विभिन्न सेक्टर की कंपनियां बड़ी संख्या में शुरुआती स्तर की नौकरियों के लिए भर्ती में AI एजेंट का इस्तेमाल कर रही हैं. MakeMyTrip में मुख्य तौर पर शुरुआती करियर पोजीशन के लिए इंटरव्यू AI-आधारित होते हैं, खासकर टेक्नोलॉजी, प्रोडक्ट और बिजनेस डेवलपमेंट के क्षेत्र में. इसमें उनकी टेक्नोलॉजी कैंपस हायरिंग पहल MyLaunchpad शामिल है, जिसमें कभी-कभी 45,000 से ज्यादा आवेदन आते हैं.
प्रोडक्ट इंजीनियरिंग और डिजिटल सॉल्यूशन प्रोवाइडर R Systems की तरफ से नए ग्रेजुएट को मौका देने या टेक्निकल और इंजीनियरिंग रोल और मिड-सीनियर लेवल प्रोफाइल वाली भर्तियों के लिए अपने इन-हाउस एजेंटिक AI बॉट Zyra का इस्तेमाल किया जा रहा. यह प्रक्रिया फिलहाल शुरुआती स्तर पर नियंत्रित तरीके से लागू की गई है जिसमें Zyra का इस्तेमाल ऑटो-स्क्रीनिंग और फर्स्ट-लेवल इंटरव्यू में किया जाता है. यह हायरिंग प्रोसेस में तेजी लाने में मददगार साबित होता है.
Zyra कैंडिडेट की ऑटोमेटेड स्क्रीनिंग करता है, फिर उनके संवाद-व्यवहार संबंधी कौशल का आकलन करता है और रियल-टाइम स्कोरिंग के साथ फर्स्ट-लेवल इंटरव्यू को मैनेज करता है. R Systems के चीफ ह्यूमन रिसोर्स ऑफिसर (CHRO) सत्यदीप मिश्रा कहते हैं कि पहले स्तर पर शॉर्टलिस्ट होने के बाद इंसानों को शामिल किया जाता है. टेक्निकल इंटरव्यू, कल्चर-फिट बातचीत, मैनेजिरियल एसेसमेंट और आखिर में भर्ती करना फैसला अभी पूरी तरह इंसानों पर निर्भर है. मिश्रा कहते हैं, “AI वर्कफ्लो में तेजी लाने में मददगार है, जबकि इंसानी फैसले गुणवत्ता और कंपनी कार्यसंस्कृति के साथ तालमेल को सुनिश्चित करते हैं.”
AI-आधारित इंटरव्यू के फायदों पर MakeMyTrip के ग्रुप CHRO युवराज श्रीवास्तव कहते हैं, इसका मकसद इंसानों के फैसले लेने की व्यवस्था को खत्म करना नहीं, बल्कि हर किसी को समान अवसर मुहैया कराना है. वे कहते हैं, “आज भारत का टैलेंट सिर्फ मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं है. ये टियर-2, 3 और 4 शहरों तक फैला है. AI हमें असली टैलेंट को उस जगह तक पहुंचकर ढूंढ़ने में मदद करता है, जहां वह असल में मौजूद है, न कि सिर्फ वहां जहां कंपनियां पारंपरिक रूप से तलाशती रही हैं.”
AI सिस्टम ऐसे डेटा पॉइंट सामने लाते हैं जिन्हें इंसान कई बार अनदेखा कर देते हैं. MakeMyTrip का AI प्लेटफॉर्म सभी इंटरव्यू में फंक्शनल, कॉग्निटिव, बिहेवियरल और कम्युनिकेशन डाइमेंशन में 20,000 से ज्यादा डेटा पॉइंट जेनरेट करता है. इससे हजारों आवेदनों की प्रोसेसिंग के बाद पहले राउंड में शीर्ष पांच फीसद एप्लीकेंट को शॉर्टलिस्ट करना आसान हो जाता है, जिसके बाद आगे की प्रक्रिया का जिम्मा ह्यूमन प्रोफेशनल्स संभाल लेते हैं. AI-एजेंट इंटरव्यू कंपनियों को भर्ती प्रक्रिया तेज करने में मदद तो करते ही हैं, इससे लागत भी कम आती है. श्रीवास्तव कहते हैं, “हमारे हायरिंग साइकिल 50 फीसद तेज हुए हैं. नॉन-मेट्रो शहरों में प्रति भर्ती लागत 40 फीसद कम है, जबकि रेफरल के जरिये भर्ती में सफलता का अनुपात 95 फीसद है.”
आर सिस्टम्स के मिश्रा कहते हैं, “मैन्युअल स्क्रीनिंग टाइम 40-55 फीसद घटा है; फर्स्ट-लेवल इंटरव्यू शेड्यूल करने में 60 फीसद तेजी आई है और ज्यादा संख्या वाली भूमिकाओं के लिए प्रति भर्ती लागत 30 फीसद तक घटी है.” हालांकि, वरिष्ठ पदों पर भर्ती के लिए कंपनियां पूरी तरह ह्यूमन प्रोफेशनल्स पर निर्भर हैं. MakeMyTrip में ह्यूमन पैनल तब आगे आता है जब किसी संदर्भ की जरूरत होती है. कार्य-संस्कृति, नेतृत्व क्षमता, चुनौतियों से निपटने की काबिलियत और संबंधित भूमिका के उपयुक्त होने को ठीक से परखने के लिए इंसानी स्तर पर गहन बातचीत की जरूरत होती है. इन मामलों में इंसानी फैसले ही सबसे ज्यादा मायने रखते हैं. R Systems में भी लीडरशिप हायरिंग और ऐसे रोल, जिनमें गहरी समझ या खास विशेषज्ञता की जरूरत होती है, उन पर कोई भी फैसला पूरी तरह ह्यूमन पैनल ही लेता है.
हालांकि, भर्ती प्रक्रिया में AI के इस्तेमाल के काफी फायदे हैं लेकिन कंपनियों को इसकी खामियों को लेकर पूरी तरह सतर्क रहना होगा. उन्हें इस पर विचार करने की जरूरत है कि AI मॉडल डेटा में वही पैटर्न दिखा सकते हैं जिन पर उन्हें ट्रेन किया जाता है, इसलिए एल्गोरिदम के आधार पर पक्षपात और निष्पक्षता की सक्रिय निगरानी जरूरी है. डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन मानक लगातार बदलने के साथ डेटा को जिम्मेदारी से संभालना जरूरी है और ऐसे में सहमति और निष्पक्षता के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता. यही नहीं, कंपनियों को AI का इस्तेमाल सिर्फ सलाह देने के लिए करना चाहिए, फैसला लेने के लिए नहीं, क्योंकि एल्गोरिदम कई बार उच्चारण और संवाद शैली का गलत मतलब भी निकाल सकता है.

