मई की 14 तारीख को दिल्ली के 9A कोटला रोड स्थित कांग्रेस के राष्ट्रीय कार्यालय में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के मुद्दे पर कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक हुई. इसमें ऑपरेशन सिंदूर को लेकर पार्टी लाइन से हटकर बयान देने वाले नेताओं पर भी चर्चा हुई. चर्चा के केंद्र में कांग्रेस सांसद शशि थरूर थे.
उनके बयान को लेकर कांग्रेस नेताओं ने CWC की बैठक में कहा कि उन्होंने लक्ष्मण रेखा पार कर दी है. लेकिन, CWC बैठक में कांग्रेस नेताओं ने ऐसा क्यों कहा और क्या पार्टी उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है?
शशि थरूर के किस बयान पर CWC की बैठक में हंगामा मचा?
पत्रकार करण थापर को दिए इंटरव्यू में कांग्रेस नेता शशि थरूर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता वाले दावे को खारिज कर दिया था. जब उनसे पूछा गया कि आप विपक्षी दल के नेता होने के बावजूद सरकार पर इतना भरोसा करके कैसे कह सकते हैं कि भारत सरकार ने ट्रंप से मध्यस्थता करने के लिए नहीं कहा होगा.
इसके जवाब में थरूर ने कहा, “इस तरह के मामले में अगर भारत अमेरिका से किसी तरह का आग्रह करता तो वह स्पष्ट होता. लेकिन, मुझे नहीं लगता है कि भारत ने अमेरिका से ये कहा होगा कि आप पाकिस्तान को A, B, C संदेश दें. ऐसा मेरा अनुमान है और मैं अपने दशकों के अनुभव के आधार पर ऐसा कर रहा हूं.”
इसके बाद जब उनसे पूछा गया कि आखिर ऑपरेशन सिंदूर से देश को क्या मिला. जवाब में सांसद शशि थरूर ने कहा, "हमारी कार्रवाई सोची-समझी और सटीक थी. हमने साफ संकेत दिया कि हम अपनी धरती से पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद बर्दाश्त नहीं करेंगे. हमने आम नागरिकों को नुकसान पहुंचाए बिना पंजाब (पाकिस्तान के) में आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया, जो यह दिखाता है कि पाकिस्तान में कहीं भी आतंकवादी सुरक्षित नहीं हैं. यह पाकिस्तान को लेकर हमारी बदलती हुई नीति को भी दिखाता है.”
इसके आगे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर बोलते हुए उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने के ट्रंप के प्रस्ताव पर भी चेतावनी दी. उन्होंने कहा, “ट्रंप का दखल उन आतंकवादी समूहों के एजेंडे को बढ़ावा देता है, जो कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाना चाहते हैं. भारत ने कभी भी पाकिस्तान के साथ अपनी समस्याओं पर किसी विदेशी देश की मध्यस्थता नहीं चाही और न ही चाहेगा.”
दरअसल, कांग्रेस अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा सबसे पहले ट्वीट कर सीजफायर की घोषणा करने को लेकर सवाल खड़े कर रही है. कांग्रेस ने ट्रंप के उस दावे पर भी भारत सरकार से सवाल पूछा है, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति ने कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने की बात कही है.
वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सीधे-सीधे ट्रंप के मध्यस्थता वाले दावे को खारिज कर दिया. थरूर ने कहा कि भारत सरकार इस तरह के किसी मध्यस्थता या सीजफायर के लिए अमेरिका से आग्रह ही नहीं कर सकती. पार्टी लाइन से हटकर बयान देने की वजह से थरूर इस वक्त चर्चा में हैं.
थरूर के लक्ष्मण रेखा पार करने की बात किसने और क्यों कही है?
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में एक नेता ने कहा, “कांग्रेस लोकतांत्रिक होने पर गर्व करती है, जहां आंतरिक बहस का स्वागत किया जाता है, लेकिन पार्टी सांसद शशि थरूर ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर अपने हालिया बयानों से "लक्ष्मण रेखा पार कर दी है."
इतना ही नहीं कांग्रेस के सीनियर नेता ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि इस बैठक में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने शशि थरूर से पूछा कि आप पार्टी लाइन से हटकर बयान क्यों दे रहे हैं?
उन्होंने कहा, “यह निजी विचार व्यक्त करने का समय नहीं है, बल्कि पार्टी के आधिकारिक रुख को स्पष्ट करने का समय है. हम एक लोकतांत्रिक पार्टी हैं और लोग अपनी राय व्यक्त करते रहते हैं, लेकिन इस बार थरूर ने लक्ष्मण रेखा पार कर दी है.”
इस बैठक में हिस्सा ले रहे एक अन्य सूत्र ने बताया कि थरूर ने जयराम रमेश के सवाल पर अपने रुख का बचाव करते हुए कहा कि वे विदेश मामलों पर संसद की स्थायी समिति के सदस्य हैं और इसी हैसियत से उन्होंने अपनी बात रखी है. साथ ही उन्होंने 19 मई को होने वाली विदेश मामलों पर संसद की स्थायी समिति की बैठक का हवाला देते हुए ये भी कहा कि इस मामले पर बात करने के लिए विदेश सचिव विक्रम मिसरी को भी बुलाया गया है.
इसके बाद थरूर बीच में ही अपने निर्वाचन क्षेत्र तिरुवनंतपुरम की फ्लाइट पकड़ने के लिए बैठक छोड़कर निकल गए. हालांकि, CWC की बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस में शशि थरूर के बयान पर पूछे गए सवाल के जवाब में जयराम रमेश ने कहा, "शशि थरूर जो कहते हैं, वह उनकी निजी राय है. वे अपने लिए बोलते हैं, कांग्रेस पार्टी के लिए नहीं."
क्या शशि थरूर पर कार्रवाई कर सकती है कांग्रेस पार्टी?
पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई इस सवाल के जवाब में कहते हैं, “मुझे नहीं लगता है कि फिलहाल कांग्रेस पार्टी थरूर के खिलाफ कोई कार्रवाई करने जा रही है. इसकी वजह ये है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ राष्ट्रहित से जुड़ा एक इमोशनल मुद्दा है. इसपर थरूर ने जो कहा वह किसी भी तरह से कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने वाला नहीं है. ऐसे में उनके खिलाफ अगर कोई भी एक्शन लिया गया तो इससे कांग्रेस को ही नुकसान होगा.”
किदवई कहते हैं कि इस मुद्दे पर पहले कांग्रेस को अपना स्टैंड क्लियर करना चाहिए. इसके बाद वो अपने नेताओं को पार्टी के उस स्टैंड को लोगों के बीच ले जाने के लिए कहें. अभी तो कांग्रेस ही ये तय नहीं कर पाई है कि इस मुद्दे पर क्या कहना है और क्या नहीं कहना.
CWC की बैठक में जयराम रमेश के थरूर से सीधे सवाल पूछने और लक्ष्मण रेखा लांघने की बात पर किदवई कहते हैं कि इस बैठक में आमतौर पर इस तरह के सवाल-जवाब होते हैं. इसका मतलब ये नहीं है कि कोई कार्रवाई ही होगी. उन्होंने ये भी कहा कि शशि थरूर कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे के खिलाफ चुनाव लड़े थे. तभी से जयराम रमेश और कुछ नेता आलाकमान से अपनी नजदीकी दिखाने के लिए थरूर से इस तरह की बैठकों में टकराते रहते हैं. हालांकि, ऑपरेशन सिंदूर के मुद्दे पर थरूर के खिलाफ मामले को तवज्जो देना कांग्रेस के लिए फायदे से ज्यादा नुकसानदेह ही होगा.
बार-बार पार्टी लाइन से अलग रहने के बावजूद कांग्रेस, थरूर पर कार्रवाई क्यों नहीं करती?
पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई कहते हैं कि केरल की राजनीति में कांग्रेस और थरूर दोनों को एक-दूसरे की जरूरत है. एक तरफ कांग्रेस थरूर जैसे नेताओं को साथ लेकर चलने की कोशिश कर रही है. इसके जरिए पार्टी ये दिखाने की कोशिश करती है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी में इतनी लोकतंत्र है कि कोई अपनी विचार खुलकर रख सके.
वहीं, दूसरी तरफ थरूर अब 70 साल के होने वाले हैं. कई बार उनके बयानों से उनकी महत्वाकांक्षा साफ नजर आती है. संभव है कि वे केरल के सीएम उम्मीदवार पार्टी की ओर से बनना चाहते हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी इसपर कुछ स्पष्ट नहीं कह रही है. इससे दुविधा की स्थिति बनती है.
यही वजह है कि एक तरफ बार-बार थरूर पार्टी लाइन से हटकर बयान देकर पार्टी पर दबाव बनाने की कोशिश करते हैं. वहीं, दूसरी तरफ पार्टी उनके बयानों को नजरअंदाज कर उनपर कार्रवाई से बचती है.
इससे पहले किन-किन मौकों पर थरूर ने पार्टी लाइन से हटकर बयान दिया?
साल 2020 की बात है. सोनिया गांधी उस वक्त बीमार थीं और दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. इसी वक्त कांग्रेस के बागी गुट के नेताओं ने एक मीटिंग की. पहली बार बागी नेताओं की यह मीटिंग शशि थरूर के घर पर ही हुई थी, जिसमें पार्टी के 23 बड़े नेता शामिल हुए थे.
यहीं से सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी गई थी. चिट्ठी में इस बात का भी जिक्र किया गया था कि लोगों का भरोसा पार्टी में घटा है और युवाओं का भी पार्टी के प्रति भरोसा कम हुआ है जो गंभीर चिंता का विषय है. ऐसे में पार्टी में 'नए नेतृत्व और बड़े स्तर पर बदलाव' की जरूरत है.
शीर्ष नेतृत्व में बदलाव की मांग पर पार्टी के भीतर खूब हंगामा मचा था. इसके बाद थरूर सीधे गांधी परिवार को निशाने पर आ गए थे. हालांकि, इसके बावजूद कांग्रेस पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें तिरुवनंतपुरम से टिकट दिया था.
इसके अलावा इसी साल 15 फरवरी को थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी यात्रा की तारीफ की थी, जिसे पार्टी के एक धड़े ने गलत तरीके से लिया था. थरूर ने कहा था, “प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के कुछ महत्वपूर्ण परिणाम देश के लोगों के लिए अच्छे हैं. मुझे लगता है कि इसमें कुछ सकारात्मक हासिल हुआ है, मैं एक भारतीय के रूप में इसकी सराहना करता हूं. इस मामले में मैंने पूरी तरह से राष्ट्रीय हित में बात की है.”
थरूर के इस बयान से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) नाराज हो गई थी. इससे पहले उन्होंने केरल की LDF सरकार की औद्योगिक नीति की तारीफ की थी. जबकि कांग्रेस यहां मुख्य विपक्षी दल है. यही वजह है कि कांग्रेस के कुछ नेताओं को थरूर का बेबाक राय पसंद नहीं आती है.