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अहमदाबाद क्रैश : जमीन से लेकर अंतरिक्ष तक घोटाले, झूठ और बेईमानियों से भरा है बोइंग का इतिहास!

अहमदाबाद में एयर इंडिया का जो प्लेन क्रैश हुआ वह अमेरिका की एयरक्राफ्ट कंपनी बोइंग का ड्रीमलाइनर था. यह कंपनी अपने सौ सालों से ज्यादा के इतिहास में क्वालिटी किंग होने से लेकर तमाम घोटालों तक सारे उतार चढ़ाव देख चुकी है

अहमदाबाद में क्रैश हुआ बोइंग का ड्रीमलाइनर, बोइंग का एक प्लेन (बीच में)
अपडेटेड 13 जून , 2025


12 जून 2025 का दिन. अहमदाबाद का सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा. दोपहर का समय, जब आसमान साफ था और हवाएं सामान्य. किसी सिविलियन एयरक्राफ्ट की उड़ान के लिए सबसे मुफीद हालात. एयर इंडिया की फ्लाइट AI171, एक बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर, लंदन के गैटविक हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरने को तैयार था.

विमान में 242 लोग सवार थे- 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, सात पुर्तगाली, और एक कनाडाई. हर यात्री की अपनी कहानी थी. कोई अपने परिवार से मिलने जा रहा था, कोई नई शुरुआत के लिए, तो कोई सपनों को सच करने के लिए. लेकिन किसे पता था कि ये उड़ान महज अगले तीस सेकेंड में एक ऐतिहासिक त्रासदी बन जाएगी.

और फिर घटी अनहोनी

दोपहर 1:38 बजे, फ्लाइट AI171 ने रनवे 23 से उड़ान भरी. कप्तान सुमित सभरवाल, जिनके पास 8,200 से ज्यादा घंटों का उड़ान अनुभव था, और को-पायलट क्लाइव कुंदर कॉकपिट में थे. विमान ने आसमान की ओर रुख किया, लेकिन कुछ ही सेकंड बाद, 625 फीट की ऊँचाई पर, उसने मेडे कॉल दी- विमानन की दुनिया में इमरजेंसी का मैसेज. 

“मेडे कॉल” अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर एक आपातकालीन संकेत है. इसका इस्तेमाल हवाई और समुद्री यातायात के दौरान किया जाता है. इमरजेंसी होने पर तीन बार 'मेडे, मेडे, मेडे' कहकर के सूचना दी जाती है, जिससे इसे साफ तौर पर समझा जा सके. ये शब्द फ्रांसीसी वाक्य "m'aider" से आया है, जिसका मतलब होता है "मेरी मदद करो."  यही तय फॉर्मेट है.

मेडे कॉल किसी विमान या जहाज को कमांड करने वाले कप्तान की तरफ से ही की जाती है. इंजन खराब होने, आग लगने, नियंत्रण खोने या ऐसे ही कारण, जिनसे विमान या जहाज में सवार लोगों की सुरक्षा को खतरा हो. शुरुआती रिपोर्ट्स बता रही हैं कि अहमदाबाद से उड़ान भरते ही फ्लाइट AI171 ने इमरजेंसी कॉल की लेकिन इसके बाद सन्नाटा छा गया. फ्लाइट रडार 24 के मुताबिक, विमान का सिग्नल 1:38:51 बजे गायब हो गया.

विमान मेघानी नगर के एक रिहायशी इलाके में जा गिरा, जहां बी.जे. मेडिकल कॉलेज का हॉस्टल था. दोपहर के खाने का समय था. मेडिकल स्टूडेंट अपनी थालियों के साथ बैठे थे, तभी एक जोरदार धमाका हुआ. विमान का मलबा हॉस्टल के डाइनिंग हॉल में जा घुसा. आग की लपटें और काला धुंआ चारों तरफ फैल गया. खाना परोसी थालियों के साथ छात्र भी मलबे की चपेट में आ गए. अब तक कम से कम पांच स्टूडेंट्स की मौत की पुष्टि हो गई है, और करीबन 45 अन्य छात्र घायल हैं.

क्रैश साइट पर राहत और बचाव कार्य

हादसे की शाम अहमदाबाद पुलिस कमिश्नर जी.एस. मलिक ने कहा, “204 शव बरामद किए गए हैं” लेकिन एक चमत्कार भी हुआ. सीट 11A पर बैठे 40 साल के ब्रिटिश-भारतीय विश्वास कुमार रमेश किसी तरह बच निकले. वहां मौजूद मीडिया को उन्होंने बताया, “टेक-ऑफ के 30 सेकंड बाद एक जोरदार आवाज हुई, और फिर विमान नीचे गिर गया. सब इतनी जल्दी हुआ. जब मैं उठा, चारों तरफ शव थे. मैं डर गया, भागा, और किसी ने मुझे एंबुलेंस में डाला.”

एयर इंडिया ने एक आधिकारिक पोस्ट में 241 पैसेंजर्स के मारे जाने की पुष्टि की है. प्लेन क्रैश की जगह राहत और बचाव कार्य पूरा हो चुका है. अब नजदीकी अस्पताल में उन घायलों का इलाज चल रहा है जो हवाई जहाज गिरते समय हॉस्टल में मौजूद थे. हादसे की शाम गृहमंत्री अमित शाह अहमदाबाद रवाना हो चुके थे और अगले दिन 13 जून की सुबह प्रधानमंत्री मोदी अहमदाबाद पहुंच चुके हैं.

अहमदाबाद में क्रैश हुए प्लेन का सैटेलाइट 'फ्लाइट पाथ'

बोइंग का अतीत असल में गलतियों का सिलसिला है?

यह हादसा बोइंग के इस मॉडल के लिए भले ही पहला हो लेकिन कंपनी के लिए पहला नहीं है. 1916 में विलियम बोइंग ने इस कंपनी की नींव रखी थी. यह कंपनी हवाई जहाज बनाने और सुरक्षा में अचूक होने  के लिए मशहूर थी लेकिन 1997 में कुछ ऐसे फैसले हुए, जिन्होंने बोइंग की दिशा और दशा ही बदल दी. उस साल बोइंग ने अपनी कंपटीटर कंपनी मैकडॉनेल डगलस को खरीद लिया. मैकडॉनेल डगलस पुराने विमानों को कम लागत में अपडेट करने की रणनीति पर काम करती थी, जबकि बोइंग इंजीनियरिंग और क्वालिटी पर ध्यान देता था. माना जाता है कि इस मर्जर ने बोइंग के इंजीनियरिंग कल्चर को बदल दिया और मुनाफे को सुरक्षा पर तरजीह दी जाने लगी.

मौजूद तमाम रिपोर्ट्स के मुताबिक़ कंपनी का इतिहास गलतियों, लापरवाहियों और मुनाफे की होड़ की कहानियों से भरा है. और ये सब तब शुरू हुआ जब 2001 में कंपनी के हेडक्वार्टर को सिएटल से शिकागो ले जाया गया, जिससे इंजीनियरों और लीडरशिप के बीच दूरी बढ़ी 2003 में अमेरिका की नेशनल लीगल एंड पॉलिसी सेंटर (NLPC) ने बोइंग के टैंकर डील घोटाले का पर्दाफाश किया. कंपनी ने गलत तरीके से सैन्य अनुबंध हासिल करने की कोशिश की थी. दो अधिकारी जेल गए, और अमरीकी टैक्सपेयर्स के अरबों रुपये बचे. 2005 में NLPC ने एक और सैन्य अनुबंध, फ्यूचर कॉम्बैट सिस्टम्स, को रद्द करवाया, जिसमें भ्रष्टाचार का आरोप लगा था.

बोइंग का सिएटल में हेडक्वार्टर

लेकिन असली समस्या भ्रष्टाचार नहीं !

बोइंग की सबसे बड़ी गलती थी इसका मॉडल 737 मैक्स. 2018 और 2019 में इसके दो हादसों- लायन एयर फ्लाइट 610 और इथियोपियन एयरलाइंस फ्लाइट 302- में 346 लोग मारे गए. जांच में पता चला कि इन हादसों का मुख्य कारण था MCAS (मैन्यूवरिंग कैरेक्टरिस्टिक्स ऑग्मेंटेशन सिस्टम), एक सॉफ्टवेयर जो विमान को स्थिर रखने के लिए बनाया गया था, में खामी. लेकिन बोइंग ने इस सॉफ्टवेयर की खामियों को छुपाया. कंपनी ने पायलटों को MCAS के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी. पायलटों को इसके लिए पर्याप्त प्रशिक्षण भी नहीं दिया गया.

जांच में पता चला कि बोइंग ने लागत कम करने और तेजी से प्रोडक्शन के लिए सुरक्षा नियमों की अनदेखी की. कंपनी के भीतरी दस्तावेजों और ईमेल से सामने आया कि कर्मचारी लागत में कटौती और तेज उत्पादन पर ज्यादा ध्यान दे रहे थे. इन हादसों के बाद बोइंग को जबरदस्त फजीहत का सामना करना पड़ा. जनवरी 2021 में कंपनी ने एक समझौता किया, जिसे Deferred Prosecution Agreement कहा जाता है. इसके तहत बोइंग ने 2.5 अरब डॉलर से ज्यादा का जुर्माना भरा, ताकि धोखाधड़ी के आरोपों से बचा जा सके. लेकिन लोगों ने सवाल पूछा कि क्या ये जुर्माना उन परिवारों के दुख कम कर सकता है जिनके अपने अब उनके साथ नहीं?

2024 में एक और घटना ने बोइंग की साख को ठेस पहुंचाई. अलास्का एयरलाइंस के 737 मैक्स 9 का दरवाजा हवा में फट गया. जांच में ढीले बोल्ट और निर्माण की खामियां मिलीं. उसी साल, बोइंग के एक व्हिसलब्लोअर, जॉन बार्नेट, ने कंपनी पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि बोइंग ने 787 ड्रीमलाइनर में तय मानक से कम क्वालिटी के पुर्जे लगाए और सुरक्षा को नजरअंदाज किया. बार्नेट की रहस्यमय मौत- जो कथित तौर पर आत्महत्या थी- ने सवाल खड़े किए. 2018 में लायन एयर हादसे के बाद बोइंग ने दावा किया था कि 737 मैक्स पूरी तरह सुरक्षित है. लेकिन 2019 में दूसरा हादसा होने के बाद कंपनी की बात झूठी साबित हुई. अमेरिकी फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) को खुद एक्शन लेना पड़ा और सभी 737 मैक्स विमानों को उड़ान से रोक दिया गया. इसके बाद बोइंग को सख्त जांच और सुधारों से गुजरना पड़ा. लेकिन 737 मैक्स की दिक्कतें खत्म नहीं हुईं.

लायन एयर हवाई हादसे में दुर्घटनाग्रस्त हुए बोइंग मैक्स जहाज

787 ड्रीमलाइनर, सपनों का जहाज!

787 ड्रीमलाइनर को बोइंग ने 2011 में लॉन्च किया था. यह विमान अपनी फ्यूल एफ़िशिएन्सि और सेफ्टी पैरामीटर्स के लिए मशहूर रहा था. लेकिन अहमदाबाद हादसा इस मॉडल का पहला घातक हादसा बन गया है. इससे पहले, ड्रीमलाइनर में छोटी-मोटी समस्याएं सामने आई थीं. रिपोर्ट्स के मुताबिक़ 2019 में एक व्हिसलब्लोअर ने दावा किया कि 787 के कुछ हिस्से ठीक से नहीं जोड़े गए, जो लंबे समय में खतरा बन सकते थे. बोइंग ने कहा कि यह “तत्काल सुरक्षा समस्या” नहीं थी.

अहमदाबाद में क्रैश हुए विमान की उम्र 11 साल थी. ये 2014 में एयर इंडिया को डिलीवर हुआ था और इसके 41,000 उड़ान घंटे और करीब 8,000 टेक-ऑफ थे. हादसे का कारण अभी स्पष्ट नहीं है. विशेषज्ञों के अलग-अलग दावों में उनका कहना है कि यह पक्षी से टकराने, पायलट की गलती, रखरखाव की कमी, या निर्माण दोष का नतीजा हो सकता है.

हादसे में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी  भी थे, जो 2016 से 2021 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे. 21 साल की खुशबू, राजस्थान की एक नई-नवेली दुल्हन, अपने पति से मिलने लंदन जा रही थी. उसके पिता, मदन सिंह, ने उसे हवाई अड्डे पर छोड़ा था और व्हाट्सएप पर उसकी तस्वीर शेयर की थी, जिसमें लिखा था, “आशीर्वाद, खुशबू बेटा, लंदन जा रही है”. को-पायलट क्लाइव कुंदर के चचेरे भाई, अभिनेता विक्रांत मैसी, ने सोशल मीडिया पर शोक जताया है.

जवाबदेही की मांग

हादसे के बाद सोशल मीडिया में बोइंग और एयर इंडिया पर सवाल उठ रहे हैं. बोइंग ने बयान जारी किया है कि वह एयर इंडिया के साथ संपर्क में है और जांच में मदद करेगा. लेकिन कंपनी के शेयर 8 फीसदी तक गिर गए. यह हादसा पेरिस एयर शो से ठीक पहले हुआ, जहां बोइंग को एयरबस से प्रतिस्पर्धा करनी थी.

एयर इंडिया के सीईओ कैंपबेल विल्सन ने कहा, “हमारा ध्यान यात्रियों, चालक दल और उनके परिवारों की मदद पर है” टाटा ग्रुप, जो एयर इंडिया का मालिक है, ने मृतकों के परिवारों को 1 करोड़ रुपये और घायलों के इलाज का खर्च उठाने का ऐलान किया है. भारतीय नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) और अमेरिकी नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (NTSB) जांच में जुट गए हैं. ब्रिटेन की एयर एक्सीडेंट्स इन्वेस्टिगेशन ब्रांच (AAIB) ने भी मदद की पेशकश की, क्योंकि विमान में 53 ब्रिटिश नागरिक थे.

क्या है बोइंग की राह, सुधार या पतन?

बोइंग के नए सीईओ केली ऑर्टबर्ग ने 2025 को “टर्नअराउंड ईयर” बताया था. लेकिन यह हादसा कंपनी के लिए एक और झटका है. बोइंग के पुराने कर्मचारी सोशल मीडिया पर पुराने दिनों की याद दिलाते हुए कह रहे हैं कि कंपनी को अपना पुराना इंजीनियरिंग कल्चर फिर से अपनाना होगा. उसे ये साबित करना होगा कि वो मुनाफे से ज्यादा लोगों की जान को महत्व देती है.

अमेरिका में NLPC जैसे संगठन बोइंग को जवाबदेह बनाने की कोशिश कई सालों से कर रहे हैं. लेकिन सवाल ये है कि क्या बोइंग अपनी गलतियों से सीखेगा? क्या वो फिर से वही कंपनी बन पाएगी, जो सुरक्षा और विश्वास का प्रतीक थी?

बोइंग का स्पेस कनेक्शन

आपको याद होगा कि नासा ने साल 2024 में सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन भेजा था. 5 जून को जब ये दोनों एस्ट्रोनॉट्स ISS के लिए चले तो इनकी उड़ान एक हफ्ते की थी. 8 दिन बाद इन दोनों को 13 जून को वापसी की उड़ान भरनी थी. लेकिन हफ्ते भर की यह उड़ान हैरतनाक तरीके से 278 दिन तक चली.

असल में यह उड़ान अपनी शुरुआत के कई सालों तक मुश्किलों से ही जूझती रही. क्योंकि नासा ने स्टारलाइनर बनाने का काम दिया था बोइंग को. कई साल की टेस्टिंग और तकनीकी दिक्कतों के बाद जैसे-तैसे बोइंग का स्टारलाइनर बनकर तैयार हुआ. इस स्पेसक्राफ्ट का मॉडल पहली बार 2010 में पेश किया गया. इसे बनने में लग गए 6 साल और 2017 से 2019 तक टेस्टिंग होती रही.

लगातार खामियां दुरुस्त करने के बाद लॉन्च की तैयारी हुई अगस्त 2021 में. लेकिन फिर स्पेसक्राफ्ट के कई प्रपल्शन वॉल्व में खामियां सामने आईं. इसके बाद बोइंग ने इसे दोबारा बनाना शुरू किया. फिर मामला टलता रहा. मई 2022 में फिर से मानवरहित टेस्टिंग करने की बात हुई और फिर लॉन्च टल गया आखिरकार 2024 में यह स्पेसक्राफ्ट ISS के लिए उड़ान भर पाया और उसके बाद की घटना इतिहास में दर्ज हुई. जब सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर ने रिकॉर्ड 278 दिन तक अंतरिक्ष में ‘फंसे रहने’ का अंतहीन लगने वाली यंत्रणा भुगती और आखिरकार धरती पर वापस लौट सके. हालांकि स्पेस ऑपरेशंस में इस तरह की तकनीकी समस्याएं बहुत असाधारण नहीं हैं, लेकिन बोइंग का यह स्पेस कनेक्शन इस हादसे के क्रम में हमें जान लेना चाहिए.

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