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कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में 25 साल बाद होगा चुनाव; बीजेपी के दो दिग्गज होंगे आमने-सामने!

ऐतिहासिक कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया की गवर्निंग काउंसिल के सचिव (प्रशासन) पद पर लंबे समय से काबिज राजीव प्रताप रूडी को उनकी ही पार्टी बीजेपी के संजीव बालियान से चुनौती मिली है

Sanjiv Balyan and Rajiv Pratap Rudy are candidate in constitutional club election
संजीव बालियान (बाएं); राजीव प्रताप रूडी (दाएं)
अपडेटेड 18 जुलाई , 2025

नई दिल्ली में 12 अगस्त को एक ऐसा चुनाव होने वाला है, जिसकी मतदाता सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के सभी शीर्ष राजनेता शामिल हैं. यह चुनाव है संसद भवन से महज कुछ कदम की दूरी पर स्थित कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया का. 

यहां बीते तकरीबन 25 वर्षों से गवर्निंग काउंसिल के सचिव (प्रशासन) पद पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता राजीव प्रताप रूडी हैं. इस बारे उन्हें उनकी ही पार्टी बीजेपी के नेता संजीव बालियान से चुनौती मिली है.

कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया का महत्व ये है कि यह देश के सांसदों का क्लब है. शुरुआत इसकी 1947 में हुई थी. उस दौर में संविधान सभा देश का संविधान बनाने का काम कर रही थी. संविधान सभा के सदस्यों के लिए इस क्लब की शुरुआत की गई थी. तब यह क्लब दिल्ली के कर्जन रोड पर स्थित था.

स्वतंत्र भारत में जब भारतीय संसद ने आकार लिया तो इस क्लब को सांसदों का क्लब बना​ दिया गया. बाद में यह रफी मार्ग पर आया. कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया का औपचारिक उद्घाटन 1965 में उस समय के राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने किया था. तब से अब तक यह मौजूदा और पूर्व सांसदों के मिलने-जुलने समेत विभिन्न गतिविधियों के केंद्र के तौर पर काम करता है.

इस क्लब में अक्सर कई महत्वपूर्ण आयोजन होते रहते हैं. कुछ आयोजन बेहद ऐतिहासिक रहे हैं. 1977 में इसी क्लब में 21 वर्ष की मायावती ने जाति आधारित भेदभाव दूर करने के पक्ष में जो भाषण दिया था, उसके बाद ही कांशी राम की नजर में वे आईं. इसके बाद कांशी राम ने मायावती को राजनीति में लाने की कोशिश की और इन दोनों की जोड़ी के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति हमेशा के लिए बदल गई. हाल के दिनों की बात करें तो 2010 से इंडिया अगेंस्ट करप्शन के नाम पर शुरू हुआ अभियान जो बाद में आम आदमी पार्टी में बदल गया, इसके कई आयोजन इसी क्लब में हुए.

कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया को राजनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण माना जाता है. संसद के दोनों सदनों के सदस्य इस क्लब के सदस्य होते हैं. इनके अलावा पूर्व सांसद भी इस क्लब के सदस्य बन सकते हैं. यही लोग इसके वोटर होते हैं. अभी इस क्लब के तकरीबन 1,200 सदस्य हैं. यानी इतने मतदाता इस चुनाव में मतदान कर सकते हैं. इनमें प्रधानमंत्री मोदी समेत पूर्व उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस के प्रमुख नेता राहुल गांधी समेत विभिन्न पार्टियों के अधिकांश वरिष्ठ नेता शामिल हैं.

चुनाव के लिए 12 अगस्त की तारीख रखने के पीछे वजह यह है कि उस दिन संसद के मॉनसून सत्र का आखिरी दिन होगा. इस वजह से कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया के अधिकांश मतदाता उस दिन दिल्ली में रहेंगे और मतदान कर पाएंगे.

सोसाइटिज रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1860 के तहत गठित इस क्लब की गवर्निंग बॉडी के पदेन अध्यक्ष लोकसभा स्पीकर होते हैं. अभी ओम बिरला इसके अध्यक्ष हैं. राज्यसभा के उपसभापति और केंद्रीय शहरी विकास मंत्री इसके पदेन उपाध्यक्ष होते हैं. इस नाते हरिवंश सिंह और मनोहर लाल खट्टर क्लब के उपाध्यक्ष हैं. इसके बाद तीन सचिव के पद होते हैं. इनमें एक प्रशासन, एक खेल और एक संस्कृति से संबंधित होते हैं. एक को​षाध्यक्ष होते हैं. इनके अलावा 11 कार्यकारी सदस्य होते हैं. गवर्निंग बॉडी का कार्यकाल पांच साल का होता है.

क्लब के कामकाज के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण पद सचिव (प्रशासन) का होता है. सचिव (खेल) के पद कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला हैं. एक बार फिर से उन्हें इस पद के लिए निर्विरोध चुन लिया गया है. सचिव (संस्कृति) पद पर भी तमिलनाडु की सत्ताधारी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के राज्यसभा सांसद त्रिची शिवा​ निर्विरोध निर्वाचित हो गए हैं. कोषाध्यक्ष के पद पर तेलंगाना से आने वाले कांग्रेस नेता जीतेंदर रेड्डी भी निर्विरोध चुने गए हैं.

इस बार मामला फंसा है सचिव (प्रशासन) और कार्यकारी सदस्यों के निर्वाचन का. गवर्निंग बोर्ड के 11 कार्यकारी सदस्यों के पद के लिए 14 उम्मीदवार मैदान में हैं. इन सदस्यों को चुनने के लिए भी 12 अगस्त को ही चुनाव होना है.

बीते तकरीबन 25 साल से कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया की गवर्निंग काउंसिल के सचिव (प्रशासन) पद पर लोकसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी हैं. हर बार वे निर्विरोध ही चुने गए हैं. लोकसभा और राज्यसभा के कार्यकाल को मिला लें तो रूडी सात बार के सांसद हैं. एक बार वे बिहार विधानसभा के लिए भी चुने गए थे. वे बीजेपी के कुछ उन गिने—चुने नेताओं में से हैं, जिन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी, दोनों प्रधानमंत्रियों की सरकार में केंद्रीय मंत्री के तौर पर काम किया है. वे पायलट भी हैं. नई दिल्ली से पटना के बीच इंडिगो से नियमित हवाई यात्रा करने वाले लोगों में ज्यादातर यह जानते हैं कि कई बार उनके पायलट राजीव प्रताप रूडी ही होते हैं.  

25 वर्षों में पहली बार रूडी को कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में चुनाव का सामना करना है. इस बारे में इंडिया टुडे से बातचीत में रूडी कहते हैं, ''मुझे करीब 25 वर्ष पहले उस समय के लोकसभा स्पीकर जीएमसी बालयोगी ने नामित किया था. पीएम सईद डिप्टी स्पीकर होते थे. तब से सभी सदस्यों ने मेरे कार्य को सही पाया और हर बार मुझे चुना. बहुत अच्छी बात है कि इस बार चुनाव हो रहा है. हर बार निर्विरोध चुन लिया जाता था तो मुझे भी लगता था कि आखिर मुझमें ऐसा क्या है! चुनाव में जो मेरे सामने हैं, वे भी मेरे साथी ही हैं.''

क्या वे जीत को लेकर आश्वस्त हैं, जवाब में रूडी कहते हैं, ''यह देश का ऐसा चुनाव है जिसके मतदाता सांसद हैं. सभी नेता ही हैं. सांसदों को जो अपने लिए अच्छा लगेगा, उसे वे चुनेंगे. मैंने विधानसभा, लोकसभा और राज्यसभा के भी चुनाव लड़े हैं. चुनाव, चुनाव होता है और हर चुनाव की अपनी परिस्थितियां होती हैं. इसमें मतदाता तय करते हैं कि उन्हें किसे चुनना है और उनके लिए कौन बेहतर होगा.''

इस चुनाव में रूडी के प्रतिद्वंदी भाजपा के ही नेता संजीव कुमार बालियान हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मजबूत नेताओं में बालियान की गिनती होती है. मुजफ्फरनगर से दो बार के लोकसभा सांसद रहे बालियान 2014 से लेकर 2024 तक मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं. इस दौरान वे अलग-अलग मंत्रालयों में राज्य मंत्री के तौर पर काम करते रहे. 2024 का लोकसभा चुनाव वे हार गए थे. इस चुनाव को लेकर बालियान कहते हैं, "एक जमाने में कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में तमाम नए- पुराने सांसद आते थे, एक दूसरे के साथ विचार साझा करते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है. पहले इसका सदस्य बनने की लोगों में होड़ होती थी, वो भी खत्म हो गया. कुछ सांसदों ने मुझसे कहा कि इसे अपने पुराने स्वरूप में लाना चाहिए. आज यह कॉमर्शियल तरीके से ज्यादा चल रहा है, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए. मेरे चुनाव लड़ने का मकसद यही है कि मैं इसका पुराना स्वरूप लौटाऊं."

कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया का चुनाव जीतने को लेकर उनके समर्थकों में एक भरोसा है. इनका कहना है कि स्थितियां बालियान के पक्ष में हैं और पूरी संभावना है कि जीत उनकी होगी. बालियान की दावेदारी को लेकर सांसदों में एक चर्चा ये भी चल रही है कि संभव है कि बालियान को कहीं से यह चुनाव लड़ने का इशारा किया गया हो. इन सांसदों का संकेत भाजपा के बड़े नेताओं की तरफ है.

कृषि विज्ञान की पढ़ाई करने वाले बालियान के हाथ कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया के राजनीति विज्ञान की बाजी लगती है या फिर यात्री विमानों की सेफ लैंडिंग कराने वाले पायलट रूडी के लिए यह चुनाव महज एक 'टर्बुलेंस' साबित होता है, ये देखने के लिए 12 अगस्त का इंतजार करना होगा.

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