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बीजेपी को मिले राजनीतिक चंदे पर चुनाव आयोग की रिपोर्ट क्या बताती है?

इस रिपोर्ट में यह भी जिक्र है कि बीजेपी के मुख्यमंत्रियों, योगी आदित्यनाथ, हिमंता बिस्व सरमा और शिवराज सिंह चौहान ने पार्टी को कितना चंदा दिया

JP Nadda
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा
अपडेटेड 10 दिसंबर , 2023

बीते दिनों चुनाव आयोग ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को मिले चंदे पर एक रिपोर्ट जारी की है. यह रिपोर्ट वित्त वर्ष 2022-23 के लिए है. 441 पन्नों की इस रिपोर्ट में भाजपा को 20,000 रुपये से अधिक के मिले हर चंदे का जिक्र है. चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक इलेक्टोरल बॉन्ड के अलावा किसी पार्टी को मिलने वाले 20,000 रुपये से अधिक के चंदे की रिपोर्ट उसे अनिवार्य तौर पर आयोग को देनी होगी.

फिर आयोग इसमें दी गई जानकारियों की जांच करके, उसे सार्वजनिक करता है. आयोग का एक नियम यह भी है कि 20,000 या इससे अधिक की राशि नकद में नहीं दी जा सकती और इसे अनिवार्य तौर पर चेक, बैंक ट्रांसफर, ऑनलाइन ट्रांसफर या यूपीआई के माध्यम से ही दिया जा सकता है. ऐसे सभी दानदाताओं का नाम, पता और पैन नंबर पार्टी को अपने रिकॉर्ड में रखना होता है.

वहीं इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से पार्टियों को मिलने वाले दान में दानदाताओं का नाम शामिल नहीं होता. चुनाव आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 में भाजपा को इलेक्टोरल बॉन्ड के अलावा 20,000 रुपये के अधिक के दान के माध्यम से कुल 719.83 करोड़ रुपये मिले. जबकि पार्टी को इस माध्यम से 2021-22 में 614.52 करोड़ रुपये मिले थे. यानी पिछले वित्त वर्ष में पार्टी को तकरीबन 105 करोड़ रुपये अधिक मिले. पार्टी को ये दान लोगों के अलावा चुनावी ट्रस्ट, कंपनियों और अन्य संगठनों से मिले हैं.

2022-23 में भाजपा को मिले कुल दान का तकरीबन 35 प्रतिशत हिस्सा यानी 256.25 करोड़ रुपये सिर्फ एक चुनावी ट्रस्ट ने दिया है. इसका नाम है प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट. इस ट्रस्ट के बारे में जानने से पहले यह जान लेते हैं कि चुनावी ट्रस्ट होते क्या हैं? दरअसल, ऐसे ट्रस्ट का गठन इसलिए होता है ताकि कॉरपोरेट घरानों को सीधे राजनीतिक चंदा न देना पड़े. कॉरपोरेट या कंपनियां इन ट्रस्टों को दान देती हैं और फिर ये ट्रस्ट राजनीतिक दलों को चंदा देते हैं.

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के मुताबिक निजी कंपनियों से राजनीतिक दान के लिए जो पैसे चुनावी ट्रस्टों को मिलते हैं, उनमें से तकरीबन 90 फीसदी हिस्सा प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट के पास जाता है. दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग में इसका दफ्तर है. पहले इसका नाम सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट था.

2013-14 से प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट के माध्यम से जो राजनीतिक दान दिया जाता है, उसमें केंद्र की सत्ताधारी बीजेपी की सबसे बड़ी हिस्सेदारी रहती है. इस ट्रस्ट के माध्यम से भाजपा और कांग्रेस को मिलने वाली दान की रकम में काफी अंतर रहता है. उदाहरण के तौर पर 2019-20 में इस ट्रस्ट ने बीजेपी को 216.75 करोड़ रुपये का दान दिया, जबकि कांग्रेस को सिर्फ 31 करोड़ रुपये मिले थे.

प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट को मुख्य रूप से जिन कंपनियों से राजनीतिक दान के लिए पैसे मिलते हैं, उनमें भारती एयरटेल, फ्यूचर गेमिंग ऐंड होटल सर्विसेज, मेघा इंजीनियरिंग ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर इंडिया लिमिटेड, भारती इन्फ्राटेल और फिलिप्स कार्बन ब्लैक जैसी कंपनियां शामिल हैं.

2022-23 में भाजपा को मिले राजनीतिक चंदे में उसके मुख्यमंत्रियों की भी हिस्सेदारी है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले वित्त वर्ष में पार्टी को 1.25 लाख रुपये दान किए हैं. वहीं असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने तीन लाख रुपये दान किए हैं. हेमंता बिस्वा सरमा ने पूरे साल में 25,000 रुपये 12 बार दान किए हैं यानी हर महीने औसतन 25,000 रुपये. इसी दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पार्टी को 25,000 रुपये का चंदा दिया है. अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने पिछले वित्त वर्ष में पार्टी को दो लाख रुपये दान किए हैं. वहीं त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने पार्टी को दान में 30,000 रुपये दिए हैं.

पिछले वित्त वर्ष में 89 लोग या कंपनियां ऐसे रहे हैं, जिन्होंने भाजपा को 50 लाख रुपये का राजनीतिक चंदा दिया है. वहीं एक करोड़ रुपये का दान देने वालों की संख्या 65 है. जबकि पांच करोड़ रुपये दान देने वालों की संख्या 16 है. वहीं 10 करोड़ रुपये से अधिक का दान देने वाली की संख्या सात है. पुणे की बीजी शिरके कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड ने अकेले भाजपा को 2022-23 में 25 करोड़ रुपये का दान दिया है.

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