
भारत-पाकिस्तान के बीच 10 मई को युद्धविराम घोषित हो गया है. इससे पहले दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच चुका था और हमले-जवाबी हमले चल रहे थे. इस पूरी लड़ाई में कौन किस पर कितना भारी पड़ा, इसके दोनों तरफ से दावे आते रहेंगे लेकिन इस दौरान एक बात जरूर साफ हो गई है कि भारत अपने आसमान की रक्षा करने और सफलतापूर्व जवाबी हमलों में पाकिस्तान से बहुत आगे है.
बीती 9 मई की रात भी पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइलों का झुंड भारत की ओर भेजा. निशाने पर थे भारत के रणनीतिक सैन्य ठिकाने- अवंतीपुरा, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, लुधियाना, और भुज समेत बॉर्डर के आस-पास के कई इलाके. ये एक सोचा समझा हमला है. लेकिन भारत ने इस आसमानी लड़ाई की तैयारी कर रखी थी. भारत का कवच तैनात है- रूस निर्मित S-400 और स्वदेशी आकाश मिसाइल सिस्टम.
भारत के करीब 15 सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला करने के लिए पाकिस्तानी सेना ने स्वार्म ड्रोन रणनीति का इस्तेमाल किया- एक साथ कई ड्रोन और मिसाइलें भेजकर भारत की हवाई रक्षा को भेदने की कोशिश की. लेकिन भारत की हवाई रक्षा प्रणाली ने इस हमले को भी नाकाम कर दिया. सवाल ये है कि क्या पाकिस्तान भी भारत के जवाबी आसमानी हमलों को इसी तरह कामयाबी से झेल पा रहा है? क्या पाकिस्तान का एयर डिफेंस सिस्टम भारत के मुकाबले उतना ही कारगर है जितना भारत का एयर डिफेंस है?
S-400: भारत का आसमानी कवच
रूस निर्मित S-400, जिसे भारत में ‘सुदर्शन चक्र’ कहा जाता है, दुनिया की सबसे उन्नत लंबी दूरी की हवाई रक्षा प्रणालियों में से एक है. भारत ने 2018 में 35,000 करोड़ रुपये (लगभग 5.4 अरब डॉलर) की डील के तहत इसके पांच स्क्वाड्रन खरीदे थे. यह सिस्टम 600 किलोमीटर दूर तक हवाई खतरों को ट्रैक कर सकता है और 400 किलोमीटर की दूरी तक उन्हें नष्ट कर सकता है.

S-400 की ताकत उसके कई लेवल के डिफेंस सिस्टम में है. ये चार तरह की मिसाइलों से लैस है: 40 किलोमीटर की छोटी दूरी वाली मिसाइल, 120 किलोमीटर की मध्यम दूरी वाली, 250 किलोमीटर की लंबी दूरी वाली, और 400 किलोमीटर की बहुत लंबी दूरी वाली मिसाइल. ये सिस्टम एक साथ 300 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है और 60-80 लक्ष्यों पर हमला कर सकता है, जिसमें 160 मिसाइलें एक साथ हवा में हो सकती हैं.
S-400 का रडार सिस्टम भी इसकी ताकत का आधार है. इसका ‘बिग बर्ड’ रडार 600 किलोमीटर तक हवाई लक्ष्यों को पकड़ सकता है, जिसमें लड़ाकू विमान, क्रूज मिसाइलें, बैलिस्टिक मिसाइलें, और ड्रोन शामिल हैं. ‘ग्रेवस्टोन’ रडार मिसाइलों को टार्गेट तक पहुंचाने में मदद करता है, जबकि ‘40V6’ यूनिट कम उंचाई पर उड़ने वाले खतरों को पकड़ने में सक्षम है. ये सिस्टम एक मोबाइल कमांड सेंटर से चलाया जाता है, जो पूरे ऑपरेशन को कंट्रोल करता है.
भारत का आकाश: स्वदेशी रक्षा कवच
S-400 के साथ-साथ भारत की स्वदेशी आकाश मिसाइल प्रणाली ने भी इस हमले में अहम भूमिका निभाई है. डीआरडीओ द्वारा विकसित और भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) द्वारा निर्मित, आकाश एक मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है. ये 25-30 किलोमीटर की दूरी और 4 से 25 किलोमीटर की उंचाई तक टार्गेट को कामयाबी से हिट कर सकती है. इसकी स्पीड मैक 2.5 (ध्वनि की गति से ढाई गुना तेज़) है, जो इसे कम उंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन, हेलिकॉप्टर, और लो हिटिंग एम्यूनिशन्स के खिलाफ कारगर बनाती है.

आकाश सिस्टम की खासियत इसका स्वदेशी रडार ‘राजेंद्र III’ है, जो एक साथ कई टार्गेट को ट्रैक कर सकता है. ये सिस्टम एक बैटरी में चार लांचरों के साथ आता है, जिसमें हर एक लांचर में तीन मिसाइलें होती हैं. आकाश एक साथ 64 टारगेट्स को ट्रैक और 12 पर हमला कर सकता है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद आकाश ने पाकिस्तानी स्वार्म ड्रोन और कम गति वाले खतरों को निबटाने में असरदार तरीके से काम किया. S-400 और आकाश ने मिलकर एक मल्टीलेवल डिफेंस सिस्टम बनाया है जो करीब-करीब हर तरह के हवाई खतरे से निपटने में सक्षम है. इनके अलावा भारत की एयर डिफेंस को L-70 है, ZCU-23 है, Shilka-29 है, AMT-49 है और बाकी डीआरडीओ की काफ़ी वेरायटी वाली ट्रेसर ड्रीज्लर एयर गन्स तो हैं ही.

HQ-9: पाकिस्तान की हवाई ढाल
दूसरी ओर, पाकिस्तान ने अपनी हवाई रक्षा के लिए चीन निर्मित HQ-9 सिस्टम पर भरोसा किया है. यह सिस्टम रूस के S-300 मिसाइल सिस्टम की रिवर्स इंजीनियरिंग पर आधारित है, न कि S-400 की, जैसा कि अक्सर गलत समझा जाता है. पाकिस्तान ने इसे 2021 में बतौर एयर डिफेंस शामिल किया था, और 2024 के पाकिस्तान डे परेड में इसे पहली बार सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया गया.
HQ-9 की ट्रैकिंग रेंज 250 किलोमीटर और हमले की रेंज 120 किलोमीटर है. ये ज़ाहिर तौर पर S-400 की तुलना में कम असरदार है, लेकिन फिर भी ये पाकिस्तान की हवाई रक्षा का मुख्य आधार है. ये सिस्टम लड़ाकू विमानों, क्रूज मिसाइलों, और कुछ हद तक ड्रोन को नष्ट करने में सक्षम है. हालांकि, इसकी रडार तकनीक और टार्गेट पावरिंग की क्षमता S-400 की तुलना में कमज़ोर है.

ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की तरफ से हुए हवाई हमले की जवाबी कार्रवाई में भारत ने लाहौर के पास एक HQ-9 यूनिट को तबाह करके दिखा दिया था कि पाकिस्तान का एयर डिफेंस भारत की मारक क्षमता से बाहर नहीं है. ये एक ‘सप्रेशन ऑफ एनिमी एयर डिफेन्स’ (SEAD) मिशन था, जिसमें भारत ने इजरायल निर्मित हार्पी ड्रोन का इस्तेमाल किया. इस हमले ने पाकिस्तान की लाइन ऑफ एयर डिफेंस को बुरी तरह से तोड़ दिया है. जिससे पकिस्तान की हवाई हमलों से बचाव की क्षमता कमज़ोर हो गई.
S-400 बनाम HQ-9: कौन किस पर कितना भारी?
S-400 और HQ-9 की तुलना करें तो कई अंतर सामने आते हैं. S-400 की ट्रैकिंग रेंज 600 किमी और हमले की रेंज 400 किमी, HQ-9 की 250 किमी ट्रैकिंग और 120 किमी हमला से कहीं ज़्यादा है. S-400 एक साथ ज़्यादा लक्ष्यों को ट्रैक और तबाह कर सकता है, और इसकी मिसाइलों की वेरायटी इसे एक कम्प्लीट मल्टी लेयर डिफेंस सिस्टम के काबिल बनाती है.
रडार तकनीक में भी S-400 आगे है. इसका मल्टी-एईएसए रडार सिस्टम 360 डिग्री कवरेज देता है और इलेक्ट्रॉनिक काउंटरमेज़र के खिलाफ मज़बूत है. वहीं, HQ-9 का रडार सिस्टम कम उन्नत है और इसमें 360 डिग्री कवरेज की कमी है. इसके अलावा, S-400 की मिसाइलें मैक 14 की स्पीड वाले टारगेट्स को भेद सकती हैं, जबकि HQ-9 भारत की ब्रह्मोस (मैक 3+) जैसी हाई-स्पीड मिसाइलों के खिलाफ बेबस है.

पाकिस्तान के एयर डिफेंस की पूरी कहानी
पाकिस्तान ने अपनी हवाई रक्षा को मज़बूत करने के लिए पिछले कुछ दशकों में कई कदम उठाए हैं. इसका मुख्य कारण भारत की बढ़ती हवाई ताकत और बढ़ता तनाव हैं, खासकर बालाकोट हमले के बाद. पाकिस्तान ने अपने एयर डिफेंस को मल्टी लेयर्ड बनाने की कोशिश की है, जिसे वो CLIAD (कम्प्रिहेन्सिव लेयर्ड इंटीग्रेटेड एयर डिफेन्स) कहता है. इस प्रणाली में लंबी, मध्यम, और छोटी दूरी के सिस्टम्स शामिल हैं, जो ज्यादातर चीन से आयात किए गए हैं. लेकिन हाल के हमलों में इसकी कमज़ोरियां साफ दिखाई दीं.
HQ-9 के भरोसे पाकिस्तान की हवाई रक्षा
पाकिस्तान की हवाई रक्षा का सबसे बड़ा हथियार है चीन निर्मित HQ-9 सिस्टम, जिसे पाकिस्तान ने HQ-9P और HQ-9BE वेरिएंट्स में खरीदा था. ये सिस्टम रूस के S-300 मिसाइल सिस्टम की रिवर्स इंजीनियरिंग पर आधारित है, जिसे चीन की कंपनी CPMIEC ने बनाया है. HQ-9P को 2021 में पाकिस्तानी सेना में शामिल किया गया, और इसे रावलपिंडी, कराची, और लाहौर जैसे संवेदनशील इलाकों में तैनात किया गया.
HQ-9 ट्रैक-वाया-मिसाइल (TVM) तकनीक का इस्तेमाल करता है, जिसमें मिसाइल इंटरसेप्शन के लिए इनर्शियल गाइडेंस, मिड-कोर्स अपडेट्स, और टर्मिनल एक्टिव रडार होमिंग का मिश्रण होता है. इसकी एक बैट्री (यूनिट) का सेटअप बड़ा है, जिसमें कमांड वाहन, 6 कंट्रोल वाहन, 6 टारगेटिंग रडार, 6 सर्च रडार, 48 मिसाइल लांचर, और 192 मिसाइलें शामिल हैं. लेकिन इतना बड़ा सेटअप होने के बावजूद ये सैचुरेशन अटैक (एक साथ कई टार्गेट का हमला) के खिलाफ पूरी तरह असरदार नहीं है. भारत ने इसकी इसी कमज़ोरी का फायदा उठाया और इसे तबाह कर दिया था.

HQ-16 और FM-90 – ये हैं पाकिस्तान के हमराह !
HQ-9 के साथ-साथ पाकिस्तान मध्यम और छोटी दूरी के सिस्टम्स पर भी निर्भर है. HQ-16 (या LY-80) एक मध्यम दूरी का सिस्टम है, जिसे 2019 में पाकिस्तानी सेना में शामिल किया गया. इसकी रेंज 40-70 किमी है, और ये मैक 2.5 की गति वाले टार्गेट को हिट कर सकता है. ये सिस्टम IBS-150 रडार से लैस है और सबसॉनिक खतरों, जैसे ड्रोन और हेलिकॉप्टर, के खिलाफ कारगर माना जाता है.
छोटी दूरी के लिए पाकिस्तान FM-90 (HQ-7) का इस्तेमाल करता है, जो फ्रांस के क्रोटेल सिस्टम की नकल है. इसकी रेंज 15 किमी है, और ये (कमांड-टू-लाइन-ऑफ-साइट) रडार गाइडेंस पर काम करता है. ये ड्रोन और हेलिकॉप्टर जैसे कम ऊंचाई वाले खतरों के खिलाफ ठीक है, लेकिन भारत की मेटियोर (150+ किमी) या ब्रह्मोस (मैक 3+) जैसी आधुनिक मिसाइलों के सामने कमज़ोर है.
पाकिस्तान ने हाल ही में HQ-16FE और FD-2000 जैसे सिस्टम्स को भी शामिल किया है. FD-2000 की रेंज भी 125 किमी है और ये कम ऊंचाई वाली क्रूज मिसाइलों के खिलाफ असरदार है. लेकिन इन सिस्टम्स का लिमिटेड डिप्लॉयमेंट और तकनीकी खामियां उन्हें भारत की हवाई रक्षा के सामने कमज़ोर बनाती हैं.
स्वदेशी कोशिशें पाकिस्तान की : LoMADS और FAAZ-SL
पाकिस्तान स्वदेशी हवाई रक्षा सिस्टम्स पर भी काम कर रहा है, जैसे LoMADS (लो टू मीडियम एयर डिफेन्स सिस्टम) और FAAZ-SL. LoMADS की रेंज 7 से 100 किमी तक होने की पाकिस्तान को उम्मीद है, जबकि FAAZ-SL 20 से 25 किमी तक कारगर होगा. ये सिस्टम अभी शुरुआती स्टेप में हैं और इन्हें पूरी तरह ऑपरेशनल होने में कई साल लग सकते हैं. अभी के लिए, पाकिस्तान की हवाई रक्षा ज्यादातर चीन से मंगवाए सिस्टम पर टिकी हुई है.

ऑपरेशन सिंदूर से साबित हो चुकी है HQ-9 की नाकामयाबी !
7-8 मई 2025 की रात, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत PoK और पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए. इन हमलों में भारतीय मिसाइलें और ड्रोन 100 किमी अंदर तक गए, जिसमें बहावलपुर और मुरीदके जैसे इलाके शामिल थे. हैरानी की बात ये थी कि पाकिस्तान का HQ-9 सिस्टम इन हमलों को रोकने में पूरी तरह नाकाम रहा.
पाकिस्तान की रणनीति और मुश्किल!
पाकिस्तान ने अपने एयर डिफेंस को मज़बूत करने के लिए चीन पर आंख बंद करके भरोसा किया है. बालाकोट हमले और रूस-यूक्रेन वॉर ने उसे स्टैंड-ऑफ रेंज हमलों (सीमा के भीतर से हमला) के खतरों का अहसास कराया. इसीलिए उसने HQ-9 और HQ-16 जैसे सिस्टम्स को शामिल किया. लेकिन पाकिस्तान की कई चुनौतियां हैं. पहला, उसकी रक्षा प्रणाली की रेंज और रडार तकनीक भारत से पीछे है. दूसरा, उसके सिस्टम्स सैचुरेशन अटैक और स्टील्थ हमलों के खिलाफ कमज़ोर हैं. तीसरा, स्वदेशी सिस्टम्स (जैसे LoMADS) अभी तैयार नहीं हैं, जिससे वह आयात पर निर्भर है. चौथा, ऑपरेशनल अनुभव और कोर्डिनेशन में कमी है, जैसा कि ऑपरेशन सिंदूर में दिखा.

कुल मिलाकर, भारत की एयर डिफेंस रणनीति न सिर्फ पाकिस्तान, बल्कि चीन जैसे बाकी के पड़ोसियों के खिलाफ भी कारगर है, जो खुद S-400 का इस्तेमाल करता है. ये बात साफ है कि जब तक पाकिस्तान या कोई और पड़ोसी भारत में आसमान के भरोसे जान-माल के नुक्सान का सपना देखता है, तब तक हमारा आसमानी कवच इन्हें नींद से जगाता रहेगा.