जून की 12 तारीख को दोपहर के करीब 1:38 बजे एयर इंडिया की बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान ने अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरी. टेकऑफ के महज दो मिनट बाद 1.40 बजे एयरपोर्ट से सटे मेघानीनगर इलाके में स्थित बीजे मेडिकल कॉलेज छात्रावास के पास प्लेन क्रैश हो गया.
इस विमान में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी समेत 242 पैसेंजर सवार थे. इस हादसे में अब तक कुल 265 लोगों की मौत हुई है, जिनमें कई बीजे मेडिकल कॉलेज के छात्र हैं. वहीं विमान में सवार सिर्फ एक यात्री चमत्कारिक रूप से दुर्घटना में जीवित बच पाए हैं.
प्रारंभिक अनुमानों से पता चलता है कि घटना के वक्त कॉलेज मेस में कम से कम 20 छात्र मौजूद थे, जिनमें से कई की मौत होने की खबर है. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि घटना के समय लंच-टाइम था. ज्यादातर छात्र मेस में खाना खाने के लिए आए थे. सबकुछ इतना अचानक हुआ कि अंदर मौजूद लोगों को समझने और संभलने का समय ही नहीं मिला. खाने की मेज से भागकर जान बचाने की तो बात ही छोड़िए.
बीजे मेडिकल कॉलेज कैंपस में विमान दुर्घटना और विस्फोट के बाद भयानक आग की लपटें देखने को मिली. अहमदाबाद छावनी से भारतीय सेना के जवान कुछ ही मिनटों में घटनास्थल पर पहुंचे और बचाव अभियान शुरू किया.
मेघानीनगर एक घनी आबादी वाला आवासीय क्षेत्र है. ऐसे में सेना के जवानों ने दुर्घटनास्थल तक पहुंचने के लिए एक संकरी सड़क का इस्तेमाल करने के बजाय मेडिकल कॉलेज के छात्रावास की चारदीवारी को गिराकर कैंपस में घुसने का फैसला किया.
सेना के जवानों ने गंभीर रूप से घायल लोगों को बचाने के लिए उन्हें पास के ही सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया. घटना के कुछ देर बाद ही कई यात्रियों और मेडिकल छात्रों के परिवार के सदस्य घटनास्थल पर पहुंच गए, लेकिन पूरे इलाके की घेराबंदी कर दिए जाने के कारण वे वहां नहीं पहुंच पा रहे थे. कुछ लोग रोते हुए अपनों को खोजने के लिए सिविल अस्पताल पहुंच गए.
इस दुर्घटना से पहले तक एयर इंडिया की बोइंग 787-8 सीरीज को सबसे सुरक्षित और किफायती विमान माना जाता रहा है. सुरक्षा के ख्याल से भी इस विमान का रिकॉर्ड बिल्कुल सही रहा है. हालांकि, इस दर्दनाक घटना को लेकर ब्लैक बॉक्स से कुछ निश्चित जवाब मिलने की उम्मीद है.
हालांकि, विमानन एक्सपर्ट्स और अधिकारियों ने बोइंग 787-8 विमान के दुर्घटना ग्रस्त होने को लेकर चार संभावनाएं जाहिए की हैं. एक-एक कर उनके बारे में जानते हैं.
इंजन में खराबी और इंजन तक फ्यूल का नहीं पहुंचना
इस विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की एक मुख्य वजह विमान के इंजन में खराबी या प्रोपेलर या नोजल की विफलता हो सकती है. प्रत्यक्षदर्शियों के बयान और फ्लाइट ट्रैकिंग डेटा को ध्यान से देखने पर लगता है कि उड़ान भरने के बाद विमान को ऊंचाई पर पहुंचने में समस्या आ रही थी.
यह संभावना ज्यादा है कि विमान के दोनों ही इंजनों ने मैकेनिकल फेलियर के कारण काम करना बंद कर दिया हो. या इन इंजनों में तेल का सप्लाई नहीं हो पहा रही हो. इससे चालक दल के पास स्थिति को कंट्रोल करने के लिए काफी कम समय बचा, जिससे यह घटना घटी.
बर्ड हिटिंग से भी हो सकती है घटना
अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पक्षियों के टकराने की घटनाओं का इतिहास रहा है. विमानन विशेषज्ञों और अहमदाबाद में विमान उड़ा चुके पूर्व पायलटों का मानना है कि पक्षियों का टकराना या कई पक्षियों का एक साथ टकराना, इस दुर्घटना का एक अत्यधिक संभावित कारण हो सकता है.
अहमदाबाद हवाई अड्डे के आसपास बड़ी संख्या में पक्षियों के रहने के ठिकाने हैं. एयरपोर्ट के करीब में एक थोल झील पक्षी अभयारण्य है, जिसके कारण अक्सर यहां पक्षी विमानों से टकराते रहते हैं.
हवाई अड्डे के कैंपस में घास और झाड़ियों के साथ विशाल खुली जमीन है. हवाई अड्डे के आसपास बढ़ती मानव आबादी के कारण एयरपोर्ट से सटे इलाके में कूड़ा और गंदगी फेकी जाती है. इसकी वजह से भी यहां पक्षी उड़ते रहते हैं, जो अक्सर विमानों के आगे आ जाते हैं.
पिछले कुछ सालों में हवाई अड्डे के अधिकारियों और अहमदाबाद नगर निगम ने पक्षियों के खतरे से निपटने के लिए कई उपाय भी किए हैं. हालांकि, इसके बावजूद पक्षियों के विमानों से टकराने की घटनाएं लगातार सामने आती रहती हैं.
पटाखे, लेजर गन और बायो-एकॉस्टिक मशीनों के जरिए पक्षियों को उड़ाने की कोशिश की जाती है. इतना ही नहीं पक्षियों को पकड़ने वाले दस्ते भी तैनात किए गए हैं. एयरपोर्ट पर घास की ऊंचाई को कम करने और कीटों को उड़ने से रोकने के लिए मशीन के जरिए घासों की कटाई के साथ-साथ उन्नत कीट आकर्षण तकनीकें, जैसे फैरो लाइट ट्रैप भी इस्तेमाल की जा रही है.
पक्षियों को यहां रहने से रोकने के लिए एंटी-पर्चिंग डिवाइस लगाई गई है. स्थानीय लोगों को भी एयरपोर्ट के करीब पक्षियों को खाने के लिए अनाज देने से मना करने के साथ ही उन्हें एयरपोर्ट के करीब कूड़ा फेंकने के खतरों के बारे में जागरूक किया जा रहा है.
इसमें कोई दो राय नहीं कि सभी प्रयासों के बावजूद अहमदाबाद हवाई अड्डे पर विमानन सुरक्षा के लिए पक्षियों का टकराना एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय बना हुआ है.
मैकेनिकल या इलेक्ट्रिकल फैल्योर
इस दुर्घटना की एक अन्य वजह विमान के किसी अन्य हिस्से में तकनीकी या यांत्रिक खराबी हो सकती है. बोइंग 787 ड्रीमलाइनर एक आधुनिक विमान है, लेकिन किसी भी अन्य मशीन की तरह इसमें भी मैकेनिकल दिक्कतें हो सकती हैं.
उड़ान भरने के दौरान हाइड्रॉलिक्स या हवाई जहाज के इलेक्ट्रॉनिक्स में किसी तरह की खराबी होने पर इस तरह की बड़ी दुर्घटना हो सकती हैं. इस तरह की घटना के वक्त पायलट के पास विमान को और खुद को बचाने के लिए बहुत कम समय मिलता है.
मानवीय गलतियों से भी घट सकती है ऐसी घटनाएं
विमान दुर्घटना को लेकर एक चौथी संभावना मानवीय गलतियों से जोड़कर देखा जा रहा है. हालांकि, इसकी काफी कम संभावना है. इसके बावजूद कुछ लोग पायलट एरर और कॉन्फिगरेशन इश्यू की भी संभावना को नकार नहीं रहे हैं.
कुछ विशेषज्ञों ने इस बात पर चुप्पी साध ली है. हालांकि. उनका कहना है कि स्पष्ट रूप से विमान पावर सप्लाई नहीं होने की वजह से टेक ऑफ के बाद कम ऊंचाई पर था. ऐसे में गलत फैसले से इस तरह की घटना घटी इसकी कोई संभावना नहीं लगती. कैप्टन सुमित सबरवाल को इस विमान को उड़ाने का 8200 घंटे से भी ज्यादा का अनुभव था.
वहीं, उन्होंने कुल 15 हजार घंटे से भी ज्यादा विमान उड़ाए हैं. उनके अलावा को-पायलट क्लाइव कुंदर को भी 1100 घंटे से ज्यादा समय तक विमान उड़ाने का अनुभव था.
वैश्विक विमानन दुर्घटनाओं में मानवीय भूल एक सामान्य कारक होती है. इस घटना के बाद भी कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डिंग के जरिए इस संभावना को लेकर भी बारीकी से जांच की जाएगी.
इस तरह के मामले में आमतौर पर आधिकारिक स्रोत तब तक कुछ भी कहने से इनकार करते हैं, जब तक कि उड़ान डेटा, ब्लैक बॉक्स और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर को पूरी तरह से डिकोड नहीं कर लिया जाता है.
हालांकि, यह निश्चित है कि यह त्रासदी मौसम या पायलटों द्वारा परिस्थितियों का गलत अनुमान लगाने का एक साधारण मामला नहीं था.
12 जून की देर रात तक यह अटकलें लगाई जाती रही कि विमान के इंजन या फिर ‘टेक ऑफ’ के बाद विमान के बाहर की परिस्थितियों के कारण यह घटना घटी हो. इनमें से कोई एक या दोनों भी इस भयानक दुर्घटना की वजह हो सकती है.