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ग्रामीण भारत कैसे इस एक मामले में शहरों को जबर्दस्त टक्कर दे रहा?

भारत के FMCG क्षेत्र में प्रीमियम उत्पादों की बढ़ती मांग पर एक नए सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि ग्रामीण क्षेत्रों के उपभोक्ता अब सामान्य की जगह ज्यादा से ज्यादा प्रीमियम उत्पाद इस्तेमाल करने की चाह रखते हैं

FMCG उत्पादों की कुल बिक्री में 51 फीसद खपत ग्रामीण भारत में होती है
अपडेटेड 4 सितंबर , 2025

प्रीमियम उत्पादों के इस्तेमाल पर अब केवल शहरी ग्राहकों का ही विशेषाधिकार नहीं रह गया है. मार्केट रिसर्च फर्म वर्ल्डपैनल इंडिया की तरफ से भारत के FMCG (तेजी से बढ़ते उपभोक्ता सामान) क्षेत्र में प्रीमियमीकरण पर किए गए एक सर्वे से पता चलता है कि ग्रामीण भारत में प्रीमियम प्रोडक्ट (महंगे सामान, जिनकी ऊंची ब्रांड वैल्यू है) के इस्तेमाल की ललक तेजी से बढ़ी है.

जैसे-जैसे विभिन्न क्षेत्रों के भारतीय उपभोक्ताओं की आकांक्षाएं बढ़ी हैं, ग्रामीण भारत भी सामान्य बाजार से हटकर प्रीमियम की लहर पर सवार हो रहा है. प्रीमियम FMCG के उपभोग में ग्रामीण क्षेत्रों की भागीदारी शहरी क्षेत्रों के बराबर बढ़ी है, जेब के अनुकूल प्रीमियम उत्पादों के मामले में 50 फीसद. सुपर-प्रीमियम श्रेणियों में भी तेज वृद्धि हुई है जो 2021 में 30 फीसद से बढ़कर 2025 में 42 फीसद पर पहुंच गया.

इस वृद्धि का एक बड़ा कारण ये भी है कि कई प्रीमियम FMCG ब्रांड अपने उत्पादों को छोटे, किफायती पैक में पेश कर रहे हैं. बतौर उदाहरण, सेंसोडाइन टूथपेस्ट 75 ग्राम के पैक में ट्रेसेमे शैंपू 6 मिलीलीटर पाउच में और नबाती वेफर्स 30 ग्राम के पैक में उपलब्ध हैं. इससे उनके उत्पादों की पहुंच एक बड़े बाजार तक बढ़ी है और ये लोगों को आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं. ई-कॉमर्स व क्विक कॉमर्स में इस गहरी पैठ को ऑनलाइन डिलीवरी में वृद्धि की अपार संभावनाओं ने और भी ज्यादा मजबूत किया है.

ग्रामीण मांग में तेजी का एक अन्य कारण घरेलू ब्रांडों की तरफ से पेश सुपर-प्रीमियम श्रेणियों की बढ़ती रेंज भी है, जिनकी कीमत कभी-कभी स्थापित ग्लोबल ब्रांड्स की तुलना में थोड़ी कम होती है. उदाहरण के तौर पर मध्य प्रदेश में बुरहानी लिक्विड डिशवॉश, तमिलनाडु में एवीटी गोल्ड कप टी और कर्नाटक और ओडिशा में मीरा शिकाकाई शैम्पू.

वर्ल्डपैनल बाई न्यूमेरेटर की एक पूर्व रिपोर्ट कंज्यूमर कनेक्शन्स 2025 में पाया गया कि अब सभी FMCG उत्पादों की कुल बिक्री में 51 फीसद खपत ग्रामीण भारत में होती है. इसमें देश के 65 फीसदी परिवार आते हैं. आंकड़े बताते हैं कि फैब्रिक सॉफ्टनर (ऐसे सुगंधित लिक्विड जो कपड़ों को मुलायम बनाते हैं) जैसी श्रेणियों में प्रवेश 2021 में 11 फीसद से बढ़कर 2025 में 20 फीसद हो गया. इसी प्रकार 2025 में 15 फीसद ग्रामीण परिवारों ने कपड़े धोने के वॉशिंग लिक्विड खरीदे, जबकि 2021 में यह संख्या 7 फीसद थी.

वर्ल्डपैनल बाई न्यूमेरेटर के प्रबंध निदेशक, दक्षिण एशिया के. रामकृष्णन कहते हैं कि इस बदलाव के पीछे एक कारण सोशल मीडिया के जरिये लोगों तक समान की पहुंच बढ़ना है और अब यह महानगरों के बराबर है. उन्होंने कहा, “ग्रामीण उपभोक्ताओं की आकांक्षाएं बढ़ रहे हैं, और सबसे संपन्न परिवार भी अपनी प्राथमिकताओं के बारे में फिर से सोच-विचार कर रहे हैं. भविष्य इस बात में है कि उपभोक्ताओं तक उचित पैकिंग, उचित खूबियों और उचित चैनलों के माध्यम प्रीमियम अनुभव दिया जाए.”

प्रीमियम ब्रांड आज सभी FMCG की वॉल्यूम बिक्री में 15 फीसद हिस्सेदारी रखते हैं, जिसमें डिटर्जेंट, बार सोप, टूथपेस्ट, चाय, खाद्य तेल, बिस्कुट और स्किन क्रीम जैसी श्रेणियां शामिल हैं.

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