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आखिर कितना मजबूत है भारत-पाक के बीच हुआ युद्धविराम समझौता?

10 मई को 'समझौते' के कुछ ही घंटों के भीतर पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइलें दागे, जिसके बाद सभी की निगाहें 12 मई को दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच होने वाली वार्ता पर टिकी हैं

विक्रम मिसरी, विदेश सचिव (फोटो : ANI)
विक्रम मिसरी, विदेश सचिव (फोटो : ANI)
अपडेटेड 12 मई , 2025

लोगों का ध्यान भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच 12 मई को दोपहर 12 बजे निर्धारित बातचीत पर केंद्रित है. हालांकि इसमें थोड़ी देरी की वजह से अब इसके शाम को होने की उम्मीद है. दोनों देशों के बीच 10 मई की शाम पांच बजे युद्धविराम की सार्वजनिक घोषणा हुई. इसके बावजूद पाकिस्तान ने कुछ ही घंटों में समझौते का उल्लंघन करते हुए भारतीय क्षेत्र पर ड्रोन और मिसाइल हमले शुरू किए.

भारत के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई और उनके पाकिस्तानी समकक्ष मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला से उम्मीद की जा रही है कि वे इस अस्थिरता को कम करने के उद्देश्य से अहम मुद्दों पर बात करेंगे. हालांकि, जानकारों ने चेतावनी दी है कि मौजूदा शांति युद्धविराम नहीं है, बल्कि यह महज "सैन्य गतिविधि में एक अस्थायी विराम" है.

भारत सरकार ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी देते हुए और बातचीत के नियमों में बदलाव करते हुए यह साफ किया है कि भविष्य में पड़ोसी मुल्क की ओर से होने वाला कोई भी आतंकी हमला भारत के खिलाफ 'युद्ध की कार्रवाई' माना जाएगा, और उसका उचित जवाब दिया जाएगा.

11 मई की शाम को भारतीय सेना ने एक बयान जारी किया. इसके मुताबिक, 10 मई की रात को युद्ध विराम के बाद हवाई क्षेत्र के उल्लंघन के मद्देनजर भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने देश के पश्चिमी मोर्चे पर कमांडरों के साथ सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की थी. सेना ने कहा, "COAS (सेना प्रमुख) ने सेना कमांडरों को डीजीएमओ वार्ता में बनी सहमति के किसी भी उल्लंघन के जवाब में जरूरी कार्रवाई करने का पूरा अधिकार दिया है."

दूसरी ओर, भारतीय वायु सेना (IAF) ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि उसने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत अपने सौंपे गए कामों को सटीकता और पेशेवरता के साथ सफलतापूर्वक अंजाम दिया है. ऑपरेशन को राष्ट्रीय मकसद के अनुरूप, सोच-समझकर और गोपनीय तरीके से किया गया. IAF पोस्ट में कहा गया, "चूंकि ऑपरेशन जारी हैं, उचित समय आने पर विस्तृत जानकारी दी जाएगी. IAF सभी से अनुरोध करती है कि वे अटकलों और असत्यापित जानकारी को फैलाने से बचें."

एक सीनियर IAF अधिकारी ने साफ किया कि ऑपरेशन में "सक्रिय निगरानी, एसेसमेंट (मूल्यांकन) और निरंतर तत्परता की स्थिति में रहना" शामिल है. एक शीर्ष सरकारी सूत्र ने जोर देकर कहा, "ऑपरेशन सिंदूर खत्म नहीं हुआ है. यह समाप्त नहीं हुआ है. हम एक न्यू नॉर्मल में हैं. पिछले रात (10 मई) के ड्रोन घुसपैठ का जवाब दिया जाएगा."

10 मई को देर रात प्रेस ब्रीफिंग में विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने पुष्टि की थी कि पिछले तीन घंटों में पाकिस्तान ने बार-बार सीजफायर (संघर्ष विराम) का उल्लंघन किया है, जबकि उस शाम दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच सहमति बन गई थी.

मिसरी ने कहा, "यह अंडरस्टैंडिंग (सहमति) का गंभीर उल्लंघन है. सशस्त्र बल पर्याप्त और उचित तरीके से जवाब दे रहे हैं." उन्होंने कहा कि सेनाएं कड़ी सतर्कता बरत रही हैं और उन्हें अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा (LoC) पर किसी भी तरह के उल्लंघन का मजबूती से जवाब देने का निर्देश दिया गया है.

इससे पहले 10 मई को अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से संपर्क किया था. इसके बाद, 15:35 बजे भारतीय समयानुसार पाकिस्तान के DGMO ने अपने भारतीय समकक्ष से संपर्क किया और शाम पांच बजे से प्रभावी युद्धविराम पर सहमति जताई, जिसमें भूमि, वायु और समुद्री क्षेत्र सभी शामिल थे. इसके बाद मिसरी ने पुष्टि की कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और रुबियो पिछले 48 घंटों में भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ निकट संपर्क में थे.

सीजफायर की घोषणा के बाद पूर्व भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज नरवणे ने भूमि, समुद्र और हवा में दुश्मनी के खात्मे का स्वागत किया, इसे "सबसे स्वागत योग्य" करार दिया. हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी: "हमें स्थायी और दीर्घकालिक समाधान तक पहुंचने के लिए अन्य मोर्चों पर दबाव बनाए रखना चाहिए. हम आतंकी हमलों में जान गंवाते हुए अलग-थलग घटनाओं का जवाब देना जारी नहीं रख सकते. यह तीसरा हमला है - अब और कोई मौका नहीं."

1999 के कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना की अगुआई करने वाले जनरल वेद प्रकाश मलिक ने सीजफायर पर संदेह जाहिर किया. उन्होंने 'एक्स' पर पोस्ट किया, "इतिहास पूछेगा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में पाकिस्तान प्रायोजित भयानक आतंकी हमले के बाद भारत की सैन्य और गैर-सैन्य प्रतिक्रिया से क्या राजनीतिक-रणनीतिक लाभ (अगर कोई हो) हासिल किए गए."

रक्षा मंत्रालय ने मौजूदा स्थिति के मद्देनजर निजी डिफेंस मैन्यूफैक्चर कंपनियों को विशेष म्यूनिशन (युद्ध सामग्री), खासकर ड्रोन रोधी प्रणालियों और सटीक स्मार्ट हथियारों का उत्पादन बढ़ाने का निर्देश दिया है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 11 मई को लखनऊ में ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंटीग्रेशन एंड टेस्टिंग फैसिलिटी का उद्घाटन करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की राजनीतिक, सामाजिक और सामरिक इच्छाशक्ति और सशस्त्र बलों की क्षमता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है, जिसने भारतीय धरती पर आतंकवादी संगठनों के हाथों अपने प्रियजनों को खोने वाले निर्दोष परिवारों को न्याय सुनिश्चित किया.

सिंह ने कहा, "यह इस बात का सबूत है कि जब भी भारत आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करता है, तो सीमा पार की जमीन भी आतंकवादियों और उनके आकाओं के लिए सुरक्षित नहीं होती."

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