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इमरजेंसी की यादों से युवाओं को जोड़ने में कितना सफल हो पाएगी बीजेपी?

बीजेपी की केंद्र सरकार और खुद बीजेपी संगठन 50 साल पुराने आपातकाल की याद दिलाते रहने के लिए कई स्तर पर अभियान चला रहे हैं

25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के मौके पर नई दिल्ली में अमित शाह
25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के मौके पर नई दिल्ली में अमित शाह
अपडेटेड 26 जून , 2025

25 जून, 1975 को उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश भर में आपातकाल की घोषणा की थी. इस 25 जून को इसके 50 साल पूरे हुए. उस समय की कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल की याद देश के लोगों में बनी रहे, इसके लिए मौजूदा केंद्र सरकार, बीजेपी शासित राज्यों की सरकारें और पार्टी संगठन कई स्तर पर कार्यक्रम चला रहे हैं.

असल में, इसकी तैयारी पिछले साल ही शुरू हो गई थी. 11 जुलाई, 2024 को बाकायदा भारत के राजपत्र में यह प्रकाशित किया गया कि भारत सरकार ने हर साल 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के तौर पर मनाने का निर्णय लिया है. केंद्र सरकार की उस औपचारिक घोषणा के बाद इस साल पहली बार देश भर में 25 जून को संविधान हत्या दिवस के तौर पर मनाया गया.

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत देश के प्रमुख शहरों से लेकर जिला स्तर तक इस अवसर पर कई कार्यक्रम आयोजित किए गए. बीजेपी सरकार और संगठन के स्तर पर आपातकाल को लेकर कई महीनों के कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई है. केंद्र सरकार के संस्कृति विभाग की तरफ से सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को बाकायदा एक पत्र लिखकर संविधान हत्या दिवस मनाने के लिए कहा गया. इसके तहत 25 जून, 2025 से कार्यक्रमों की शुरुआत करके इन्हें पूरे साल यानी 25 जून, 2026 तक की पूरी रूपरेखा दी गई है.

इस पत्र के मुताबिक साल भर जो कार्यक्रम चलने हैं, उनमें मशाल यात्रा निकालना शामिल है. पत्र में कहा गया है कि लोकतंत्र की मूल भावना का प्रचार-प्रसार करने के लिए छह मशाल यात्राएं निकाली जाएंगी. इनमें पहली मशाल यात्रा को कल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हरी झंडी दिखाई. ये सभी यात्राएं 21 मार्च, 2026 को नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर पहुंचेंगी, जहां खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इनकी अगवानी करेंगे.

इस दौरान नुक्कड़ नाटकों और छोटी फिल्मों के प्रदर्शन का निर्देश भी राज्यों को दिया गया है. संस्कृति मंत्रालय ने राज्यों को इन सभी कार्यक्रमों के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने के लिए भी कहा है.

इन सभी यात्राओं में युवाओं को खास तौर पर जोड़ा जा रहा है. 25 जून को नई दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में आयोजित एक कार्यक्रम में अमित शाह ने युवाओं को इस अभियान से जुड़ने के लिए विशेष अपील की. उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान चली निरंकुशता से देश के युवा वर्ग को परिचित करना बेहद आवश्यक है.

युवाओं के बीच आपातकाल की बात ले जाने की बीजेपी की रणनीति के बारे में पार्टी के एक नेता कहते हैं, "युवा पीढ़ी में आपातकाल की जानकारी न के बराबर है. इसलिए उन्हें इस बात से अवगत कराकर पार्टी उनमें यह बात स्थापित करना चाहती है कि कांग्रेस ने किस तरह की निरंकुशता के साथ पहले सरकार चलाई है. जाहिर है कि इसके पीछे हमारी एक सोच है और हम उसका क्रियान्वयन कर रहे हैं."

इन नेता ने ये भी बताया, "बड़े पैमाने पर कार्यक्रमों के आयोजन की पहल अमित शाह की तरफ से हुई है. पिछले दो दिनों में वे खुद नई दिल्ली में अलग-अलग कार्यक्रमों में शामिल हुए हैं. उन्होंने राज्यों में भी इन आयोजनों को गति देने के लिए कहा है. उनका स्पष्ट कहना है कि इन कार्यक्रमों के साथ युवा पीढ़ी को जोड़िए."

नई दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में आपातकाल पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा, "बुरी घटनाएं आमतौर पर समय के साथ भुला दी जाती हैं लेकिन राष्ट्रीय और सामाजिक जीवन से जुड़ी घटनाओं को हमेशा याद रखना चाहिए, ताकि हमारे लोकतंत्र की रक्षा के लिए एक जिम्मेदार, संगठित व सतर्क युवा तैयार हो सके. भविष्य में कोई भी व्यक्ति तानाशाही सोच को इस देश के संविधान पर थोप न दे, इसलिए इस दिन को याद रखना बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि आपातकाल के समय विचार पनपा था कि राष्ट्र से बड़ी पार्टी है, पार्टी से बड़ा परिवार है, परिवार से बड़ा मैं हूं और देशहित से बड़ी सत्ता है."

अमित शाह जो बातें अपने भाषणों में कह रहे हैं, बीजेपी अपने विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से कांग्रेस के खिलाफ उसी तरह का नैरेटिव तैयार करने की कोशिश स्थानीय स्तर पर भी कर रही है. कांग्रेस की तानाशाही और परिवारवादी छवि गढ़कर इसका राजनीतिक लाभ लेने की जमीन तैयार करने की बीजेपी की इन कोशिशों का क्या परिणाम होगा, इसका पता तो आने वाले चुनावों के नतीजों से ही चलेगा.

25 जून, 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भी आपातकाल को लेकर एक औपचारिक प्रस्ताव पारित किया. साथ ही कैबिनेट की बैठक के पहले दो मिनट का मौन रखा गया. इस प्रस्ताव में कहा गया, "संविधान को शक्तिहीन करने के प्रयास, भारतीय गणतंत्र और लोकतांत्रिक भावना पर हमले, संघवाद को कमजोर करने और मौलिक अधिकारों, मानव स्वतंत्रता और गरिमा को निलंबित किए जाने के भारतीय इतिहास के अविस्मरणीय दुखद अध्याय वाले संविधान हत्या दिवस के आज 2025 में 50 वर्ष पूरे हुए हैं. युवाओं के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे उन लोगों से प्रेरणा लें जिन्होंने तानाशाही प्रवृत्तियों का प्रबल विरोध किया और हमारे संविधान और इसके लोकतांत्रिक ढांचे की रक्षा के लिए दृढ़ता से खड़े रहे. आइए, एक राष्ट्र के रूप में, हम अपने संविधान और इसकी लोकतांत्रिक एवं संघीय भावना कायम रखने के अपने संकल्प को फिर से दोहराएं."

हालांकि, कुछ राज्यों ने केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव का विरोध करना भी शुरू कर दिया है. झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार है. इस सरकार ने तो औपचारिक तौर पर नहीं कहा कि वह इन कार्यक्रमों में नहीं शामिल होगी. लेकिन सत्ताधारी पार्टी जेएमएम के प्रवक्ता ने औपचारिक तौर पर कहा कि प्रदेश में ये कार्यक्रम नहीं आयोजित किए जाएंगे. जेएमएम के प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि उनकी सरकार केंद्र के तुगलकी फरमान को नहीं मानेगी.

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