 में किया गया था, जिस साल दोनों देशों के बीच युद्ध हुआ था.

कहां होगी मॉक ड्रिल?

7 मई को ये मॉक ड्रिल दिल्ली, आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, चंडीगढ़, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, गोवा सहित 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 250 से अधिक जगहों पर आयोजित की जाएगी. 

मॉक ड्रिल क्यों?

इसके प्राथमिक उद्देश्य कुछ इस प्रकार हैं:

● हवाई हमले की चेतावनी प्रणालियों की प्रभावशीलता का आकलन करना.

● भारतीय वायु सेना के साथ हॉटलाइन/रेडियो संचार लिंक का संचालन.

● कंट्रोल रूम और शैडो कंट्रोल रूम की फंक्शनैलिटी का परीक्षण करना.

● शत्रुतापूर्ण हमले की स्थिति में स्वयं की रक्षा के लिए नागरिक सुरक्षा पहलुओं पर नागरिकों, छात्रों आदि को प्रशिक्षण देना.

● दुर्घटना की स्थिति में ब्लैक आउट उपायों का प्रावधान.

● महत्वपूर्ण संयंत्रों/इंस्टॉलेशन को शीघ्र छिपाने का प्रावधान.

● वार्डन सेवाओं, अग्निशमन, बचाव कार्यों और डिपो प्रबंधन सहित नागरिक सुरक्षा सेवाओं की सक्रियता और प्रतिक्रिया को सत्यापित करना.

● क्रैश ब्लैकआउट उपायों के कार्यान्वयन का आकलन करना.

● निकासी योजनाओं की तैयारी और उनके क्रियान्वयन का मूल्यांकन करना.

मॉक ड्रिल के दौरान क्या होगा?

● हवाई हमले की चेतावनी सायरन का संचालन.

● भारतीय वायु सेना के साथ हॉटलाइन/रेडियो संचार लिंक का संचालन.

● कंट्रोल रूम और शैडो कंट्रोल रूम का एक्टिवेशन और संचालन.

● शत्रुतापूर्ण हमले की स्थिति में स्वयं की रक्षा के लिए नागरिक सुरक्षा पहलुओं पर नागरिकों, छात्रों आदि को प्रशिक्षण देना.

● नागरिक सुरक्षा सेवाओं, खासकर वार्डन सेवाओं, अग्निशमन, बचाव सेवा, डिपो आदि को सक्रिय करना.

● दुर्घटना ब्लैक आउट उपायों का प्रावधान.

● अहम संयंत्रों/प्रतिष्ठानों को शीघ्र छिपाने का प्रावधान.

● सी.डी. योजना का अपडेशन और उसका पूर्वाभ्यास: निकासी योजना का अपडेशन और उसका पूर्वाभ्यास और बंकरों, खाइयों आदि की सफाई.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कसम खाई है कि वे आतंकियों और साजिश में शामिल लोगों का "धरती के छोर तक" पीछा करेंगे और उन्हें "उनकी कल्पना से परे" सजा देंगे. बार बार दी गई चेतावनियों का पाकिस्तान की ओर से भी उतना ही कड़ा जवाब मिला, जिसने "तेज और तीखे जवाब" देने की चेतावनी दी.

पीएम मोदी शीर्ष रक्षा अधिकारियों सहित कई उच्चस्तरीय बैठकों की सीरीज आयोजित कर रहे हैं, क्योंकि भारत 22 अप्रैल के आतंकवादी हमले के जवाब में अपने विकल्पों पर विचार कर रहा है.

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