'आदमी की पहचान उसके कपड़ों से नहीं, बल्कि आचरण से की जाती है.' लगता है कि इस आदर्श वाक्य का मर्म जहां आम देशवासियों ने सादगी के रूप में समझने की कोशिश की, तो वहीं नेताओं ने इसके विपरीत दूसरे पहलू पर ज्यादा ध्यान दिया है. करीब दस साल होने को आए जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 'दसलखा सूट' पहली बार चर्चा में आया था.
मोदी के महंगे सूट पर सवाल उठाने वाले मौजूदा विपक्ष के नेता राहुल गांधी भी 2018 में तब खुद लपेटे में आ गए थे, जब बीजेपी के नेताओं ने उनकी '63 हजारी' जैकेट पर हल्ला मचाया. बचे तो आप के सर्वेसर्वा अरविंद केजरीवाल भी नहीं है. एक समय खुद को आम आदमी के असल प्रतिनिधि के रूप में पेश करने वाले केजरीवाल अब '25 हजार' की जैकेट पहने घूम रहे हैं.
ऐसा हम नहीं बीजेपी और 'मफलर मैन' केजरीवाल के प्रतिद्वन्द्वी कह रहे हैं. दिल्ली विधानसभा चुनावों की सरगर्मियों के बीच प्रदेश बीजेपी के नेता प्रवेश वर्मा ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "मफलर को यमुना में बहा दिया. अब सर जी 25000 का जैकेट पहनते हैं." दावे में वजन बढ़े, इसके लिए प्रवेश वर्मा ने केजरीवाल की फोटो के साथ GANT ब्रैंड की जैकेट की ऑनलाइन कीमत भी चस्पा की.
केजरीवाल ने भी सफाई देने में देरी नहीं की. एक टीवी इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा, "वो जैकेट चांदनी चौक में ढाई हजार में मिलती है." साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि जनता को इस बात से कोई मतलब नहीं है कि केजरीवाल की जैकेट कितने की है, शर्ट कितने की है, पैंट कितने की है.
क्या वाकई लोगों को इस बात से मतलब नहीं है? ये सवाल तब और भी गंभीर हो जाता है जब देश की एक बड़ी आबादी (इस देश में मिडल क्लास की आबादी करीब 57 करोड़ है) अपनी छोटी-से-छोटी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी एड़िया घिसने पर मजबूर है और तिस पर भी शायद ही उन्हें राहत मिलती हो. और ऐसे में खुद को आम आदमी का सच्चा सेवक बतलाने वाले ये नेता जब पचासों हजार और लाखों की सूट पहनते हैं तो क्या वे असल में आम आदमी की फिक्र करते होंगे?
आम आदमी का सच्चा सेवक कौन? इस दावे पर अपने नाम की मुहर लगाने को अधीर बीजेपी, आप और कांग्रेस ये तीनों मुख्य पार्टियां दिल्ली चुनावों में एक दूसरे पर फिजूलखर्ची और दिखावटीपन का आरोप लगाए जा रही हैं. इसके लिए प्रमुख नेताओं के कपड़ों, उनके रहन-सहन को टारगेट किया जा रहा है. ऐसे में आइए जानते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी, आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस व लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी में कौन ज्यादा अमीर है?
केजरीवाल ने 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में जो हलफनामा दायर किया है उसके मुताबिक उनके पास कुल 1.73 करोड़ रुपये की संपत्ति है. ये राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी की संपत्ति से कम है. लेकिन जब अरविंद की पत्नी सुनीता केजरीवाल की संपत्ति को आप सुप्रीमो की संपत्ति में मिला दिया जाता है तो उनकी कुल संपत्ति बढ़कर 4.24 करोड़ रुपये हो जाती है. इस तरह, वे इन तीनों नेताओं में राहुल गांधी के बाद दूसरे सबसे अमीर बन जाते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 लोकसभा चुनाव में जो हलफनामा पेश किया था उसके मुताबिक मोदी की कुल संपत्ति 3.02 करोड़ रुपये से अधिक है. यानी निजी और पारिवारिक संपत्ति के मामले में मोदी इन तीनों नेताओं में सबसे कम पैसे वाले हैं. जहां तक राहुल गांधी की बात है, उनकी कुल संपत्ति 20.40 करोड़ रुपये है. इस तरह, राहुल इन तीनों नेताओं में सबसे अमीर हैं.
पिछले पांच सालों में राहुल की संपत्ति में 4.51 करोड़ रुपये और मोदी की संपत्ति में 50.71 लाख रुपये का उछाल देखा गया है. हालांकि, केजरीवाल की संपत्ति में गिरावट देखी गई है. उनकी संपत्ति में 13.5 लाख रुपये की कमी आई है. जबकि इसी अवधि के दौरान सुनीता की संपत्ति में काफी बढ़ोत्तरी हुई है.
आइए अब एक-एक करके इन तीनों नेताओं की संपत्ति के बारे में जानते हैं. इन तीनों नेताओं की संपत्ति का विश्लेषण करने के लिए उनके द्वारा पिछले दो चुनावों में चुनाव आयोग (ईसी) को सौंपे गए हलफनामों की समीक्षा की गई है. राहुल और मोदी के लिए 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों के हलफनामों की जांच की गई, जबकि केजरीवाल के लिए 2020 और 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनावों के हलफनामों पर विचार किया गया.
अरविंद केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल की कुल संपत्ति 2020 में 1.87 करोड़ रुपये से घटकर 2025 में 1.73 करोड़ रुपये रह गई. चल संपत्ति में सबसे तेज गिरावट देखी गई, जो बैंक जमा में कमी के कारण 9.95 लाख रुपये से घटकर 3.46 लाख रुपये रह गई. जबकि उनकी अचल संपत्ति मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के इंदिरापुरम में एक संपत्ति का मूल्य भी 2020 में 1.77 करोड़ रुपये से मामूली रूप से घटकर 1.7 करोड़ रुपये हो गया.
इसके विपरीत, केजरीवाल की पत्नी सुनीता की अपनी संपत्ति 2020 में 1.57 करोड़ रुपये से 2025 में 2.51 करोड़ रुपये तक बढ़ गई. उनकी संपत्ति में ये बढ़ोत्तरी म्यूचुअल फंड, गुरुग्राम फ्लैट और अन्य निवेशों से हुई. साथ में, उनकी संयुक्त संपत्ति अब 4.24 करोड़ रुपये है, जो पांच सालों में 80.33 लाख रुपये की बढ़ोत्तरी है.
राहुल गांधी
तीनों में सबसे अमीर होने के नाते राहुल के वित्तीय खुलासे में अहम बढ़ोत्तरी दिखाई देती है. उनकी संपत्ति 2019 में 15.89 करोड़ रुपये से 2024 में 4.51 करोड़ रुपये बढ़कर 20.40 करोड़ रुपये हो गई. इस बढ़ोत्तरी में शेयरों, बांडों और म्यूचुअल फंडों में निवेश का बड़ा योगदान है.
वहीं, राहुल की अचल संपत्ति जैसे कृषि भूमि और वाणिज्यिक संपत्तियां-मामूली रूप से बढ़ीं, जो 10.08 करोड़ रुपये से बढ़कर 11.15 करोड़ रुपये हो गईं. इस बीच इसी अवधि में उनकी देनदारियां 72.02 लाख रुपये से घटकर 49.79 लाख रुपये हो गईं, जो बेहतर वित्तीय स्थिति का संकेत है.
नरेंद्र मोदी
हालांकि, इन दोनों नेताओं के मुकाबले मोदी की संपत्ति का खुलासा एक अलग कहानी बताता है. उनकी कुल संपत्ति 2019 में 2.51 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024 में 3.02 करोड़ रुपये हो गई, जो पूरी तरह से बैंक जमा और राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र सहित चल संपत्तियों के लगभग दोगुने होने से हुई.
मोदी की वित्तीय स्थिति संयमित रूप से आगे बढ़ी है. मोदी के पास निजी अचल संपत्ति या वाहन का मालिकाना हक न होना उनकी सादगी की छवि के अनुरूप है. देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होने के बावजूद निजी संपत्ति के प्रति यह मिनिमलिस्टिक (न्यूनतमवादी) दृष्टिकोण स्वार्थ से ऊपर राष्ट्र की सेवा के उनकी कहानी को पुष्ट करता है.
साझा न्यूनतमवाद
केजरीवाल, राहुल और मोदी के बीच एक उल्लेखनीय समानता यह है कि इन तीनों के पास वाहन का मालिकाना हक नहीं है. अपनी अलग-अलग वित्तीय स्थिति और सार्वजनिक व्यक्तित्व के बावजूद तीनों नेताओं ने कार नहीं खरीदने का विकल्प चुना है.
ये महज आंकड़े नहीं है बल्कि उनकी अब तक की राजनीतिक पटकथा को भी बताते हैं. जहां केजरीवाल की घटती निजी संपत्ति, उनके जीवनसाथी की वित्तीय संपत्ति में बढ़ोत्तरी के साथ एक विरोधाभास को सामने लाती है. वहीं, राहुल की बढ़ती संपत्ति उनके विशेषाधिकार को बताती है, फिर भी वे खुद को भारत में सामाजिक न्याय के सबसे बड़े वकील के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं.
* अरविंद केजरीवाल, दिल्ली के पूर्व सीएम
कुल घोषित संपत्ति
2020: 1,86,95,741 रुपये (1.87 करोड़ रुपये)
2025: 1,73,46,949 रुपये (1.73 करोड़ रुपये)
कुल संपत्ति में बदलाव
13,48,792 रुपये (13.5 लाख रुपये) की कमी
चल संपत्ति
2020: 9,95,741 रुपये (9.95 लाख रुपये)
2025: 3,46,849 रुपये (3.46 लाख रुपये)
प्रमुख घटक
नकदी और बैंक जमा
अचल संपत्तियों का विवरण
2020: 1,77,00,000 रुपये (1.77 करोड़ रुपये)
2025: 1,70,00,000 रुपये (1.70 करोड़ रुपये)
प्रमुख घटक
इंदिरापुरम, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश में गैर-कृषि भूमि
देनदारियां: शून्य
* सुनीता केजरीवाल, अरविंद केजरीवाल की पत्नी
कुल घोषित संपत्ति
2020: 1,57,07,791 रुपये (1.57 करोड़ रुपये)
2025: 2,50,89,655 रुपये (2.51 करोड़ रुपये)
कुल संपत्ति में बदलाव
93,81,864 रुपये (93.81 लाख रुपये) की वृद्धि
चल संपत्ति
2020: 57,07,791 रुपये (57.08 लाख रुपये)
2025: 1,00,89,655 रुपये (1.01 करोड़ रुपये)
प्रमुख घटक
नकदी, बैंक जमा, म्यूचुअल फंड, पीपीएफ, एक वाहन और आभूषण
अचल संपत्ति
2020: 1,00,00,000 रुपये (1 करोड़ रुपये)
2025: 1,50,00,000 रुपये (1.5 करोड़ रुपये)
देनदारियां: शून्य
* अरविंद केजरीवाल और सुनीता केजरीवाल
कुल घोषित संपत्ति
2020: 3,44,03,532 रुपये (3.44 करोड़ रुपये)
2025: 4,24,36,604 रुपये (4.24 करोड़ रुपये)
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* राहुल गांधी, लोकसभा में विपक्ष के नेता
कुल घोषित संपत्ति
2019: 15,88,77,063 रुपये (15.89 करोड़ रुपये)
2024: 20,39,61,862 रुपये (20.40 करोड़ रुपये)
कुल संपत्ति में बदलाव
4,50,84,799 रुपये की वृद्धि (4.51 करोड़ रुपये)
चल संपत्ति
2019: 5,80,58,779 रुपये (5.81 करोड़ रुपये)
2024: 9,24,59,264 रुपये (9.25 करोड़ रुपये)
प्रमुख घटक
बैंक जमा, शेयर, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड, आभूषण, पीपीएफ
अचल संपत्ति
2019: 10,08,18,284 रुपये (10.08 करोड़ रुपये)
2024: 11,15,02,598 रुपये (11.15 करोड़ रुपये)
मुख्य घटक
कृषि भूमि और वाणिज्यिक भवन
देनदारियां
2019: 72,01,904 रुपये (72.02 लाख रुपये)
2024: 49,79,184 रुपये (49.79 लाख रुपये)
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* नरेंद्र मोदी, प्रधान मंत्री
कुल घोषित संपत्ति
2019: 2,51,36,119 रुपये (2.51 करोड़ रुपये)
2024: 3,02,06,889 रुपये (3.02 करोड़ रुपये)
कुल संपत्ति में बदलाव
50,70,770 रुपये (50.71 लाख रुपये) की वृद्धि
चल संपत्ति
2019: 1,41,36,119 रुपये (1.41 करोड़ रुपये)
2024: 3,02,06,889 रुपये (3.02 करोड़ रुपये)
प्रमुख घटक
बैंक जमा, राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र, आभूषण
अचल संपत्ति
2019: 1,10,00,000 रुपये (1.10 करोड़ रुपये)
2024: शून्य
नोट: 2019 में घोषित संपत्ति (गांधीनगर में एक आवासीय भूखंड में 1/4 हिस्सा) 2024 में मोदी की घोषित संपत्ति का हिस्सा नहीं थी.