लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान हो गया है और अब 6 चरणों का मतदान होना बाकी है. वहीं चुनावी नतीजों का ऐलान 4 जून को होना है. इन नतीजों में देश की सरकार के साथ-साथ कई राज्यों के पूर्व मुख्यमंत्रियों की आगे की राजनीति भी तय होगी.
इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी से लेकर कांग्रेस तक ने चुनावी मैदान में आगे निकलने के लिए पूर्व मुख्यमंत्रियों पर दांव लगाया है. इस लिस्ट में शिवराज सिंह चौहान, मनोहर लाल खट्टर, त्रिवेंद्र सिंह रावत, भूपेश बघेल और चरणजीत सिंह चन्नी जैसे नेताओं का नाम शामिल है.
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विदिशा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. पिछले साल राज्य के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को बहुमत दिलाने के पीछे शिवराज की भूमिका अहम मानी गई थी. एक्सपर्ट्स का कहना था कि राज्य में जो योजनाएं उन्होंने चलाईं उसका असर चुनाव परिणामों में देखने को मिला.
शिवराज के समर्थकों को ऐसी उम्मीद थी कि विजयी जनाधार के बाद एक बार फिर 'मामा' ही एमपी की गद्दी संभालेंगे. हालांकि पार्टी ने राज्य की कमान मोहन यादव के हाथ में सौंप दी. लेकिन सीएम ना रहने पर चौहान का बीजेपी, एमपी और देश की राजनीति में क्या रोल होगा, यह सवाल हर किसी के मन में था. उस वक्त से ही ऐसी अटकलें तेज थीं कि बीजेपी आलाकमान शिवराज को केंद्रीय राजनीति में ला सकता है.
यह अंदेशा तब सही साबित हुआ जब बीजेपी ने विदिशा से शिवराज सिंह चौहान को मैदान में उतारने का फैसला किया. विदिशा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का संसदीय क्षेत्र भी रहा है. वहीं शिवराज सिंह चौहान ने भी अपना पहला लोकसभा चुनाव यहीं से लड़ा और जीता था. शिवराज साल 2005 से लेकर 2023 तक एमपी के सीएम थे.
साल 2005 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले शिवराज पांच बार सांसद रह चुके हैं. कांग्रेस के पूर्व सांसद प्रतापभानु शर्मा विदिशा से शिवराज को चुनौती दे रहे हैं. शर्मा खुद भी इसी सीट से दो बार संसद तक का सफर तय कर चुके हैं. इस सीट पर चौथे चरण के तहत 13 मई को वोट डाले जाएंगे.
मध्य प्रदेश के एक और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह भी लोकसभा चुनावों में अपनी किस्मत आजमाते हुए नजर आएंगे. कांग्रेस ने उनको राजगढ़ से उतारा है. दिग्विजय सिंह 1993 से लेकर 2003 तक एमपी के सीएम रहे. वहीं रायगढ़ से बीजेपी ने मौजूदा सांसद रोडमल नागर पर फिर से भरोसा जताया है.
मध्य प्रदेश के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव हारने के बाद लोकसभा में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए पूर्व सीएम भूपेश बघेल को राजनांदगांव से लोकसभा चुनाव में उतारा है. भूपेश 2018 से 2023 तक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे थे. भले ही 2023 के विधानसभा चुनावों में भूपेश के नेतृत्व में कांग्रेस को बुरी हार का समना करना पड़ा हो, पर पार्टी लोकसभा में कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रही. बीजेपी ने राजनांदगांव से संतोष पांडे को बघेल के खिलाफ उतारा है. इस सीट पर दूसरे चरण के तहत 26 अप्रैल को मतदान होना है.
राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा में बीजेपी ने राज्य के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर को लोकसभा चुनाव लड़ने की जिम्मेदारी सौंपी है. खट्टर दिसंबर 2014 से मार्च 2024 तक हरियाणा के सीएम रहे. हालांकि इस लोकसभा इलेक्शन में वे करनाल से चुनावी मैदान में हैं. करनाल में छठे चरण के तहत 25 मई को मतदान होना है, वहीं इस सीट पर कांग्रेस समेत दूसरी पार्टियों ने अभी तक अपने उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया है.
हरियाणा से सटे पंजाब में भी राज्य के पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी लोकसभा चुनाव में जालंधर से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. चरणजीत सिंह साल 2021 में पंजाब के सीएम बने थे और साल 2022 तक वे इस पद पर रहे. कांग्रेस ने 2022 का विधानसभा चुनाव चन्नी के नेतृत्व में ही लड़ा था पर उसे हार का सामना करना पड़ा. जालंधर में चन्नी का मुकाबला आम आदमी पार्टी के पवन टीनू, बसपा के बलविंदर कुमार, अकाली दल के मोहिंदर सिंह केपी और बीजेपी के सुशील रिंकू से होगा.
दक्षिण भारत से भी चुनावी मैदान में उतरे ये पूर्व मुख्यमंत्री
उत्तर भारत की तरह दक्षिण भारत के चुनावी मैदान में भी अलग-अलग राज्यों के पूर्व सीएम अपना दम-खम दिखा रहे हैं. कर्नाटक के पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार बीजेपी की तरफ से बेलगाम सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं. शेट्टार 2012 से 2013 तक कर्नाटक के सीएम थे. वहीं 2021 से 2023 तक कर्नाटक के सीएम रहे बासवराज बोम्मई भी भाजपा की तरफ से हावेरी सीट पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.
कर्नाटक के ही एक और पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी भी अपनी पार्टी जेडीएस के टिकट पर मांड्या सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं. कुमारस्वामी 2006 से 2007 तक और फिर 2018 से 2019 तक कर्नाटक के सीएम थे. वहीं आंध्र प्रदेश की राजमपेट सीट से भाजपा ने पूर्व सीएम नल्लारी किरण कुमार रेड्डी को मैदान में उतारा है. रेड्डी 2010 से 2014 तक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे.
दक्षिण की सबसे ज्यादा सीटों वाले राज्य तमिलनाडु से भी पूर्व सीएम ओ पनीरसेल्वम निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर रामनाथपुरम सीट से उम्मीदवारी पेश कर रहे हैं. भले ही पनीरसेल्वम निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हों पर इनको भाजपा का समर्थन भी हासिल है. पनीरसेल्वम 2001 से 2002, 2014 से 2015 और फिर 2016 से 2017 तक तमिलनाडु के सीएम रहे.
कश्मीर से तीन पूर्व सीएम लड़ रहे लोकसभा चुनाव
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर से तीन पूर्व मुख्यमंत्री इस बार लोकसभा इलेक्शन लड़ने जा रहे हैं. 2016 से 2018 तक सीएम रहीं महबूबा मुफ्ती अनंतनाग-राजौरी सीट से चुनावी मैदान में हैं. तो वहीं 2009 से 2015 तक राज्य की कमान संभालने वाले उमर अब्दुल्ला भी बारामुला से चुनाव लड़ रहे हैं. जबकि कांग्रेस से अलग हुए राज्य के पूर्व सीएम गुलाम नबी आजाद अनंतनाग-राजौरी सीट पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं. यानि इस सीट पर महबूबा और आजाद के बीच सीधा मुकाबला है. आजाद 2005 से 2008 तक जम्मू कश्मीर के सीएम थे.
उत्तर पूर्वी राज्यों के पूर्व सीएम भी लड़ रहे लोकसभा चुनाव
दक्षिण भारत और कश्मीर के अलावा उत्तर पूर्वी राज्यों के पूर्व सीएम भी इस बार लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाते नजर आ रहे हैं. असम के पूर्व सीएम सर्बानंद सोनवाल को बीजेपी ने डिब्रूगढ़ सीट से लोकसभा चुनाव में उतारने का फैसला किया है. सोनेवाल 2016 से 2021 तक असम के सीएम थे. वहीं त्रिपुरा के पूर्व सीएम बिप्लब कुमार देब भी त्रिपुरा पश्चिम सीट से बीजेपी के उम्मीदवार है. बिप्लब 2018 से 2022 तक त्रिपुरा के सीएम थे. इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश के पूर्व सीएम नबाम तुकी अरुणाचल पश्चिम सीट पर कांग्रेस का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. तुकी 2011 से 2016 तक अरुणाचल के सीएम थे.
बिहार, झारखंड, उत्तराखंड और पुदुचेरी के पूर्व सीएम भी लड़ रहे हैं चुनाव
2014 से 2015 तक बिहार के सीएम रहे जीतन राम मांझी अपनी पार्टी ‘हम’ की तरफ से गया से लोकसभा चुनाव में उतरे हैं. जीतन राम की पार्टी बिहार में एनडीए गठबंधन का हिस्सा भी है. वहीं बिहार से अलग हुए राज्य झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा भाजपा के टिकट पर खूंटी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. मुंडा 2003 से 2006 और फिर 2010 से 2013 तक झारखंड के सीएम थे.
वहीं उत्तराखंड के पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत हरिद्वार सीट से बीजेपी उम्मीदवार हैं. रावत 2017 से 2021 तक राज्य के सीएम थे. पुदुचेरी के पूर्व सीएम वी वैथिलिंगम भी पुदुचेरी सीट से कांग्रेस की तरफ से लोकसभा चुनाव में खड़े हैं. वे 1991 से 1996 और फिर 2008 से 2011 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे.
उत्तर प्रदेश से चुनावी मैदान में तीन पूर्व सीएम
उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव भी अब उस लिस्ट में शामिल हो गए हैं जो 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं. अखिलेश कन्नौज लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं. इस सीट पर सपा ने पहले तेज प्रताप को टिकट दिया था. सपा महासचिव और राज्यसभा से सांसद रामगोपाल यादव ने अखिलेश की उम्मीदवारी का ऐलान किया है. इससे पहले भी अखिलेश कन्नौज से ही सांसद रहे थे. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश ने आजमगढ़ से सांसदी जीती थी. सपा सुप्रीमो 2012 से 2017 तक यूपी के सीएम भी रह चुके हैं.
पीएम मोदी भी उन नेताओं की लिस्ट में आते हैं जो पूर्व में मुख्यमंत्री रह चुके हैं. नरेंद्र मोदी 2001 से 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री थे. 2014 में उन्होंने उत्तर प्रदेश की वाराणसी सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत दर्ज करते हुए भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. इसके बाद 2019 में भी मोदी वाराणसी से ही लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करते हुए प्रधानमंत्री पद पर काबिज हुए. 2014 में भी पीएम मोदी लगातार तीसरी बार वाराणसी से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं पिछली बार की तरह इस बार भी उनके सामने कांग्रेस के अजय राय की चुनौती है. वाराणसी में सातवें चरण के मतदान के तहत 1 जून को वोट डाले जाएंगे.
पीएम मोदी की कैबिनेट में शामिल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी 2000 से 2002 तक उत्तर प्रदेश के सीएम की कुर्सी संभाल चुके हैं. 2019 में राजनाथ सिंह ने लखनऊ सीट से लोकसभा चुनाव जीता था. 2024 में भी राजनाथ इसी सीट से लड़ रहे हैं. राजनाथ के सामन कांग्रेस और सपा के गठबंधन उम्मीदवार रविदास मेहरोत्रा और बसपा के सरवर अली की चुनौती है. उत्तर प्रदेश की राजधानी में पांचवे चरण के तहत 20 मई को वोटिंग होगी.