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ट्रंप टैरिफ से भारत के अरबों डॉलर वाले दवा कारोबार पर क्या असर पड़ेगा?

अमेरिका में उपयोग होने वाली सभी जेनेरिक दवाओं का लगभग आधा हिस्सा भारत में बना होता है

Sun Pharma's specialty portfolio might also encounter challenges in passing on increased costs due to pre-existing elevated price points.
भारत अपने सबसे ज्यादा फार्मा उत्पाद अमेरिका को निर्यात करता है
अपडेटेड 4 अगस्त , 2025

लंबे समय से ऊंची कीमत वाले अमेरिकी बाज़ार ने भारतीय जेनेरिक दवा उद्योग के विकास को शानदार गति दी है. यहां भारत की सिप्ला, सन फार्मा और डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज जैसी कई कंपनियों ने सैकड़ों पेटेंट-रहित दवाओं को चुनौती देकर वहां अपना कारोबार स्थापित किया. 

वित्त वर्ष 2024 में भारत ने अमेरिका को 8.7 अरब डॉलर (76,113 करोड़ रुपये) मूल्य के फार्मा उत्पादों का निर्यात किया. यह अमेरिका को भारत के कुल निर्यात का 11 प्रतिशत से अधिक है. 

इसी अवधि में भारत ने अमेरिका को 77.5 अरब डॉलर (6.8 लाख करोड़ रुपये) मूल्य की वस्तुओं का निर्यात किया और अमेरिका से 42.2 अरब डॉलर (3.7 लाख करोड़ रुपये) मूल्य की वस्तुओं का आयात किया. इसका नतीजा यह रहा कि ट्रेड सरप्लस या व्यापार अधिशेष भारत के पक्ष में 35.3 अरब डॉलर (3 लाख करोड़ रुपये) का रहा. 

भारत अपने सबसे ज्यादा फार्मा उत्पाद अमेरिका को निर्यात करता है जो देश के कुल दवा निर्यात का 31 प्रतिशत से अधिक है. अमेरिका में उपयोग होने वाली सभी जेनेरिक दवाओं का लगभग 47 प्रतिशत भारत से आयात किया जाता है.

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने 1 अगस्त से 25 प्रतिशत रेसिप्रोकल या पारस्परिक शुल्क (जो वर्तमान में 0 से 6.7 प्रतिशत है) लगाने की धमकी ने भारतीय दवा उद्योग को मुश्किल में डाल दिया है. ट्रंप के शुल्क लगाने के बयान और 17 शीर्ष अमेरिकी दवा कंपनियों को अन्य देशों की तरह कीमतें घटाने के लिए लिखे गए पत्रों के बाद, सन फार्मा सहित भारतीय दवा कंपनियों के शेयर 1 अगस्त को एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) पर लगभग 6 प्रतिशत गिर गए. कुछ लोगों को डर है कि ट्रंप सन फार्मा को भी ऐसा ही एक पत्र भेज सकते हैं, जो अपने कुल राजस्व का 20 प्रतिशत अमेरिकी बाजार से कमाती है. 

भारतीय दवा उद्योग यह उम्मीद कर रहा था कि जेनरिक दवाओं पर ट्रंप टैरिफ नहीं बढ़ाएंगे क्योंकि ये जीवनरक्षक होती हैं. हालांकि ट्रंप ने इस साल के शुरू में किसी देश का उल्लेख किए बगैर यह संकेत भी दिया था कि 2 अप्रैल के बाद से फार्मा उत्पादों पर 25 प्रतिशत टैक्स लगाया जाएगा. बाद में उन्होंने देशों को 90 दिनों की राहत देते हुए टैरिफ लगाने की नई तारीख 1 अगस्त तय की थी.

अमेरिका से भारत करीब 80 करोड़ डॉलर दवा उत्पादों का आयात करता है और उन पर 10 प्रतिशत का शुल्क लगाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर दवा उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल यानी एक्टिव फार्मा इनग्रीडिएंट्स (एपीआई) पर ज़्यादा शुल्क लगा दिया जाए तब भी भारत प्रतिस्पर्धी बना रह सकता है, बशर्ते एपीआई आपूर्ति करने वाले अन्य देशों पर शुल्क भारत से ज़्यादा हो.

इसके अलावा, उद्योग सूत्रों का कहना है कि अमेरिका अभी भी भारत जैसे देशों पर निर्भर रहेगा क्योंकि अमेरिका में कुछ दवाओं की निर्माण लागत भारत में उन्हें बनाने की तुलना में कम से कम छह गुना ज़्यादा होगी.

फार्मेक्सिल (फार्मास्यूटिकल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया) के अध्यक्ष नमित जोशी के अनुसार, एपीआई और कम लागत वाली जेनेरिक दवाओं के लिए भारत पर बहुत अधिक निर्भर अमेरिकी बाजार को विकल्प खोजने में कठिनाई होगी. मीडिया रिपोर्टों में उनके हवाले से कहा गया है, "दवा निर्माण और एपीआई उत्पादन को दूसरे देशों या अमेरिका में ही लगाने और मतलब भर की उत्पादन क्षमता स्थापित करने में कम से कम 3-5 साल लगेंगे."

इंडियन ड्रग्स मैन्युफैक्टरर्स के महासचिव दारा पटेल ने अप्रैल में इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, "इसमें घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है. अमेरिका ने अभी तक टैरिफ नहीं बढ़ाए हैं, इसलिए उद्योग को अभी धैर्य रखना चाहिए. अमेरिका को इतनी कम कीमतों पर, बड़ी मात्रा में और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद और कौन दे सकता है?" साथ ही उनका यह भी कहना था, “अगर टैरिफ 10 फीसदी तक भी बढ़ जाता है, तो उद्योग को इसे झेलने या अमेरिकी उपभोक्ताओं पर डालने में सक्षम होना चाहिए. उन्हें इसके लिए भुगतान करने में कोई आपत्ति नहीं होगी क्योंकि वहां दवा-इलाज का खर्च बीमा की रकम पर चलता है.” 

फिर भी अगर अमेरिका टैरिफ बढ़ाने का फैसला करता है तो क्या होगा? पटेल ने कहा था, “अगर अमेरिका 15 प्रतिशत से अधिक टैरिफ बढ़ाता है तो भारत को पूर्वी अफ्रीका और मध्य पूर्व के नए बाजारों पर ध्यान देना होगा.  ये बाजार न तो अधिक कीमत वाले और न ही अधिक मात्रा वाले हैं. लेकिन अकेले अनिश्चित रुख वाले अमेरिकी बाजार से डील करने की तुलना में यह बेहतर विकल्प होगा.”

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