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इग्नू : देश की सबसे बड़ी ओपन यूनिवर्सिटी में दो साल से कुलपति ही नहीं!

जुलाई, 2018 में इग्नू के कुलपति बनाए गए नागेश्वर राव का कार्यकाल 2023 के बीच खत्म हो गया था, लेकिन उसके बाद संस्थान में कुलपति की नियुक्ति नहीं हो पाई

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इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू), दिल्ली
अपडेटेड 30 मई , 2025

देश भर के उच्च शिक्षा के जो प्रमुख संस्थान अपने मुखिया का इंतजार कर रहे हैं, उनमें इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) भी शामिल है. दरअसल, इग्नू में नए कुलपति की नियुक्ति की कहानी दूसरे संस्थानों के मुकाबले ज्यादा जटिल है. इसी नतीजा है कि भारत की सबसे बड़ी ओपन यूनिवर्सिटी की पहचान रखने वाले इग्नू में पिछले तकरीबन दो वर्षों से कोई पूर्णकालिक कुलपति नहीं है. 

जुलाई, 2018 में इग्नू के कुलपति बनाए गए नागेश्वर राव का कार्यकाल 2023 के मध्य में ही पूरा हो गया था. उनका कार्यकाल जब पूरा होने वाला था, उस समय भी नए कुलपति की नियुक्ति को लेकर बातचीत चल रही थी. लेकिन केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय नए कुलपति की नियुक्ति नहीं कर पाया.

ऐसी परिस्थिति में नागेश्वर राव को ही एक साल का कार्यकाल विस्तार दिया गया. इस कार्यकाल विस्तार देने के पीछे यही सोच थी कि इस अवधि में इग्नू के नए कुलपति की तलाश पूरी हो जाएगी. लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस कार्यकाल विस्तार के बावजूद भी किसी नए कुलपति की नियुक्ति नहीं हो पाई. 

जब नागेश्वर राव का एक साल का कार्यकाल विस्तार भी पूरा हो गया तब जुलाई, 2024 में उमा कांजिलाल को कार्यकारी कुलपति बनाया गया. अंतरिम कुलपति की जिम्मेदारी मिलने से पहले उमा कांजिलाल इग्नू की प्रो-वाइस चांसलर की जिम्मेदारी संभाल रही थीं. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र समेत देश की कई अन्य प्रमुख संस्थाओं में काम करने का अनुभव उनके पास है. 

इग्नु के नए कुलपति की नियुक्ति के लिए 20 जून, 2024 को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने विज्ञापन निकाला था. आवेदन की आखिरी तारीख 19 जुलाई, 2024 तय की गई थी. नए कुलपति के चयन के लिए सर्च कम सेलेक्शन ​कमेटी का गठन भी हुआ. इसका अध्यक्ष डीआरडीओ के पूर्व अध्यक्ष सतीश रेड्डी को बनाया गया. समिति के सदस्य के तौर पर भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद के निदेशक भरत भास्कर और दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति केएन सिंह को शामिल किया गया. इनके अलावा समिति में इग्नू के प्रबंधन बोर्ड के दो प्रति​निधि शामिल किए गए.

उमा कांजिलाल की नियुक्ति के बाद भी तकरीबन 11 महीने का वक्त निकल गया है लेकिन संस्थान को नया फुल टाइम कुलपति नहीं मिल पाया है. इस देरी के बारे में इग्नू के ही एक प्रोफेसर बताते हैं, ''सर्च कमेटी पिछले साल ही बन गई थी. कुल 28 नाम शॉर्ट लिस्ट किए गए थे. इस सूची में उमा कांजिलाल का नाम भी शामिल है. 19 और 20 अक्टूबर, 2024 को सभी कैंडिडेट के साथ सर्च कमेटी का इंटेरैक्शन भी हुआ. नियम ये है कि उसी दिन चुने गए नामों का पैनल सर्च कमेटी देती है. लेकिन इसके सदस्यों के बीच सहमति नहीं बन पाने की वजह से नाम नहीं दिए गए और नए कुलपति की नियुक्ति का मामला लगातार टलता जा रहा है. सर्च कमेटी के अलग-अलग सदस्य और इस प्रक्रिया को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से प्रभावित करने वाले लोग अलग-अलग उम्मीदवारों की पैरवी कर रहे हैं. इस वजह से इग्नू के लिए अपने नए पूर्णकालिक कुलपति का इंतजार और लंबा होता जा रहा है.''

इग्नू के ही एक और एसोसिएट प्रोफेसर बताते हैं कि नए कुलपति की नियुक्ति में शुरू से ही यह बात कही जा रही थी कि प्राथमिकता वैसे उम्मीदवारों को दी जाएगी जिनका पहले भी डिस्टेंस एजुकेशन में अनुभव रहा हो लेकिन जैसे-जैसे चयन प्रक्रिया आगे बढ़ी इस बात को दरकिनार किया गया. उन्होंने ये भी बताया कि प्रक्रिया शुरू होने के बाद सर्च कमेटी ने अपने एकतरफा निर्णय में यह तय कर दिया कि वह सिर्फ उन्हीं नामों पर विचार करेंगे जिनकी उम्र 64 वर्ष से कम होगी और इस वजह से कई अच्छे नाम सूची से बाहर हो गए. 

अलग-अलग उम्मीदवारों की दावेदारी को लेकर अलग-अलग महत्वपूर्ण लोगों द्वारा की जा रही पैरवी के बीच इग्नू के नए कुलपति के लिए यहां के छात्रों, शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों का इंतजार लंबा होता जा रहा है और नीतिगत स्तर पर संस्थान का काम प्रभावित हो रहा है.

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