राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भले ही खुद को एक सांस्कृतिक संगठन कहता हो लेकिन जब भी उसकी अनुषांगिक राजनीतिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) चुनावी मैदान में उतरती है तो संघ के कार्यकर्ता पार्टी को चुनाव जिताने में अपना सहयोग देते हैं.
भारतीय चुनाव आयोग ने 16 तारीख को लोकसभा चुनावों की घोषणा की थी और इसी दौरान 15 से 17 मार्च के बीच संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का आयोजन चल रहा था. इस लिहाज से नागपुर में हुई संघ की इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है.
प्रतिनिधि सभा के समापन के बाद संघ की तरफ से जो बातें सार्वजनिक की गईं, उनमें यह बात शामिल नहीं है कि लोकसभा चुनावों को लेकर क्या चर्चा हुई और क्या रणनीति बनी. लेकिन इस प्रतिनिधि सभा में शामिल कुछ लोगों ने अनौपचारिक तौर पर बताया कि प्रतिनिधि सभा में 2024 के लोकसभा चुनावों को लेकर चर्चा हुई और यह बात दोहराई गई कि देश आगे बढ़ रहा है और प्रगति की इस रफ्तार को बनाए रखना है.
इस बारे में औपचारिक तौर पर संघ के सह सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले कहते हैं, "चुनाव देश के लोकतंत्र का महापर्व है. देश में लोकतंत्र और एकता को अधिक मजबूत करना और प्रगति की गति को बनाए रखना आवश्यक है. संघ के स्वयंसेवक सौ प्रतिशत मतदान के लिए समाज में जन-जागरण करेंगे. समाज में इसके संदर्भ में कोई भी वैमनस्य, अलगाव, बिखराव या एकता के विपरीत कोई बात न हो, इसके प्रति समाज जागृत रहे."
इस बार की प्रतिनिधि सभा को विशेष बनाने वाली दूसरी बात यह है कि संघ कुछ ही महीने में अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश करने वाला है और इस नाते प्रतिनिधि सभा में अब तक की तैयारियों का जायजा लिया गया और आगे की रूपरेखा पर चर्चा हुई. इस लिहाज से संघ ने सांगठनिक फेरबदल भी किया ताकि जब संगठन अपनी स्थापना के 100वें वर्ष में प्रवेश करे तो उसने सांगठनिक विस्तार की जो योजना बनाई गई है, उसका क्रियान्वयन ठीक ढंग से हो सके. इसी हवाले से संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले को कार्यकाल विस्तार दिया गया. अब वे 2027 तक इस पद पर बने रहेंगे.
इसी तरह से सह सर कार्यवाह की टीम में बड़े बदलाव किए गए. अपेक्षाकृत युवा माने जाने वाले लोगों को इस टीम में शामिल किया गया. संघ की सांगठनिक शब्दावली में इसे नंबर तीन का पद माना जाता है और संघ के सारे रणनीतिक निर्णय लेने का काम सर संघचालक और सर कार्यवाह के साथ मिलकर सह सर कार्यवाह की टीम ही करती है.
इस प्रतिनिधि सभा में सर कार्यवाह की संख्या को बढ़ाकर छह कर दिया गया. कृष्ण गोपाल और संघ की तरफ से भाजपा के समन्वय का काम देखने वाले अरुण कुमार के साथ अतुल लिमये और आलोक कुमार जैसे लोगों को सह सर कार्यवाह बनाया गया है. ये दोनों अपेक्षाकृत कम उम्र के हैं.
महाराष्ट्र के रहने वाले अतुल लिमये अब तक पश्चिमी क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक के तौर पर काम कर रहे थे. माना जा रहा है कि जिस तरह से महाराष्ट्र के अलावा गुजरात और गोवा में संघ के विस्तार के लिए उन्होंने जो काम किए, उसका ईनाम उन्हें सह सर कार्यवाह बनाकर दिया गया है.
इसी तरह से आलोक कुमार झारखंड में काम कर रहे थे. हालांकि, वे रहने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं. आलोक कुमार संघ के सह प्रचार प्रमुख थे लेकिन उनका केंद्र झारखंड की राजधानी रांची था. इतनी कम उम्र में आलोक कुमार सह सर कार्यवाह बन जाएंगे, इसकी उम्मीद संघ में भी लोगों को नहीं थी. लेकिन माना जा रहा है कि सह सर कार्यवाह की टीम में अपेक्षाकृत कम उम्र के लोगों को शामिल करने की रणनीति के तहत संघ ने उन्हें यह जिम्मेदारी दी है. झारखंड जैसे राज्य में उनके काम के अनुभव को भी आदिवासियों के बीच संघ के विस्तार के लिए उपयोगी माना गया और संघ को उम्मीद है कि आलोक कुमार को यह जिम्मेदारी देने का उसे सांगठनिक लाभ मिलेगा.
1988 में संघ में आए आलोक कुमार को पहली बड़ी जिम्मेदारी नैनीताल के जिला प्रचारक के तौर पर मिली. बाद में उन्हें हरियाणा में विभाग प्रमुख बनाया गया. अपने गृह क्षेत्र पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ में उन्होंने संघ के प्रांत प्रचारक की जिम्मेदारी भी निभाई. 2014 में वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र प्रचारक बनाए गए और उन्हें उत्तराखंड की भी जिम्मेदारी दे दी गई.
इसके अलावा भी कुछ और महत्वपूर्ण सांगठनिक बदलावों के लिए संघ की इस बार की प्रतिनिधि सभा को याद रखा जाएगा. दिल्ली के प्रांत प्रचारक के तौर पर काम कर रहे जतिन कुमार का प्रमोशन हुआ है. उन्हें उत्तर क्षेत्र का क्षेत्र प्रचारक नियुक्त किया गया है. अब उनके पास दिल्ली के अलावा पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और लद्दाख की जिम्मेदारी होगी.
दिल्ली के प्रांत कार्यवाह के तौर पर काम कर रहे भारत भूषण को अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख नियुक्त किया गया है. भारत भूषण की जगह अब दिल्ली के नए प्रांत कार्यवाह के तौर पर अनिल गुप्ता काम करेंगे. स्वांत रंजन की जगह अब सुनील मेहता संघ के नए बौद्धिक प्रमुख होंगे.
इन सांगठनिक बदलावों के माध्यम से संघ की कोशिश यह होगी कि वह शताब्दी वर्ष में एक लाख शाखाओं के लक्ष्य को हासिल कर सके और जिन क्षेत्रों में अब तक उसका विस्तार नहीं हुआ है, वहां अपनी सांगठनिक स्थिति मजबूत कर सके. इस प्रतिनिधि सभा में दत्तात्रेय होसबाले ने जो जानकारी दी, उसके मुताबिक 2023 के 68,651 शाखाओं के मुकाबले संघ की शाखाओं की संख्या बढ़कर 73,117 पर पहुंच गई. जिन स्थानों पर संघ की शाखा लगती है, उनकी संख्या इस दौरान 42,613 से बढ़कर 45,600 हो गई.
संघ के विस्तार के बारे में होसबाले कहते हैं, "वर्ष 2025 की विजयादशमी से पूर्ण नगर, पूर्ण मंडल तथा पूर्ण खण्डों में दैनिक शाखा तथा साप्ताहिक मिलन का लक्ष्य पूरा होगा. संघ के कार्य का प्रभाव आज समाज में दिख भी रहा है."
छह वर्षों बाद संघ की प्रतिनिधि सभा उसी नागपुर में हुई, जहां उसका मुख्यालय है. इस दौरान एक रोचक आंकड़ा संघ की प्रतिनिधि सभा में रखा गया. राम मंदिर आंदोलन से लेकर राम मंदिर निर्माण ने संघ के सांगठनिक विस्तार में प्रमुख भूमिका निभाई है. अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए चंदा एकत्रित करने के लिए संघ के कार्यकर्ता 10 करोड़ से अधिक घरों में पहुंचे थे.
लेकिन राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए संघ ने जो संपर्क अभियान चलाया, उसके तहत संघ के कार्यकर्ता कुल 19.38 करोड़ परिवारों तक पहुंचे. यह जानकारी खुद दत्तात्रेय होसबाले ने दी. इस महासंपर्क अभियान में संघ के 44.98 लाख स्वयंसेवक लगे थे. 22 जनवरी, 2024 को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन संघ की पहल पर देश भर में 9.85 लाख कार्यक्रम हुए.
संघ का दावा है कि इन कार्यक्रमों में 27.81 करोड़ लोगों की हिस्सेदारी रही. इस प्रतिनिधि सभा में संघ ने 'श्रीराममन्दिर से राष्ट्रीय पुनरुत्थान की ओर' पर एक प्रस्ताव भी पारित किया. इन आंकड़ों से जो बात सीधे-सीधे समझ आती है, वो यह कि संघ अपने शताब्दी वर्ष में सांगठनिक विस्तार के लिहाज से काफी गंभीरता से काम कर रहा है.