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क्या बिहार से होकर देश में आ रहा बैन चीनी लहसुन; क्यों है ये खतरनाक और कैसे करें इसकी पहचान?

पूर्णिया में 4 टन चीनी लहसुन पकड़े जाने के 3 महीने बाद अब एक बार फिर बिहार विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया गया है

देशी की तुलना में चीनी लहसुन के दाने बड़े होते हैं
देशी की तुलना में चीनी लहसुन के दाने बड़े होते हैं
अपडेटेड 28 मार्च , 2025

मार्च की 24 तारीख को बिहार विधान परिषद में बजट सत्र पर चर्चा हो रही थी. इसी दौरान सदन के सदस्य महेश्वर सिंह ने बिहार के रास्ते देश में चल रही चीनी लहसुन की तस्करी का मुद्दा उठाया.

महेश्वर सिंह ने विधान परिषद के सामने कहा, “पटना, पूर्वी चंपारण, मोतिहारी, मधुबनी समेत राज्य के कई जिलों में चाइनीज लहसुन की तस्करी हो रही है. इससे देश की इकोनॉमी के साथ ही लोगों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है.”

इस मामले पर सफाई देते हुए उप मुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा, “छापेमारी करके नकली सामग्री और चाइनीज लहसुन बेचने वालों पर कार्रवाई होगी.” हालांकि यह पहला मौका नहीं है, जब बिहार में चाइनीज लहसुन के मुद्दे ने इस तरह से तूल पकड़ा हो.

3 महीने पहले ही दिसंबर 2024 में पूर्णिया में 1 करोड़ के चीनी लहसुन को जब्त किया गया था. लेकिन, क्या आपको पता है कि चीनी लहसुन को खतरनाक क्यों कहा जाता है, भारत में इसपर बैन लगाने की वजह क्या है और इसकी पहचान कैसे कर सकते हैं?

भारत में बैन किए जाने वाला चाइनीज लहसुन क्या है?

चीन में बड़े पैमाने पर पैदावार होने की वजह से इस लहसुन को चीनी लहसुन कहा जाता है. इस लहसुन की चीन में बड़े पैमाने पर पैदावार होती है. चीन इसे अपने यहां से दुनिया के दूसरे देशों में भेजता है.

इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल भी चीन देश में ही होता है. बड़े दाने होने की वजह से इस लहसुन का इस्तेमाल एशियाई देशों के खाने में होता है, जैसे नूडल्स और सूप. चाइनीज लहसुन चमकदार और साइज में बड़ा-मोटा होता है.

जिनोवा शैल्बी अस्पताल में आहार विशेषज्ञ जिनल पटेल के मुताबिक चाइनीज लहसुन को एलियम सैटिवम के नाम से भी जाना जाता है. चीनी और भारतीय लहसुन के बीच अंतर ये है कि भारतीय लहसुन की गंध तेज और तीखी होती है, जबकि चीनी लहसुन की सुगंध हल्की होती है. भारत में आ रहे चाइनीज लहसुन को पहचानने के 5 तरीके हैं-

1. चाइनीज लहसुन की सबसे बड़ी पहचान उसका रंग है. इसका छिलका सफेद के साथ हल्का गुलाबी रंग का होता है, जबकि देसी लहसुन पूरा सफेद होता है.
2. इस लहसून में जड़े नहीं होती हैं, जबकि देसी लहसुन में नीचे जड़े देखी जा सकती हैं.
3. चाइनीज लहसुन की कली बड़ी-बड़ी होती है, जबकि देसी लहसुन की कली छोटी होती हैं.
4. चाइनीज लहसुन में कोई गंध नहीं होती है. वहीं, देसी लहसुन में झार जैसी तीखी महक और स्वाद होता है.
5 चाइनीज लहसुन का छिलका पतला होता है, जबकि देसी लहसुन का छिलका थोड़ा मोटा होता है.  

चीनी लहसुन के इस्तेमाल से क्या खतरा है?

आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि लहसुन ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और फ्लू और सर्दी को ठीक करने में मदद करता है. लहसुन में विटामिन C और B 6 के अलावा मैगनीज, सेलेनियम जैसे तत्व भी पाए जाते हैं.

यह एक प्रकार का एंटीऑक्सिडेंट होता है, जो शरीर को कई गंभीर बीमारियों से बचाता है. हालांकि, चाइनीज लहसुन के इस्तेमाल से फायदा नहीं बल्कि कई गुना ज्यादा नुकसान है.

जाधवपुर यूनिवर्सिटी ने अपने रिसर्च में पाया कि फंगस इंफेक्शन से बचाने के लिए चीनी लहसुन में मिथाइल ब्रोमाइड का इस्तेमाल होता है. मिथाइल ब्रोमाइड एक बहुत ही जहरीली गंधहीन, रंगहीन गैस है, जिसका इस्तेमाल कृषि और शिपिंग में कवक, खरपतवार, कीड़े और कई अन्य प्रकार के कीटों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है.

अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी USEPA के मुताबिक, अगर खाने के किसी चीज में मिथाइल ब्रोमाइड का इस्तेमाल होता है तो इससे दिमाग, रीढ़ की हड्डी और तंत्रिकाओं से बना शरीर का नर्वस सिस्टम फेल हो सकता है. इससे फेफड़े, आंख और त्वचा को नुकसान हो सकता है. इतना ही नहीं, इसके ज्यादा इस्तेमाल से कोमा में जाने का भी खतरा होता है.

वहीं, आहार विशेषज्ञ जिनल पटेल का भी मानना है कि भारतीय लहसुन की फसल में कम से कम केमिकल को यूज किया जाता है, इसलिए इसका इस्तेमाल सुरक्षित है. जबकि चीनी लहसुन में काफी ज्यादा केमिकल और कीटनाशकों का इस्तेमाल होता है.

यही वजह है कि चीनी लहसुन इंसान के स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है. चीनी लहसुन में सिंथेटिक पदार्थ भी पाए गए हैं, जो खतरनाक हो सकते हैं. साल 2014 में चीनी लहसुन से फंगस इंफेक्शन की रिपोर्ट्स सामने आने के बाद भारत सरकार ने देश में इसके आने पर बैन लगा दिया. इसके इस्तेमाल से पेट-आंत में सूजन की समस्या के साथ ही कैंसर होने की भी संभावना जाहिर की गई है.

चाइनीज लहसुन पर बैन लगाए जाने की क्या वजह है?

ज्यादा कीटनाशक ही नहीं, बल्कि इन वजहों से भी चीन लहसुन पर लगा था बैन

1. चाइनीज लहसुन की गुणवत्ता भारत के मानक पर खरी नहीं है. जब कोई सामान जो किसी देश में बाहर के देश से आता है, उसकी क्वालिटी की जांच की जाती है. ऐसे में, चाइनीज लहसुन बार-बार भारत में खान-पान के मानकों को जांचने वाली संस्थाओं के टेस्ट में फेल होता रहा है. इसकी बड़ी वजह इसमें ज्यादा केमिकल्स और सिंथेटिक पदार्थों का मिलना है.

2. चाइनीज लहसुन देसी लहसुन की तुलना में व्यापारियों को कम रेट में मिल जाते हैं. इससे देश के किसानों को घाटा होता है. 2014 में देश में लहसुन की खेती करने वाले किसानों को हो रहा घाटा चाइनीज लहसुन बैन करने के पीछे बड़ी वजह थी. चमकदार और बड़े दाने होने की वजह से लोग चाइनीज लहसुन को ज्यादा खरीदते हैं. यह देश के किसानों के घाटा की मुख्य वजह है.

चीन में पैदा होता है दुनिया का 73 फीसदी लहसुन?

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन के मुताबिक 2016 से 2022 तक के आंकड़ों को देखें तो चीन लहसुन उत्पादन वाले देशों की लिस्ट में चीन पहले और भारत दूसरे स्थान पर है. दुनिया के कुल लहसुन की पैदावार का 73 फीसदी हिस्सा अकेले चीन से आता है.

चीन, भारत के अलावा बांग्लादेश, मिस्र और स्पेन दुनिया के टॉप 5 लहसुन उत्पादन करने वाले देशों में शामिल है. अमेरिका 9वें, रूस 15वें और पाकिस्तान 17वें स्थान पर आता है. भारत में होने वाले लहसुन के कुल उत्पादन का 50 फीसदी हिस्सा तो अकेले दो राज्यों गुजरात और मध्य प्रदेश से आता है.

इसके अलावा, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में भी लहसुन की पैदावार होती है. हालांकि, अब भी भारत में लहसुन की जितनी मांग है, उससे काफी कम पैदावार हो रही है.

क्या दूसरे देशों में चीनी लहसुन पर बैन लगाने की मांग हुई है?

भारत के अलावा अमेरिका में भी चीनी लहसुन पर बैन लगाने की मांग उठ चुकी है. दरअसल, 2023 में अमेरिका में रिपब्लिकन सीनेटर रिक स्कॉट ने कॉमर्स सेक्रेटरी को पत्र लिखकर चाइनीज लहसुन के आयात पर बैन लगाने की मांग की थी.

इसकी पैदावार में इंसानी सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले तरीकों का इस्तेमाल था, जिसे बड़ी वजह बताया गया. अमेरिका ने चीन पर चाइनीज लहसुन को अपने यहां डंप करने का आरोप भी लगाया था. रिक स्कॉट ने भी अपने पत्र में कहा था कि यह अमेरिकी नागरिकों की सेहत के लिए बड़ा संकट है. 

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