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दिल्ली चुनाव: 50 हजार मीटिंग कर रूठों को साध रहा संघ; क्या है BJP के लिए RSS की तैयारी?

दिल्ली में BJP को जिताने के लिए RSS ने कमर कस ली है. दिन-रात RSS कार्यकर्ता BJP को जिताने के लिए बैठकें कर रहे हैं

दिल्ली चुनाव में RSS एक्टिव
दिल्ली चुनाव में RSS एक्टिव
अपडेटेड 4 फ़रवरी , 2025

फरवरी की 5 तारीख को दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होनी है. इस बार बीजेपी को दिल्ली में जिताने के लिए RSS की मशीनरी भी दिन-रात काम कर रही है. 

3 फरवरी को दिल्ली RSS इकाई के 8 विभागों ने अपने मुख्यालय में एक रिपोर्ट जमा की. इस रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में RSS ने 50 हजार से ज्यादा ड्राइंग रूम मीटिंग आयोजित की है.

पश्चिमी दिल्ली के एक वरिष्ठ आरएसएस पदाधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर एक इंटरव्यू में कहा, "हमारा काम मतदाताओं को बूथ पर जाकर राष्ट्रीय हित में मतदान करने के लिए शिक्षित करना था. लेकिन हां, इन मीटिंग में हम मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में वोट देने के लिए कह रहे थे, क्योंकि वे राष्ट्रीय हित में काम कर रहे हैं."

दिल्ली में आरएसएस को कुल आठ विभागों में बांटा गया है, जो 30 जिलों और 173 नगरों (छोटे, गली-मोहल्ले) में एक्टिव हैं. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, RSS के सह-सरकार्यवाह अरुण कुमार के नेतृत्व में इस बार चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले ही संघ कार्यकर्ता को अपने-अपने इलाकों में बीजेपी के पक्ष में प्रचार करने के लिए एक्टिव कर दिया गया था. 

60 हजार बैठकों का लक्ष्य, लेकिन 50 हजार बैठकें ही आयोजित हो पाईं

RSS कार्यकर्ता दिल्ली के अलग-अलग कार्यालयों, संस्थानों, शॉपिंग सेंटरों, स्कूलों, कॉलेजों और अन्य क्षेत्रों में छोटे-छोटे समूहों में जाकर “ड्राइंग रूम मीटिंग” आयोजित कर रहे थे. RSS ने चुनाव से पहले तक कुल 60,000 बैठकें आयोजित करने का लक्ष्य रखा था. उन्होंने बताया कि दिल्ली के RSS प्रचारकों को भी दिल्ली में सक्रिय रहने को कहा गया था.

यही नहीं, ड्राइंग रूम मीटिंग के कुछ दिन बाद उस क्षेत्र में फीडबैक लेने के लिए RSS कार्यकर्ताओं के जरिए वहां नियमित बैठकें भी आयोजित की गईं. ऐसी आखिरी बैठक 3 फरवरी को RSS के सभी 8 विभागों में हुई. हर विभाग के प्रचारक ने अपने विभाग का डेटा प्रांत इकाई के साथ साझा किया. 

50 हजार बैठकों के जरिए दिल्ली के 4 लाख वोटर्स से जुड़ने की कोशिश

बैठक के बाद RSS के 8 में से एक विभाग से जुड़े प्रमुख पदाधिकारी ने कहा, “मेरे विभाग में लगभग 2,000 ड्राइंग रूम बैठकें संघ के स्वयंसेवकों द्वारा आयोजित की गईं. लगभग 4,550 बैठकें भारतीय मजदूर संघ जैसे RSS से जुड़े अन्य दूसरे संगठनों के कार्यकर्ताओं द्वारा आयोजित की गईं. इनमें बीएमएस, सेवा भारती, विश्व हिंदू परिषद, अखिल भारतीय शैक्षणिक महासंघ, हिंदू जागरण मंच जैसे संगठन शामिल हैं. 

संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि इन ड्राइंग रूम बैठकों में बड़ी संख्या में महिलाओं सहित लगभग 53,000 प्रतिभागियों ने भाग लिया. इन बैठकों के जरिए दिल्ली के 4 लाख से ज्यादा वोटरों से जुड़कर उन्हें बीजेपी के पक्ष में वोट करने की अपील की गई. साथ ही इन बैठकों में आरएसएस के 'पंच परिवर्तन' पर चर्चा की गई और मतदाताओं से राष्ट्रीय हित में बीजेपी उम्मीदवारों के लिए वोट देने को कहा गया.  

रूठों को मनाने की कोशिश में जुटा रहा RSS

RSS ने चुनावी प्रबंधन के साथ-साथ अधिक से अधिक लोगों को अपने साथ जोड़ने का लक्ष्य रखा था. RSS की इन बैठकों में संघ ने ऐसे RSS और बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं की सूची मांगी, जो किन्हीं वजहों के चलते पार्टी से नाराज चल रहे थे.

माना जा रहा है कि इन कार्यकर्ताओं और नेताओं को मनाने और फिर से पार्टी के साथ जोड़ने के लिए RSS द्वारा सक्रियता से काम किया गया. इन बैठकों में ज़मीनी स्तर पर चुनावी रणनीति बनाए जाने का काम किया जा रहा था और चुनाव के दिन हर घर से लोग वोट डालने किस तरह निकलें, इसकी चर्चा की गई.  

लोकसभा चुनाव के बाद दूर हुई RSS की नाराजगी 

लोकसभा चुनाव के दौरान यह कहा जा रहा था कि आरएसएस के शीर्ष पदाधिकारी बीजेपी के टॉप नेताओं से नाराज हैं. इसका असर यूपी में लोकसभा चुनाव में भी दिखा. बीजेपी 33 सीटों से आगे नहीं बढ़ पाई. चुनाव परिणाम में बीजेपी की कमजोर स्थिति के लिए संघ की नाराजगी भी एक बड़ी वजह मानी गई.

इसके बाद यूपी में बीते दिनों संघ के सह-सरकार्यवाह अरुण कुमार ने संघ, सरकार और बीजेपी के पदाधिकारियों के साथ बैठक की. माना जा रहा है, इसी बैठक में यह रणनीति बनी थी कि अब कोर मुद्दों पर संघ काम करेगा. सरकार और बीजेपी को संघ के रास्ते पर ही चलना है. 

अब दिल्ली चुनाव में जिस तरह से संघ सक्रिय हुआ है, उससे साफ है कि उसकी नाराजगी दूर हो गई है. RSS का दिल्ली में सक्रिय होना बीजेपी के लिए मजबूती का संकेत है. हाल ही में हरियाणा के चुनावों में बीजेपी ने 90 में से 48 सीटें जीतीं, जबकि महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन की तीनों पार्टियों बीजेपी, शिवसेना (शिंदे) और एनसीपी (अजीत पवार) ने 288 में से 237 सीटें जीतीं. 

इन चुनावों के बाद RSS कार्यकर्ताओं ने विशेष रूप से जीत का श्रेय लिया था. अब देखना है कि दिल्ली चुनाव में RSS की मेहनत रंग ला पाती है या नहीं.

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दिल्ली चुनाव
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