संसद के मौजूदा सत्र के दौरान दिल्ली में तीन चुनावों को लेकर खूब चर्चा है. पहला चुनाव उपराष्ट्रपति पद के लिए होना है. इसके लिए सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अभी अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. दूसरा चुनाव कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया का है. यहां बीजेपी के ही सांसद राजीव प्रताप रूडी और पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान एक-दूसरे के खिलाफ जोर-आजमाइश कर रहे हैं.
वहीं तीसरा चुनाव भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (BFI) के अध्यक्ष समेत शीर्ष पदों का होना है. राजनीतिक गलियारों से लेकर अदालत तक इस चुनाव को लेकर काफी गहमागहमी है. वजह? पूर्व केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस फेडरेशन के अध्यक्ष पद के लिए पर्चा भरा था, जो खारिज हो गया.
बॉक्सिंग फेडरेशन का चुनाव 21 अगस्त, 2025 को होना है. अदालत के दखल के साथ चुनाव का स्थान भी दिल्ली-एनसीआर तय किया गया है. 2016 से इसके अध्यक्ष अजय सिंह रहे हैं. ये वही अजय सिंह हैं जो नागरिक विमानन सेवा कंपनी स्पाईसजेट के मालिक हैं. बीजेपी के शीर्ष नेताओं से उनकी नजदीकी जगजाहिर है. जब-जब बीजेपी सत्ता में रही, उन्हें पार्टी या सरकार की तरफ से महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां मिलती आई हैं और उनका कारोबार भी बढ़ा है. कुल मिलाकर देखा जाए तो अजय सिंह की पहचान एक ऐसे कारोबारी की है, जिसकी बीजेपी के शीर्ष नेताओं की नजदीकी रही है. अजय सिंह इस बार तीसरे कार्यकाल के लिए उतर रहे हैं.
बीजेपी नेताओं के विश्वस्त माने जाने वाले अजय सिंह को चुनौती देने का मन भी बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर ने ही बनाया था. अनुराग ठाकुर हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बेटे हैं. प्रदेश की हमीरपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई के अध्यक्ष रहे हैं. उनका सबसे महत्वपूर्ण परिचय यह है कि बीते साल जून तक वे केंद्रीय खेल मंत्री भी थे. खेल मंत्री के नाते एक तरह से सभी खेल संगठनों के नियमन की जिम्मेदारी संभालने वाले अनुराग ठाकुर अब खुद एक खेल संघ के अध्यक्ष बनना चाहते हैं.
लेकिन अध्यक्ष पद के लिए अनुराग ठाकुर के नामांकन को अंतरिम समिति ने खारिज कर दिया. ठाकुर की अयोग्यता और BFI के नए संविधान संशोधनों को लेकर चल रहे कानूनी विवाद से पता चलता है कि भारतीय मुक्केबाजी के प्रशासनिक ढांचे में किस तरह के गहरे मतभेद हैं. दरअसल, भारतीय मुक्केबाजी महासंघ पिछले कुछ वर्षों से आंतरिक अस्थिरता और कानूनी विवादों का सामना कर रहा है.
BFI के पूर्व पदाधिकारियों का कार्यकाल 2 फरवरी 2025 को समाप्त हो गया था, और इसके बाद नए पदाधिकारियों के चुनाव के लिए मार्च 2025 में मतदान होना था. लेकिन विभिन्न कानूनी चुनौतियों और प्रशासनिक अनियमितताओं के आरोपों के कारण यह प्रक्रिया रुक गई. इसके बाद विश्व मुक्केबाजी संगठन (वर्ल्ड बॉक्सिंग) ने BFI को 31 अगस्त 2025 तक चुनाव कराने का अल्टीमेटम दिया, जिसके बाद अंतरिम समिति ने 21 अगस्त को चुनाव की नई तारीख घोषित की.
BFI की अंतरिम समिति का गठन अप्रैल 2025 में वर्ल्ड बॉक्सिंग द्वारा किया गया था. इसकी अध्यक्षता सिंगापुर फेडरेशन के अध्यक्ष फेयरुज मोहम्मद को दी गई. इस समिति का गठन BFI के दैनिक कार्यों को संभालने और चुनाव प्रक्रिया को सुचारू रूप से पूरा करने के लिए किया गया था. हालांकि, समिति द्वारा किए गए संविधान संशोधनों और अनुराग ठाकुर के नामांकन को खारिज करने के फैसले ने नए विवादों को जन्म दिया है.
हाल के कुछ महीनों में अनुराग ठाकुर BFI के अध्यक्ष पद के लिए एक प्रमुख दावेदार के रूप में उभरे थे. हिमाचल प्रदेश मुक्केबाजी संघ (एचपीबीए) ने ठाकुर और इसके अध्यक्ष राजेश भंडारी को 21 अगस्त को होने वाली वार्षिक आम सभा (एजीएम) के लिए अपने दो प्रतिनिधियों के रूप में नॉमिनेट किया था. इसी 21 अगस्त की बैठक में नए पदाधिकारियों का चुनाव होना है.
BFI की अंतरिम समिति ने 5 अगस्त को 66 सदस्यों के निर्वाचक मंडल (इलेक्टोरल कॉलेज) की जो सूची जारी की, उसमें अनुराग ठाकुर का नाम शामिल नहीं था. समिति ने ठाकुर के नामांकन को BFI के संशोधित संविधान के अनुच्छेद 20 (iii) और (vii) का उल्लंघन करने का हवाला देते हुए खारिज कर दिया. अनुच्छेद 20 (iii) के अनुसार, सामान्य परिषद की बैठक में भाग लेने वाला नॉमिनेटेड व्यक्ति "राज्य/केंद्र शासित प्रदेश की सदस्य संघ का निर्वाचित सदस्य होना चाहिए, जिसे BFI ने अधिसूचित किया हो और BFI के पर्यवेक्षक की उपस्थिति में चुना गया हो."
ठाकुर एचपीबीए के निर्वाचित सदस्य नहीं हैं. इसके आधार पर उनका नामांकन पहले भी एक बार खारिज हो चुका है. पहले चुनाव मार्च, 2025 में होना था. उसके लिए भी अनुराग ठाकुर ने पर्चा भरा था. लेकिन उस वक्त भी उनका नामांकन खारिज हो गया था. ठाकुर के नामांकन के साथ एक और पेंच है. अनुच्छेद 20 (vii) उन व्यक्तियों को अयोग्य ठहराता है जो "सरकारी कर्मचारी या सार्वजनिक पद धारण करते हों." अनुराग ठाकुर अभी लोकसभा सांसद हैं.
दरअसल, मार्च, 2025 में तत्कालीन BFI अध्यक्ष अजय सिंह द्वारा जारी एक कार्यालय आदेश के आधार पर ठाकुर को निर्वाचक मंडल से बाहर रखा गया था. उस समय आदेश में कहा गया था कि केवल "वास्तविक और विधिवत निर्वाचित सदस्य, जिन्हें BFI से अधिसूचित किया गया हो, ही अपने संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करने के लिए अधिकृत होंगे." इस फैसले के खिलाफ अनुराग ठाकुर खेमे ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.
इसके बाद BFI के संविधान में मई, 2025 में किए गए संशोधनों ने विवाद को और गहरा दिया है. इन संशोधनों को वर्ल्ड बॉक्सिंग द्वारा 18 मई 2025 को मंजूरी दी गई थी, और अंतरिम समिति का दावा है कि 34 में से 30 राज्य इकाइयों ने इसे समर्थन दिया है. हालांकि, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे कुछ राज्य इकाइयों ने इन संशोधनों को अलोकतांत्रिक और गैरकानूनी बताते हुए इसकी वैधता को अदालत में चुनौती दी है. इन इकाइयों का तर्क है कि संशोधन बिना सामान्य सभा की मंजूरी के किए गए, जो BFI के संविधान के खिलाफ है.
इन राज्य इकाइयों ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाने और नए रिटर्निंग ऑफिसर की नियुक्ति की मांग की. हालांकि, अदालत ने 7 अगस्त को याचिकाकर्ताओं को कोई अंतरिम राहत नहीं दी और मामले की सुनवाई 18 अगस्त को पहले से दायर याचिकाओं के साथ निर्धारित की. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि चुनाव परिणाम अंतिम फैसले के अधीन होंगे.
ठाकुर के खेमे ने संवैधानिक संशोधनों की वैधता को चुनौती देते हुए एक नई याचिका दायर की है. एचपीबीए के अध्यक्ष राजेश भंडारी का दावा है कि संविधान में संशोधन बिना कार्यकारी परिषद की मंजूरी के नहीं किया जा सकता और यह BFI के नियमों के खिलाफ है.
अनुराग ठाकुर के कुछ करीबी लोगों की मानें तो उनका नामांकन खारिज होने के बाद ठाकुर खेमा एक वैकल्पिक पैनल बनाने की योजना पर काम कर रहा है. नामांकन की आखिरी तारीख 11 अगस्त के दोपहर दो बजे तक है. अब जब अनुराग ठाकुर को यह लग रहा है कि वे खुद चुनाव नहीं लड़ सकते तो उन्होंने एक ऐसे पैनल बनाने की योजना पर काम शुरू कर दिया है जो अजय सिंह को चुनौती दे सके. सूत्रों का यह भी दावा है कि इस पैनल के अधिकांश सदस्य उन्हीं चार राज्यों से होंगे जो संविधान संशोधन का विरोध कर रहे हैं.
याद रहे कि भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने भी इस मामले में दखिल दिया था. 30 जुलाई को, आईओए ने खेल मंत्रालय को पत्र लिखकर अंतरिम समिति को भंग करने और चुनावों को आईओए या हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त स्वतंत्र प्राधिकरण के तहत कराने की सिफारिश की थी. हालांकि, खेल मंत्रालय ने अब तक इस बारे में कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है.
इन परिस्थितियों में अनुराग ठाकुर की सारी उम्मीदें दिल्ली हाईकोर्ट में 18 अगस्त को होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं. अगर अदालत ने संशोधित संविधान को अवैध ठहराया तो ठाकुर के लिए फिर से नामांकन का रास्ता खुल सकता है. वहीं अगर अदालत ने संशोधनों को बरकरार रखा तो केंद्रीय खेल मंत्रालय और दुनिया की सबसे ताकतवर खेल संगठनों में से एक बीसीसीआई की अध्यक्षता करने वाले अनुराग ठाकुर को बॉक्सिंग फेडरेशन के चुनावी मैट पर मात खाकर मन मसोस कर रह जाने के अलावा कोई और चारा नहीं रहेगा.