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जूलरी कारोबार में भारी घाटा, लाखों रोजगार खतरे में! क्या ट्रंप के टैरिफ से बचने का कोई रास्ता है?

क्या भारत अपने रत्न और आभूषण उद्योग को नए अवसर मुहैया कराने के लिए UAE, ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे देशों के साथ हुए मुक्त व्यापार समझौतों का लाभ उठा सकता है?

सांकेतिक तस्वीर
अपडेटेड 4 सितंबर , 2025

डोनाल्ड ट्रंप की तरफ भारत पर लगाए बढ़ाकर लगाए गए कुल 50 फीसदी टैरिफ से भारतीय रत्न और आभूषण क्षेत्र को भारी चोट पहुंचने और इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर छंटनियों से नौकरियां जाने का खतरा हो गया है.

अमेरिका भारत का रत्न और आभूषणों का सबसे बड़ा निर्यात ठिकाना है. यह उद्योग अपने निर्यात का लगभग एक तिहाई यानी करीब 11 अरब डॉलर का माल हर साल अमेरिका को भेजता है. इन वस्तुओं में सोने के जड़ाऊ और सादे जेवरात से लेकर हीरों के आभूषण, रत्न और चांदी की फैशनेबल डिजाइन तक शामिल हैं.

ऑल इंडिया जेम ऐंड ज्वेलरी डोमेस्टिक काउंसिल (GJC) के अध्यक्ष राजेश रोकड़े कहते हैं कि टैरिफ का थोड़ी अवधि के लिए असर कम हो सकता है क्योंकि भारत में त्योहारों और शादियों का मौसम शुरू हो गया है और घरेलू मांग अगले दो या तीन महीनों तक इस उद्योग में हलचल बनाए रखने में मदद करेगी. रोकड़े का नागपुर में रोकड़े ज्वैलर्स नाम से ब्रांड है.

लेकिन नवंबर की शुरुआत में स्थिति गंभीर हो सकती है, जिससे इस क्षेत्र में लाखों श्रमिकों की छंटनी की नौबत आ सकती है. GJC के उपाध्यक्ष अविनाश गुप्ता, जो हैदराबाद में मामराज मुसद्दीलाल ज्वैलर्स चलाते हैं, का कहना है कि इसका प्रभाव मोटे तौर पर दो हिस्सों में होगा. दुनिया की हीरा कटाई और पॉलिशिंग राजधानी सूरत सबसे ज्यादा प्रभावित होगी. दूसरा प्रभावित क्षेत्र मुंबई में सांताक्रूज विशेष आर्थिक क्षेत्र होगा, जिसे आमतौर पर SEEPZ के रूप में जाना जाता है और जहां आभूषण निर्यातक हैं. दोनों केंद्रों का सालाना 6 से 7 अरब डॉलर का निर्यात होता है. गुप्ता कहते हैं, "यहीं पर सबसे ज्यादा असर दिखेगा."

गुप्ता के मुताबिक, “आर्थिक से कहीं ज्यादा नुकसान रोजगार जाने का होगा जो सबसे ज्यादा चोट पहुंचाएगा. राष्ट्रीय स्तर पर 10 अरब डॉलर का नुकसान बहुत ज्यादा नहीं लगे लेकिन इस तरह के श्रम बहुल क्षेत्र में नौकरियां जाने का असर देश के लिए बड़ा झटका होगा.” गुप्ता का अनुमान है कि इन केंद्रों में 100,000 से 150,000 कामगारों की नौकरियां जा सकती हैं.  रोकड़े कहते हैं कि नए टैरिफ का असर अमेरिकी बाजार पर भी पड़ेगा. अमेरिका में 70,000 से ज्यादा ज्वैलर भारतीय आभूषण बेचते हैं. यह वहां की सरकार के टैक्स का भी बड़ा स्रोत है. वे कहते हैं, "यह अमेरिकी बाजार के लिए भी घाटे का सौदा होगा. इसके अलावा, अमेरिका के एशियाई खरीदार दुबई या भारत जैसे दूसरे बाजारों से अपनी खरीदारी कर सकते हैं."

भारतीय रत्न और आभूषण क्षेत्र को नए अवसर मुहैया कराने के लिए संयुक्त अरब अमीरात, ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे देशों के साथ मौजूदा मुक्त व्यापार समझौतों का भी लाभ उठाया जा सकता है. गुप्ता कहते हैं, "भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी वृद्धि वाली अर्थव्यवस्था है, जिसके पास बहुत महत्त्वाकांक्षी आबादी है. इसलिए लंबी अवधि में घरेलू बाजार खुद ही बढ़ेगा और मांग को पूरा करेगा." 

विकल्पों के बारे में रोकड़े बताते हैं कि ओमान और अमेरिका के बीच मुक्त व्यापार समझौता है जिसके तहत ओमान में निर्मित वस्तुओं को अमेरिका में शून्य शुल्क पर आयात करने की अनुमति है. वे कहते हैं, "भारतीय जौहरी सेमी फिनिश्ड माल ओमान भेजने और इसे वहां फिनिशिंग रूप देने पर विचार कर सकते हैं ताकि उन्हें अमेरिका भेजा जा सके."

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