20 जुलाई की रात सूरत इंटरनेशनल एयरपोर्ट एक बड़े खुलासे का गवाह बना जब इतिहास की सबसे बड़ी सोने की तस्करी की कोशिश नाकाम की गई. दुबई से आई एयर इंडिया की फ्लाइट से उतरा एक अधेड़ जोड़ा जब अराइविंग हॉल में चुपचाप आगे बढ़ रहा था तो उनकी चाल में एक तरह की जकड़न साफ दिखाई दे रही थी.
केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के एक सतर्क सादे कपड़ों में तैनात अधिकारी ने उनकी चाल और कमर के आसपास उभरी हल्की-सी सूजन पर ध्यान दिया. इसके बाद जो हुआ वो एक बेहद बारीकी से अंजाम दी गई कार्रवाई थी.
CISF और कस्टम अधिकारियों ने मिलकर दंपती के पारंपरिक भारतीय वस्त्रों के नीचे से उनके शरीर पर कसकर बंधे 28 किलो गोल्ड पेस्ट की बरामदगी की. जिसकी कीमत करीब 25 करोड़ रुपए आंकी गई है. ये ज़ब्ती सूरत के लिए रिकॉर्ड रही और इसने लगातार मॉडर्न हो रहे तस्करों की चालाकी और गोल्ड पेस्ट की काली दुनिया को उजागर कर दिया.
गोल्ड पेस्ट दरअसल सोने की धूल या पाउडर को मोम, चॉकलेट या अन्य चिपकने वाले तत्वों के साथ मिलाकर बनाया गया एक ‘हाफ़ लिक्विड’ स्टेट होता है. इसे किसी भी आकार में ढालना या छिपाना आसान होता है. ठोस सोने के मुकाबले इसे अलग-अलग तरह से छिपाया जा सकता है, जिससे स्कैनर से बच निकलना मुमकिन होता है.
इस पेस्ट को बनाने की प्रक्रिया सोने को पिघलाकर शुरू होती है. ये सोना आमतौर पर गहनों, गोल्ड बार या खनन से आता है. पिघला हुआ सोना बारीक पाउडर में बदला जाता है और फिर बाइंडिंग एजेंट के साथ मिलाकर पेस्ट बनाया जाता है. ये पेस्ट छोटे कंटेनर में रखा जा सकता है, कपड़ों में सिला जा सकता है या शरीर के अंदर भी छिपाया जा सकता है.
पारंपरिक गोल्ड बार या बिस्किट ठोस होते हैं जिन पर शुद्धता और वजन की मुहर होती है जिससे उन्हें पहचानना और पकड़ना आसान होता है. जबकि गोल्ड पेस्ट दिखने में धातु जैसा नहीं होता और अक्सर एक्स-रे से भी पकड़ में नहीं आता.
तस्कर इसका इस्तेमाल इम्पोर्ट ड्यूटी (आयात शुल्क) से बचने और प्रतिबंधों को पार करने के लिए करते हैं, क्योंकि भारत में सोने की मांग बहुत अधिक है और उस पर भारी आयात शुल्क लगता है. तस्करी के बाद इस पेस्ट से शुद्ध सोना निकाला जाता है, जो गहनों के बाज़ार में बेचा जाता है या हवाला जैसे अवैध कामों में लगाया जाता है.
इस पेस्ट को गर्म करके पहले गैर-ज़रूरी मटीरियल को जलाया जाता है, फिर बचे हुए सोने को रसायनों (जैसे 'एक्वा रेजिया') से शुद्ध किया जाता है. इसके बाद उसे जमाकर पिघलाया जाता है जिससे शुद्ध सोना वापस मिल जाता है. यह प्रक्रिया सुनने में तो आसान लगती है लेकिन इसमें बहुत कारीगरी की ज़रूरत होती है ताकि सोने की बिल्कुल बर्बादी न हो.
सूरत मामले में पकड़े गए पेस्ट से 20 किलो से ज़्यादा शुद्ध सोना निकलने का अनुमान था, जिसकी कीमत लगभग 25 करोड़ रुपये बताई जा रही है.
2024 में सूरत एयरपोर्ट पर ही एक महिला के मलाशय में 550 ग्राम गोल्ड पेस्ट छिपा पाया गया. इस पेस्ट के बाइंडर धातु जैसे नहीं होते, इसलिए ये मेटल डिटेक्टर की पकड़ में नहीं आता. इसे सिर्फ मैनुअल इन्स्पेक्शन या निशानदेही पर ही पकड़ा जा सकता है.
भारत में सोने की अपनी सांस्कृतिक महत्ता है और इस पर भारी आयात शुल्क के चलते ये हमेशा से तस्करों का पसंदीदा टार्गेट रहा है. जनवरी 2024 में बेंगलुरु एयरपोर्ट पर एक दंपती 3.8 किलो गोल्ड पेस्ट (1.9 करोड़ रुपये) अपने अंडरगारमेंट्स में छिपाकर लाते पकड़े गए थे. उन्होंने अपने बच्चों को भी कवर के रूप में इस्तेमाल किया था.
मई 2024 में तमिलनाडु के तस्करों से 10.3 किलो गोल्ड पेस्ट (7.75 करोड़ रुपये) कपड़ों में छिपाकर पकड़ा गया. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ये नेटवर्क सक्रिय है- 2019 में मुंबई में 18 सूडानी महिलाएं 10-10 करोड़ के गोल्ड पेस्ट के साथ पकड़ी गई थीं. 2024 की एक रॉयटर्स रिपोर्ट के अनुसार, भारत-बांग्लादेश सीमा पर चीनी और प्याज के बीच छिपाकर सोने की अदला-बदली की जा रही थी.