अप्रैल की 22 तारीख को कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले को अंजाम देने वाले ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) को अमेरिका ने वैश्विक आतंकवादी' संगठन घोषित कर दिया है. इसके साथ ही अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने स्पष्ट संदेश दिया है कि अमेरिका सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ खड़ा है.
पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी के मार्गदर्शन में TRF पर पहलगाम हमले को अंजाम देने के आरोप लगे हैं. इस घटना में 26 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. घटना की जिम्मेदारी TRF ने ली, जिसका प्रशिक्षण केंद्र पाकिस्तान में स्थित है.
अमेरिका के इस ऐलान का भारत ने स्वागत किया है. इस फैसले को भारत-अमेरिका के बीच आतंकवाद विरोधी लड़ाई में मजबूत होते साथ के रूप में देखा जा रहा है.
अमेरिका की ओर से यह कदम क्वाड विदेश मंत्रियों के लश्कर-ए-तैयबा (LET), जैश-ए-मोहम्मद (JEM), इस्लामिक स्टेट (ISIS) और अल-कायदा जैसे आतंकी संगठनों पर वैश्विक कार्रवाई तेज करने के संकल्प लेने के बाद उठाया गया है.
फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाशिंगटन यात्रा के बाद भारत और अमेरिका ने संयुक्त बयान जारी कर 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले और पठानकोट आतंकवादी हमले के पीड़ितों को न्याय दिलाने की बात कही थी. ऐसा कहकर दोनों देशों ने पाकिस्तान पर आतंकियों को सौंपने का दबाव डाला था.
TRF के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब होने के बाद पाकिस्तान की शह पर पलने वाले आतंकवादियों को यह स्पष्ट संदेश मिला है कि अब आतंकवादियों के लिए कोई सुरक्षित पनाहगाह नहीं है.
सुरक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने और कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने के बाद ही TRF नाम से यह नया आतंकी संगठन बना.
यह आतंकी संगठन प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा का एक नया स्वरूप है, जिसका संचालन पाकिस्तानी सेना और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के टॉप अधिकारी करते हैं. हालांकि, पाकिस्तान TRF को भारत का घरेलू उग्रवाद बताने की कोशिश करता है.
पाकिस्तान के इन दावों के बावजूद यह सच्चाई अब सामने आ चुकी है कि TRF पूरी तरह से लश्कर के सैन्य और वित्तीय समर्थन पर निर्भर है. इसका नेतृत्व, प्रशिक्षण अड्डे और सुरक्षित ठिकाने पाकिस्तान में स्थित हैं.
इस नए संगठन को बनाने का उद्देश्य पाकिस्तान को वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) की जांच से बचाना है. साथ ही इस संगठन को कश्मीर के विद्रोही गुट का संगठन बताकर लश्कर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों और जिम्मेदारी से बचना चाहता है. TRF को कश्मीर में स्थानीय प्रतिरोध समूह के रूप में प्रस्तुत कर वह इस संगठन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहानुभूति हासिल करना चाहता है.
कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर TRF के हमले को इस पूरे क्षेत्र को अस्थिर करने और कश्मीर घाटी में स्थानीय विद्रोह के पाकिस्तान के झूठे प्रोपेगेंडा को आगे बढ़ाने के उद्देश्य के तौर पर देखा जा रहा है.
डिजिटल फुटप्रिंट और इंटरसेप्ट किए गए खुफिया मैसेज कथित तौर पर पुष्टि करती है कि ये आदेश पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर की ओर से आए थे. उन्होंने पहलगाम में आतंकी हमला कराने का फैसला घरेलू अशांति और इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पर कार्रवाई से ध्यान हटाने के उद्देश्य से किया था. इसके साथ ही फील्ड मार्शल के रूप में अपनी असंवैधानिक स्व-नियुक्ति को सही ठहराने के लिए मुनीर ने यह कदम उठाया.
भारत सरकार ने जनवरी 2023 में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत TRF को एक आतंकवादी संगठन घोषित किया था. भारत में इस समूह के हमले नागरिकों, अल्पसंख्यकों, पर्यटकों और सुरक्षा बलों पर केंद्रित रहे हैं.
संगठन के नेतृत्व करने वालों में शेख सज्जाद गुल (वर्तमान में सक्रिय और एक घोषित आतंकवादी), मुहम्मद अब्बास शेख (संस्थापक, मृत), बासित अहमद डार (पूर्व कमांडर, मृत ) और अहमद खालिद (प्रवक्ता, सक्रिय) शामिल हैं.
पहलगाम के अलावा जम्मू-कश्मीर में कई हाई-प्रोफाइल आतंकी हमलों में TRF शामिल रहा है. जून 2024 में रियासी में हिंदू तीर्थयात्रियों पर बस हमला, जिसमें नौ लोग मारे गए थे और अक्टूबर 2024 में गंदेरबल में 6 प्रवासी मजदूरों की हत्या में भी इसी आतंकी संगठन का नाम सामने आया था.
इसके अलावा सितंबर 2023 में अनंतनाग में सेना और पुलिस अधिकारियों की हत्या और जुलाई 2020 में बांदीपोरा में एक भाजपा नेता और उनके परिवार की हत्या भी TRF के आतंकी शामिल थे.
TRF के संस्थापक मुहम्मद अब्बास शेख संगठन बनाने से पहले हिज्बुल मुजाहिदीन से जुड़ा था. 2021 में उसे सुरक्षा बलों ने मार गिराया था. उसके बाद बासित अहमद डार ने कमान संभाली, जो मई 2024 में मारा गया. वर्तमान में शेख सज्जाद गुल TRF का एक प्रमुख योजनाकार है और पाकिस्तान से अपनी गतिविधियां संचालित करता है.
1974 में श्रीनगर में जन्मे गुल को 2018 में कश्मीरी पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या, और कश्मीरी पंडितों के खिलाफ साइबर-आतंकवादी अभियान और प्रवासी श्रमिकों पर गांदरबल में हमला कराने के लिए जाना जाता है.
शेख सज्जाद गुल, TRF के मुखपत्र 'कश्मीरफाइट' का भी मास्टरमाइंड है. यह इसके जरिए अलगाववादी प्रोपेगेंडा फैलाता है और हमलों की जिम्मेदारी लेता है. इसके अलावा लोगों को अपने पक्ष में करने के लिए मनोवैज्ञानिक अभियान भी चलाता है. हालांकि, यह कई बार अपनी मंशा को पूरा करने के लिए फर्जी पत्रकार या मानवाधिकार ब्लॉगर के जरिए भारत-विरोधी चीजें अपनी वेबसाइट पर पब्लिश और सर्कुलेट करता है.
गुल और उसके संगठन से जुड़े कई लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मैस्टोडॉन, चिर्पवायर, बीआईपी और टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर काफी एक्टिव होते हैं. इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए ही TRF प्रचार, भर्ती और संचार स्थापित करता है.
इन सोशल मीडिया पर TRF के एक्टिविटी पर नजर रखने वाले एक्सपर्ट्स का कहना है कि मैस्टोडॉन पर मार्च 2024 से ‘कश्मीरफाइट’ ने झेलम मीडिया हाउस (JMH) के साथ मिलकर कुछ पोस्ट शेयर किए, जो TRF से जुड़ा एक और दुष्प्रचार था.
2024 के रियासी बस हमले के बाद JMH ने पर्यटकों पर भविष्य में हमलों की धमकियां प्रकाशित की थीं. अप्रैल 2024 से चिर्पवायर पर JMH समूह एन्क्रिप्टेड उपस्थिति बनाए हुए है. ‘कश्मीरफाइट’ का एक ‘BiP’ के नाम से एक अन्य संचार चैनल भी है, जिसका उपयोग वॉइस/वीडियो मैसेज भेजने के लिए किया जाता है.
टेलीग्राम पर TRF का एक सार्वजनिक चैनल है, जिसपर उसने आतंकवादी हमलों का दावा और खंडन दोनों किया है. इस चैनल के 627 सब्सक्राइबर्स हैं.
पहलगाम हमले के बाद TRF ने अपनी संलिप्तता से इनकार किया था और भारतीय खुफिया एजेंसियों पर इस ऑपरेशन की योजना बनाने का आरोप लगाया था. इसके लिए उसने कथित तौर पर घटना से पूर्व दायर एक रिपोर्ट और हमले के बाद भारतीय सुरक्षा तंत्र की लेट होने वाली प्रतिक्रिया का हवाला दिया था.
TRF ने कथित तौर पर कहा कि भारतीय खुफिया एजेंसी RAW (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) ने अप्रैल में अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की यात्रा से पहले ‘ऑपरेशन त्रिनेत्र’ चलाया था. इस ऑपरेशन का मकसद कुख्यात आतंकियों के बहाने TRF से जुड़े लोगों को मार गिराना था.
इतना ही नहीं TRF ने भारतीय खुफिया एजेंसियों (इंटेलिजेंस ब्यूरो और RAW) के डेटा को हैक करने का दावा किया और कश्मीर, बांग्लादेश और म्यांमार में भारत की गतिविधियों से जुड़ी गोपनीय जानकारी लीक करने की धमकी दी.
इस समूह ने एक 'अति गोपनीय/विशेष खुफिया' रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की कथित झूठी ऑपरेशन और योजनाओं का जिक्र किया गया था. इन दावों को भारतीय सुरक्षा और खुफिया एजेंसी ने सिरे से नकार दिया.
विशेषज्ञों का मानना है कि TRF ने हाल ही में अपनी लक्षित रणनीति में बदलाव करते हुए पर्यटकों , गैर-स्थानीय कामगारों और बुनियादी ढांचे को निशाना बनाना शुरू कर दिया है. आतंकी संगठन की रणनीति में यह बदलाव कश्मीर में डेमोग्राफी चेंज और केंद्र सरकार की विकास परियोजनाओं के प्रति उसके विरोध को दिखाता है. इतना ही नहीं यह आतंकी संगठन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गैर-कश्मीरी प्रवासियों और पर्यटकों को "उपनिवेशवादी" कहकर संबोधित करता है.
TRF के 'फाल्कन स्क्वॉड' ने पहलगाम हमले को अंजाम देते वक्त आधुनिक हथियारों, अलग तरह के कपड़े और सिर पर लगे कैमरों का इस्तेमाल किया था. हमलावरों ने कथित तौर पर हमले के वक्त धार्मिक पहचान चिह्नों की जांच की और पीड़ितों को कुरान या कलमा पढ़कर सुनाने के लिए मजबूर किया.
भारतीय खुफिया एजेंसियों ने मुख्य हमलावर की पहचान हाशिम मूसा (उर्फ आसिफ फौजी) के रूप में की है, जो पाकिस्तानी सेना का पूर्व कमांडो है. मूसा के साथ पाकिस्तानी नागरिक अली भाई और दो कश्मीरी आतंकी थे. इन सभी को पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर सैफुल्लाह कसूरी ने ट्रेंड किया था.
TRF का एक और महत्वपूर्ण हमला अक्टूबर 2024 में जेड-मोड़ सुरंग (सोनमर्ग) पर हुआ था, जिसमें आतंकवादियों ने एक निर्माण स्थल में घुसकर अंधाधुंध गोलीबारी की थी. सीसीटीवी फुटेज में हजारों करोड़ रुपये की इस बुनियादी ढांचा परियोजना की घटना से पहले टोह लेने की पुष्टि हुई थी. घटना से पहले जानकारी हासिल करने के बाद आतंकवादियों ने एम4 कार्बाइन के जरिए घटना को अंजाम दिया था.
TRF ने इस हमले को रणनीति का हिस्सा बताते हुए इसे जायज ठहराया था. इसके साथ ही इस आतंकी संगठन ने कश्मीर में भारत सरकार को खत्म करने की कसम खाई थी.