मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में शौर्य नाम के चीते की मौत हो गई है. लायन प्रोजेक्ट के निदेशक के मुताबिक ट्रैकिंग टीम ने शौर्य को कमजोर हालत में पाया. इलाज़ के दौरान ही 16 जनवरी को उसकी मौत हो गई. नरेंद्र मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी 'प्रोजेक्ट चीता' के तहत लाए 10 चीतों की अब तक मौत हो चुकी है. इनमें 7 वयस्क थे, 3 शावक थे.
2022 का साल और 17 सितंबर का दिन. इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन पड़ता है. उन्होंने अपना जन्मदिन ख़ास ढंग से मनाया. इस मौके पर नामीबिया से लाए गए 8 चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया. इसके बाद 12 चीते 18 फरवरी, 2023 को दक्षिण अफ्रीका से लाए गए थे.
जब इन चीतों को लाया गया तब यह चर्चा चली कि कूनो नेशनल पार्क का वातावरण इनके लिए अनुकूल नहीं है. 'प्रोजेक्ट चीता' के लिए इंटरनेशनल यूनियन ऑफ़ कंजर्वेशन ऑफ़ नेचर (IUCN) की गाइडलाइंस के तहत नेशनल टाइगर कन्जर्वेशन अथॉरिटी ने एक्शन प्लान तैयार किया था. इस एक्शन प्लान में बताया गया था कि कूनो का पर्यावरण चीतों के रहने लायक है. कहा यह भी गया था कि एक बार जब चीते बस जाएंगे तो यहां बाघ, शेर और तेंदुए भी लाए जा सकेंगे. यानी कूनो में इन सभी के लिए पर्याप्त जगह और संसाधन मौजूद है.
चीतों की मौत की टाइमलाइन
18 फरवरी, 2023 को दक्षिण अफ्रीका से 18 चीते लाए गए थे. इसके अगले ही महीने, 26 मार्च, 2023 को नामीबियाई मादा चीता शासा की मौत हो गई. ये पहला केस था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक शासा की मौत किडनी की बीमारी की वजह से हुई. भारत लाए जाने से पहले से ही वह किडनी की समस्या से जूझ रही थी. पहले मामले के एक महीने बाद, 23 अप्रैल, 2023 को नर चीता उदय की मौत हो गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट बताती है कि उदय की मौत कार्डियो पल्मोनिरी फैल्योर की वजह से हुई.
9 मई, 2023 को मादा चीता दक्षा की मौत हो गई. इसकी वजह कोई बीमारी नहीं बल्कि आपसी संघर्ष था. दो अन्य चीतों के साथ लड़ाई में दक्षा अपनी जान गंवा बैठी. इस बीच मादा चीता ज्वाला के 3 शावकों की मौत 2 दिनों के भीतर ही हो गई. 23 मई को एक और 25 मई को दो शावकों की जान डिहाइड्रेशन की वजह से चली गई.
नर चीता तेजस और मादा चीता नाभा के बीच 11 जुलाई, 2023 को लड़ाई हो गई. नतीजा ये हुआ कि तेजस को अपनी जान गंवानी पड़ी. ऐसे ही एक आपसी संघर्ष में 3 दिन बाद, 14 जुलाई को नर चीता सूरज की मौत हो गई. अगले महीने की 2 तारीख़ को मादा चीता धात्री की मौत इन्फेक्शन की वजह से हो गई. और अब 16 जनवरी को नर चीता शौर्य की मौत हो गई. शौर्य की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा कि उसकी मौत कैसे हुई.
अब कितने बचे?
नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से 20 चीते लाए गए थे. इनमें से 7 की मौत हो चुकी है. 3 शावकों की भी मौत हुई है. इनके बाद कूनो में 13 वयस्क चीते और 4 शावक बचे हुए हैं. इनमें नर चीते- गौरव, वायु, अग्नि, पवन, प्रभाष और पावक शामिल हैं. 7 मादा चीतों में आशा, गामिनी, नाभा, धीरा, ज्वाला, निरवा और वीरा शामिल हैं.
कैसे हो रही मौत?
चीते जब लाए गए तब अलग-अलग वन्य जीव एक्टिविस्ट्स ने कूनो के वातावरण को लेकर सवाल उठाए थे. द लल्लनटॉप से बातचीत में वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे कहते हैं, "अफ्रीकी और नामीबियाई चीतों की मौत के लिए मध्य प्रदेश का वाइल्डलाइफ मैनेजमेंट जिम्मेदार है. वहां पर जो अधिकारी हैं वो वाइल्डलाइफ में ट्रेंड नहीं हैं. चिकित्सा सुविधा का ये हाल है कि भोपाल के पशु चिकित्सक सब मैनेज कर रहे हैं. चीतों का प्रबंधन बेहतर नहीं हो रहा है."

