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क्या है माओ की 'फाइव फिंगर' पॉलिसी, जिसके लिए भारतीय जगहों के नाम बदल रहा चीन?

भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर के बाद अब चीन ने भारतीय जगहों के नाम बदलने की कोशिश की है

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फाइल फोटो)
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फाइल फोटो)
अपडेटेड 14 मई , 2025

“जेंगनेन (अरुणाचल प्रदेश) में कुछ स्थानों के नामों को बदला जा रहा है, जो पूरी तरह से चीन की टेरिटरी का हिस्सा है”

ये बात 14 मई को चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कही है. पिछले 8 साल में यह चौथी बार है, जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश के कई जगहों के नाम बदलने की कोशिश की है.

हालांकि, भारत सरकार ने चीन के इस दावे को खारिज कर दिया है. लेकिन, पाकिस्तान से जारी टकराव के बीच आखिर अरुणाचल प्रदेश के नाम बदलने का ये मामला कैसे शुरू हुआ और चीन क्यों अरुणाचल प्रदेश का नाम बदल रहा है?

अभी ‘अरुणाचल प्रदेश’ के नाम बदलने का मामला कैसे शुरू हुआ?

चीन के नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 11-12 मई को भारतीय क्षेत्र पर दावा जताते हुए एक लिस्ट जारी की, जिसमें अरुणाचल प्रदेश के 27 जगहों के नामों को बदल दिया गया.

दो दिन बाद 13 मई को भारत के विदेश विदेश मंत्रालय ने कड़े शब्दों में चीन के इस दावे को खारिज करते हुए कहा, "चीन भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में कुछ जगहों के नाम बदलने का निरर्थक प्रयास कर रहा है."
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि राज्य भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा.’ विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, “चीन के इन प्रयासों से सच्चाई नहीं बदल सकती. हम इस तरह के प्रयासों को स्पष्ट रूप से अस्वीकार करते हैं.”

भारतीय विदेश मंत्रालय के जवाब में 14 मई को एक बार फिर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने बयान जारी कर अरुणाचल प्रदेश को चीनी टेरिटरी का हिस्सा बताया है.

8 साल में चीन ने कब-कब भारतीय जगहों के नाम बदलने की कोशिश की?

चीन ने पिछले 8 साल में चौथी बार अरुणाचल प्रदेश की जगहों के नाम बदलने की कोशिश की है. अब एक-एक कर चीन के नाम बदलने के प्रयासों को समझते हैं :

नाम बदलने की पहली कोशिश: चीन ने अरुणाचल प्रदेश की जगहों के नाम बदलते हुए पहली लिस्ट 14 अप्रैल 2017 को जारी की थी. इस समय चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 6 जगहों के नाम बदले. इतना ही नहीं दलाई लामा के अरुणाचल प्रदेश के दौरे का भी चीन ने विरोध किया था.

इस वक्त चीन की ओर से जारी लिस्ट में वोग्यानलिंग, मिला री, क्वाइडेंगार्बो री, मेनकुका, बुमो ला और नामकापुब री रोमन नाम से 6 जगहों के नाम बदले गए थे. तब भारत के विदेश मंत्रालय ने चीन के इस दावे को खारिज कर दिया था.

नाम बदलने की दूसरी कोशिश: 2021 में चीन ने अरुणाचल को लेकर नई लिस्ट जारी की, जिसमें अरुणाचल प्रदेश के 15 जगहों के नाम बदल दिए. चीन ने अरुणाचल प्रदेश के न सिर्फ 5 पहाड़ों, 2 नदियों के नाम बदले बल्कि उसने अरुणाचल प्रदेश के 8 रिहायशी इलाकों के भी नाम बदल दिए.  

रिहायशी इलाकों के नाम कुछ इस तरह से रखे गए थे- सेंगकेंगजोंग, मिगपेन, गोलिंग, डांबा, मेजाग, डागलुंगजोंग, मनी गैंगे और डूडिंग. चीन ने नए 'लैंड बॉर्डर कानून' के तहत इन शहरों के नाम बदलने की घोषणा की थी. इस बार भी भारतीय विदेश मंत्रालय ने चीनी दावे को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर खारिज कर दिया.

नाम बदलने की तीसरी कोशिश: 2023 में चीन ने अरुणाचल में 11 जगहों के नाम बदलने की लिस्ट जारी की, जिसमें दो रिहायशी इलाके, 5 पर्वतों की चोटियां, दो नदियां शामिल थीं. हर बार की तरह इस बार भी भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि नाम बदलने से वास्तविकता नहीं बदलती.

अब चौथी बार चीन के दो-दो मंत्रालयों ने पाकिस्तान के साथ जारी टकराव के बीच अरुणाचल प्रदेश के 27 जगहों के नाम बदलने की घोषणा की है. हालांकि, भारत ने इस दावे को खारिज किया है, लेकिन इसके बावजूद यह देश के लिए बड़ी चिंता की बात जरूर है. 

चीन ने फिर भारतीय इलाके पर दावा किया है
चीन ने फिर भारतीय इलाके पर दावा किया है

क्या है माओ की पांच उंगलियों की पॉलिसी, जिसे हकीकत में बदलना चाहता है चीन?

चीनी साम्यवादी दल के संस्थापक अध्यक्ष माओत्से तुंग के विचारों पर काम करने वाले अमेरिकी लेखक स्टुअर्ट रेनॉल्ड्स श्राम अपनी किताब 'द पॉलिटिकल थॉट ऑफ माओत्से तुंग' में चीन की पांच उंगलियों वाली पॉलिसी का जिक्र करते हैं.

माओत्से तुंग का मानना था कि तिब्बत चीन के दाहिने हाथ की हथेली है. इस हथेली की पांच अंगुलियां लद्दाख, नेपाल, सिक्किम, भूटान, और अरुणाचल प्रदेश है. माओ की इस रणनीति के मुताबिक इन क्षेत्रों को 'स्वाधीन करना' चीन का उत्तरदायित्व है.

अब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग माओ के उसी रणनीति को अंजाम तक पहुंचाना चाहते हैं. अपनी इसी रणनीति के तहत माओ ने 1939 में नेपाल और भूटान को भी चीन का एक प्रदेश बताया था.

पिछले 8 साल से जिस तरह चीन लगातार अरुणाचल प्रदेश की जगहों के नाम बदल रहा है, इसे देखकर तो ऐसा ही लगता है कि वह माओ के पांच उंगलियों वाली रणनीति को ही हकीकत में बदलना चाहता है.

अरुणाचल पर चीन के नजर की क्या है असल वजह?

भारतीय सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल और 'चाइना वॉर क्लाउड: द ग्रेट चाइनीज चेकमेट' किताब के लेखक जे.एस. सोढ़ी के मुताबिक, चीन द्वारा बार-बार अरुणाचल प्रदेश के नाम बदलने की तीन वजहें हैं-

पहली वजह: चीन को सबसे बड़ा डर है कि अगला दलाई लामा अरुणाचल प्रदेश से हो सकता है. अगर अगला दलाई लामा अरुणाचल प्रदेश से हुआ तो पास बसे तिब्बत में जो लोग बौद्ध धर्म में आस्था रखते हैं, वो चीन के खिलाफ अपनी आवाज मुखर कर सकते हैं. चीन कभी भी ऐसा नहीं होने देना चाहेगा.

दूसरी वजह: चीन की 90 फीसद आबादी पूर्वी हिस्से में रहती है. अगर भारत को पूर्वी हिस्से पर टारगेट करना है तो इसके लिए अरुणाचल प्रदेश बेहद खास हो जाता है. इसकी बड़ी वजह ये है कि भारत के पास अभी 5 हजार किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें हैं, जबकि लद्दाख से चीन के पूर्वी हिस्से में बसे ज्यादातर शहरों की दूरी औसतन 9 हजार किलोमीटर है.

अरुणाचल प्रदेश से चीन के पूर्वी हिस्से को भारतीय मिसाइलों से टारगेट करना संभव है. चीन भी ये बात समझता है और इसीलिए वह इस हिस्से को कब्जाना चाहता है.

तीसरी वजह: चीन का कहना है कि मिश्मी, तागिन, न्यीशी और गालो अरुणाचल प्रदेश की प्रमुख जनजातियां हैं, जिनके पूर्वज तिब्बत में रहते थे. इन जनजातियों को आधार बनाकर चीन भारत के इस हिस्से को अपना बताता रहा है.

सोढ़ी का कहना है कि अरुणाचल के 27 जगहों के नाम बदलने की पहली दो वजहों में चीन की डर नजर आती है, जबकि तीसरी वजह तथ्यहीन है.

पाकिस्तान से तनाव के बीच चीन के इस फैसले की क्या वजह हो सकती है?

पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल जे.एस. सोढ़ी दावा करते हैं कि चीन की ये स्ट्रेटजी है कि 2035 में पाकिस्तान के साथ मिलकर वह भारत के साथ ‘टू फ्रंट वॉर’ की तैयारी कर रहा है.

सोढ़ी कहते हैं, “मैंने अपनी किताब 'चाइना वॉर क्लाउड: द ग्रेट चाइनीज चेकमेट' में भी इस बात का जिक्र किया है.” सोढ़ी ऐसा कहने के पीछे दो तथ्य बताते हैं.

पहला तथ्य: इसी साल हमारे सेना अध्यक्ष उपेंद्र द्विवेदी ने कहा है कि, “टू फ्रंट वॉर भारत के लिए संभावना नहीं बल्कि हकीकत है.”

दूसरा तथ्य: पिछले साल 4 फरवरी 2024 को अमेरिका की सरकारी संस्था ‘डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस’ ने ‘एनुअल थ्रेट असेसमेंट रिपोर्ट’ सार्वजनिक की है, जिसमें दावा किया गया है कि जिस तरह से भारत और चीन के बीच परिस्थितियां पैदा हो रही है, वो उन्हें 2035 तक जंग की ओर ले जा सकता है.

इसके अलावा 8 जुलाई 2013 को चीन के अखबार ‘विन वी पू’ में छपे एक लेख में इस बात का जिक्र किया गया कि 2050 तक चीन 6 जंग लड़ने की तैयारी कर रहा है.

इसमें तीसरे नंबर पर 2035 तक पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत के साथ टू फ्रंट वॉर करने की बात कही गई है. चीन में कोई राष्ट्रीय अखबार बिना सरकारी इजाजत के इस तरह के लेख नहीं छाप सकता.

इन सभी कड़ियों को अगर जोड़कर देखें तो चीन के इस उकसावे वाले प्रयास का एक ही मतलब है कि वह भारत से टकराव की स्थिति को पैदा कर रहा है.

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