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भाजपा सांसद भर्तृहरि महताब बने प्रोटेम स्पीकर, लेकिन ये पद होता क्या है?

ओडिशा के कटक से भाजपा सांसद भर्तृहरि महताब 18वीं लोकसभा में प्रोटेम स्पीकर होंगे. वे ही नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाएंगे

नई संसद भवन में स्थित लोकसभा (फाइल फोटो)
नई संसद भवन में स्थित लोकसभा (फाइल फोटो)
अपडेटेड 21 जून , 2024

जून की 24 तारीख से 18वीं लोकसभा का पहला सत्र शुरू होगा. 3 जुलाई तक चलने वाले इस सत्र में नवनिर्वाचित सांसद तो शपथ लेंगे ही, साथ ही नए स्पीकर यानी लोकसभा अध्यक्ष का भी चुनाव होगा. दरअसल, पुरानी लोकसभा जब भंग हो जाती है तो स्पीकर भी अपना पद छोड़ देता है. चुनाव के बाद जब नई सदन की बैठक होती है तो कुछ अहम कार्यों में स्पीकर की जरूरत पड़ती है.

इस जरूरत को पूरा करने के लिए एक कामचलाऊ या कहिए अस्थायी स्पीकर को नियुक्त किया जाता है, जिसे प्रो-टेम स्पीकर कहा जाता है. प्रो-टेम एक लैटिन शब्द है जिसका मतलब है - फिलहाल के लिए. ओडिशा के कटक से भाजपा सांसद भर्तृहरि महताब 18वीं लोकसभा में प्रोटेम स्पीकर बने हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस पद की अहमियत क्या है, और इसका चुनाव कैसे किया जाता है?

इस बात में शायद ही कोई शक-शुबह हो कि संसद के निचले सदन में सबसे महत्वपूर्ण पद लोकसभा अध्यक्ष का होता है. वह सदन में सुचारु रूप से कामकाज चलाने के लिए जिम्मेदार होता है, व्यवस्था बनाए रखता है. अगर सांसद सदन में हो-हल्ला मचाते हैं या बुरा व्यवहार करते हैं तो स्पीकर के पास अधिकार होता है कि वह चल रही कार्यवाही को स्थगित कर सकता है. नियमों और प्रक्रियाओं के संबंध में भी अंतिम फैसला स्पीकर ही लेता है.

लेकिन पुरानी लोकसभा के भंग होने के बाद, नई सदन की पहली बैठक के ठीक पहले स्पीकर को अपना पद छोड़ना होता है. संविधान के अनुच्छेद 94 के मुताबिक, "जब भी लोक सभा भंग होती है तो इसका अध्यक्ष विघटन के बाद नई लोक सभा की पहली बैठक से ठीक पहले तक अपना पद खाली नहीं करेगा." नई लोकसभा के लिए स्पीकर का चुनाव साधारण बहुमत के जरिए होता है. लेकिन उसके चुनाव तक प्रो-टेम स्पीकर को कुछ महत्वपूर्ण कर्तव्यों को पूरा करने के लिए चुना जाता है.

एक चुने हुए प्रो-टेम स्पीकर के पास कई महत्वपूर्ण काम होते हैं. मसलन, वह नई लोकसभा की प्रथम बैठक की अध्यक्षता करता है. इसके अलावा नए चुने हुए सांसदों को पद की शपथ दिलाना हो, सदन में बहुमत साबित करने के लिए सरकार को फ्लोर टेस्ट के लिए आमंत्रित करना या फिर स्पीकर और उपाध्यक्ष के चुनाव के लिए वोटिंग कराना हो, ये सभी काम प्रो-टेम स्पीकर ही करता है.

वैसे तो संविधान में कहीं भी प्रो-टेम स्पीकर पद का जिक्र नहीं किया गया है. लेकिन संसदीय कार्य मंत्रालय के कामकाज पर आधारित उसकी आधिकारिक पुस्तिका में इसका उल्लेख जरूर है. पुस्तिका में कहा गया है, "जब नई लोकसभा के गठन से पहले स्पीकर का पद खाली हो जाता है तो उसके कर्तव्यों का निर्वहन सदन का एक सदस्य करेगा. इस काम के लिए अस्थायी अध्यक्ष के रूप में उसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी."

हालांकि जब सदन का नया अध्यक्ष चुन लिया जाता है तब प्रोटेम स्पीकर का पद खत्म हो जाता है. आम तौर पर सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य (जिसने सदन में सबसे ज्यादा साल बिताया हो) को प्रो-टेम स्पीकर पद के लिए चुना जाता है. इसके अलावा तीन अन्य सांसद भी प्रो-टेम स्पीकर की सहायता के लिए चुने जाते हैं. तीनों सांसदों का चुनाव भी वरिष्ठता क्रम के आधार पर ही होता है.

पिछली बार (2019 में) मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ से सात बार के सांसद रहे वीरेंद्र कुमार को प्रो-टेम स्पीकर चुना गया था. इस बार प्रोटेम स्पीकर के रूप में भाजपा सांसद भर्तृहरि महताब के नाम का एलान हुआ है. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि 7 बार सांसद रह चुके भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया गया है.

इसके अलावा उनकी सहायता के लिए अध्यक्षों के एक पैनल का भी गठन किया जाएगा. इस पैनल में कांग्रेस नेता के सुरेश, डीएमके नेता टी आर बालू, भाजपा सांसद राधा मोहन सिंह और फग्गन सिंह कुलस्ते और टीएमसी नेता सुदीप बंद्योपाध्याय शामिल होंगे. 

महताब इस बार के आम चुनाव में ओडिशा के कटक से 57,077 वोटों से चुनाव जीते थे. उन्होंने बीजेडी (बीजू जनता दल) के संतरूप मिश्रा को हराया था. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 95(1) के तहत कटक से भाजपा सदस्य भर्तृहरि महताब को अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त किया है. वे लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव तक लोकसभा के पीठासीन अधिकारी के कर्तव्यों निर्वहन करेंगे. इस लोकसभा चुनाव से पहले महताब बीजेडी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे. 

बहरहाल, जैसे ही नई सरकार बनती है भारत सरकार का विधायी विभाग लोकसभा के वरिष्ठतम सदस्यों की एक सूची तैयार करता है. इसके बाद इसे संसदीय कार्य मंत्री या प्रधानमंत्री को भेजा जाता है ताकि प्रो-टेम स्पीकर और तीन अन्य सदस्यों को शपथ ग्रहण के लिए चुना जा सके. एक बार जब प्रधानमंत्री से इसकी स्वीकृति मिल जाती है तब संसदीय कार्य मंत्री आम तौर पर टेलीफोन के जरिए इन सदस्यों की सहमति हासिल करते हैं.

सहमति मिलने के बाद वे राष्ट्रपति को एक नोट सौंपते हैं जिसमें प्रो-टेम स्पीकर और तीनों सदस्यों की नियुक्ति के लिए उनसे अप्रूवल मांगा जाता है. इस दौरान वे शपथ ग्रहण समारोह की तारीख और समय भी तय कर लेते हैं. राष्ट्रपति से जब मंजूरी मिल जाती है तब संसदीय मंत्रालय प्रोटेम स्पीकर के अलावा तीनों सदस्यों को उनकी नियुक्तियों के बारे में सूचित करता है.

अब यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि राष्ट्रपति प्रो-टेम स्पीकर को राष्ट्रपति भवन में शपथ दिलाते हैं. जबकि प्रो-टेम स्पीकर के साथ जो तीन अन्य सदस्य चुने जाते हैं उनका शपथ ग्रहण लोकसभा में होता है. यहां प्रो-टेम स्पीकर ही उन्हें शपथ दिलाते हैं. एक बार जब इन सभी का शपथ ग्रहण हो जाता है तब प्रो-टेम स्पीकर, अन्य तीन सदस्यों की मदद से नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाते हैं.

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