सुप्रीम कोर्ट ने आज दिल्ली-NCR में आवारा कुत्तों से संबंधित अपने पिछले आदेश में बदलाव करते हुए कहा कि आवारा कुत्तों को नसबंदी के बाद वापस खुले में छोड़ा जा सकता है. साथ ही कोर्ट ने कहा, "आवारा कुत्तों को सार्वजनिक स्थानों पर खाना खिलाने की इजाजत नहीं दी जा सकती है."
आवारा कुत्तों को केवल निर्धारित क्षेत्रों में ही खाना खिलाया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने नगर निकायों को नगरपालिका वार्डों में कुत्तों के लिए भोजन क्षेत्र बनाने का भी निर्देश दिया है. आज के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की पांच बड़ी बातें इस प्रकार हैं-
1. नगर निकायों को अपने नगर निगम वार्डों में कुत्तों के लिए भोजन क्षेत्र बनाने चाहिए. किसी भी हालत में आवारा कुत्तों को भोजन कराने की अनुमति नहीं है. उल्लंघन करने पर कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी, ऐसा सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया है.
2. सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश को दिल्ली-NCR तक सीमित नहीं रखा है, बल्कि इसका दायरा पूरे भारत में बढ़ा दिया है. सभी मुख्य सचिवों को नोटिस जारी किया गया है.
3. अपने 8 अगस्त के आदेश को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कुत्तों को शेल्टर होम में रखने के बजाय नसबंदी करने के आदेश दिए हैं. नसबंदी और कृमिनाशक दवा देने के बाद कुत्तों को उसी क्षेत्र में छोड़ने का निर्देश दिया है. हालांकि, शीर्ष अदालत ने आक्रामक व्यवहार वाले कुत्तों का टीकाकरण करने और उन्हें अलग आश्रय स्थलों में रखने का निर्देश दिया है. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, "आवारा पशुओं को टीका लगाया जाना चाहिए और वापस उसी क्षेत्र में छोड़ दिया जाना चाहिए."
4. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "पशु प्रेमी कुत्तों को गोद लेने के लिए आवेदन कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यह सुनिश्चित करना उनकी जिम्मेदारी होगी कि वह जिस कुत्ते को गोद लेते हैं, वापस वह सड़कों पर न लौटें."
5. कोई भी व्यक्ति या संगठन सरकारी अधिकारियों को उनके कर्तव्यों के निर्वहन में बाधा नहीं डाल सकता है. पीठ ने आगे कहा कि 8 अगस्त के आदेश को चुनौती देने वाले कुत्ता प्रेमियों और गैर सरकारी संगठनों को रजिस्ट्रार के पास क्रमशः 25,000 रुपये और 2 लाख रुपये जमा करने होंगे.