18 सितंबर को रांची में आयोजित एक कार्यक्रम में भारतीय सेना के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर के बारे में महत्वपूर्ण खुलासा किया. उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने जानबूझकर 7 मई को रात 1 बजे ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देने का निर्णय लिया.
CDS चौहान ने कहा, "हर किसी के मन में यह सवाल है कि हमने पाकिस्तान पर रात के एक बजे ही हमला क्यों किया? उस समय फोटोग्राफ लेना, सैटेलाइट इमेज प्राप्त करना और सबूत इकट्ठा करना बहुत मुश्किल था. इन सभी चुनौतियों के बावजूद, हमने रात के लगभग एक से डेढ़ बजे के बीच पाकिस्तान पर हमला किया."
CDS चौहान ने आगे कहा, "दो वजहों से हमने यह समय चुना. पहला तो यह कि हमें अपनी क्षमता पर भरोसा था कि अगर हम रात में हमला करेंगे तो उस समय भी उस जगह की इमेज ले सकते हैं. इसके अलावा हम लोग नहीं चाहते थे कि इस हमले में आम लोगों की मौत हो."
उन्होंने कहा, "इस तरह के ऑपरेशन के लिए सबसे अच्छा समय सुबह 5.30 या 6 बजे का होता है... लेकिन वह पहली अज़ान या नमाज़ का समय होता है... ऐसे में इस वक्त अगर पाकिस्तान पर हमला किया जाता तो कई नागरिकों की जान चली जाती. हम इससे पूरी तरह बचना चाहते थे."
इस कार्यक्रम में CDS चौहान ने यह भी कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने एक नए तरह के युद्ध की शुरुआत की. उन्होंने आगे कहा कि पारंपरिक युद्धों के विपरीत, यह जमीन, हवा, समुद्र, विद्युत चुम्बकीय तरंगों और साइबर क्षेत्रों में लड़ा गई जंग थी, जहां दुश्मन को केवल सैटेलाइट और इलेक्ट्रॉनिक इमेज या सिग्नल इंटेलिजेंस की मदद से ही देखा जा सकता था.
जनरल चौहान ने कहा कि पिछली बार उरी और बालाकोट हमलों के दौरान हमने जमीन और हवा से हमला किया था, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर में हमने एक नई रणनीति अपनाई. हमने ड्रोन का इस्तेमाल कर पाकिस्तान पर हमला किया. उन्होंने कहा कि युद्ध का विकसित होता स्वरूप अब संख्या या क्षेत्रीय कब्जे से ज्यादा प्रौद्योगिकी के जरिए संचालित होता है.