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किसी की पहली उड़ान थी, कोई रिटायरमेंट लेने वाला था; अहमदाबाद क्रैश के साथ खत्म हुईं ऐसी ही कुछ कहानियां

अहमदाबाद प्लेन क्रैश में मारे गए पायलट सुमित सभरवाल इस फ्लाइट के बाद रिटायरमेंट लेने का मन बना रहे थे तो वहीं राजस्थान का एक दंपती अपने तीन बच्चों के साथ लंदन जाकर नई जिंदगी की शुरुआत करने जा रहा था

पायलट सुमित सभरवाल (बाएं); कोमी व्यास और प्रतीक जोशी के परिवार की आखिरी सेल्फी
अपडेटेड 13 जून , 2025

अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 12 जून 2025, दोपहर 1:38 पर हुए हादसे में सिर्फ जान-माल का नुक्सान ही नहीं हुआ, बल्कि कई ऐसी कहानियों का भी अंत हो गया जिन्हें अभी कई मोड़ और उतार चढ़ाव देखने थे. कोई अपनी पहली नौकरी करने जा रहा था तो किसी की ये पहली उड़ान थी, जो आख़िरी सफर में बदल गई. हंसते मुस्कुराते बच्चों की परिवार के साथ सेल्फी उनकी आख़िरी मौजूद तस्वीर बन गई.

कोई पिता के सपने सच करने जा रहा था तो किसी ने अपने पिता से वादा किया था कि इस बार लौटा तो वापस नहीं जाएगा. लेकिन ना तो पिता और ना बेटा जानता था कि इस बार के जाने में लौटना नत्थी ही नहीं है. ये ऐसी ही कुछ कहानियां हैं जो इस वक़्त मातम की पीठ पर सवार जिंदा लोगों के दिमाग झिंझोड़ रही हैं, और जिनके तारी असर से हर कोई ‘जिसकी जितनी लिखी है...’ जैसे घिसे-पिटे वाक्य एक-दूसरे से कह दे रहा है. 

पिता का सहारा, आसमान का सिपाही

कप्तान सुमित सभरवाल, 50 साल के अनुभवी पायलट, फ्लाइट AI171 के कमांडर थे. उनके पास 8,200 घंटों का उड़ान अनुभव था, और वे एयर इंडिया के सबसे भरोसेमंद पायलटों में से एक थे. मुंबई के पवई में रहने वाले सुमित अविवाहित थे और अपने 90 साल के पिता की देखभाल करते थे, जो डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) के रिटायर्ड अधिकारी थे. सुमित ने हाल ही में अपने पिता से वादा किया था कि वे इस उड़ान से लौटकर सबकुछ छोड़कर उनके साथ रहेंगे और उनकी देखभाल करेंगे. सभरवाल के पड़ोसी ने मीडिया को बताया, “सुमित हर उड़ान से पहले अपने पिता के लिए दवाइयां और खाना तैयार रखते थे. अब उनके पिता अकेले रह गए, और उनका घर सूना हो गया.”

सुमित सभरवाल का परिवार एविएशन से काफी गहराई से जुड़ा था. उनके दो भतीजे भी पायलट हैं. वो बोइंग 787 ड्रीमलाइनर को 2012 में एयर इंडिया में शामिल होने के बाद से उड़ा रहे थे. सोशल मीडिया पर सुमित के दोस्त उनके बारे में लिख रहे हैं. ऐसी ही एक पोस्ट बताती है कि सुमित का खुलकर हंसना और उनके जिम्मेदार रवैये की कहानियां उनके दोस्तों और सहकर्मियों के बीच मशहूर थीं. लेकिन उस दोपहर, जब विमान मेघानी नगर में गिरा, सुमीत का पिता से किया गया वादा और उनकी जिंदगी दोनों अधूरे रह गए. मीडिया कवरेज में दिख रहे उनके पिता अब अपने बेटे की तस्वीर को देखते हैं, जिसमें सुमित अपनी पायलट यूनिफॉर्म में मुस्कुरा रहे हैं.

पायल खटीक की पहली उड़ान, आखिरी सफर

प्लेन क्रैश में जान गंवाने वालों में पायल खटीक भी शामिल हैं. आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, पायल का परिवार मूल रूप से राजस्थान के उदयपुर के गोगुडा गांव का रहने वाला है. फिलहाल वे गुजरात के साबरकांठा के हिम्मतनगर में रह रहे थे. यहां पायल एक भाई और दो बहनों के साथ रहा करती थीं.

रिपोर्ट के मुताबिक पायल एक निजी कंपनी में काम करती थीं. वो कंपनी की ओर से ही लंदन जा रही थीं और पहली बार फ्लाइट में बैठी थीं. पायल खटीक के पिता लोडिंग रिक्शा चलाकर पूरे परिवार का भरण-पोषण करते हैं. ऐसे में पायल की नौकरी से परिवार को बड़ा सहारा मिल रहा था. पायल के परिवार ने भी अहमदाबाद सिविल अस्पताल जाकर DNA के लिए आवेदन किया है. वे टेस्ट रिज़ल्ट का इंतजार कर रहे हैं.

नगांथोई शर्मा की आख़िरी उड़ान 

22 साल की नगांथोई शर्मा मणिपुर के थोउबल जिले की रहने वाली थीं. वे फ्लाइट AI171 की केबिन क्रू मेंबर थीं. डेढ़ साल पहले ही उन्होंने एयर इंडिया में नौकरी शुरू की थी, और यह उनके लिए सपनों की उड़ान थी. नगांथोई अपने गांव की पहली लड़की थीं, जो एविएशन इंडस्ट्री में गईं. उनके परिवार के लिए यह गर्व का पल था. हादसे वाले दिन, नगांथोई ने अपनी बड़ी बहन को मैसेज किया, “दी, मैं लंदन जा रही हूं. मेरे लिए दुआ करना.” उनकी बहन ने न्यूज18 को बताया, “वो बहुत खुश थी. उसने कहा था कि वो लंदन से मेरे लिए गिफ्ट लाएगी.”

नगांथोई के पिता एक छोटे से किसान हैं. उन्होंने अपनी बेटी की पढ़ाई के लिए दिन-रात मेहनत की थी. हादसे की खबर सुनकर उनका परिवार सदमे में डूब गया. उनके पिता ने मीडिया से कहा, “मुझे टीवी पर खबर मिली” नगांथोई की मुस्कान और उनकी मेहनत मणिपुर के हर गांव की लड़कियों के लिए प्रेरणा थी. लेकिन उनकी यह उड़ान आखिरी बन गई, और उनका परिवार अब उनकी तस्वीरों के साथ जी रहा है.

कोमी व्यास और प्रतीक जोशी के परिवार की आखिरी सेल्फी

डॉ. कोमी व्यास और डॉ. प्रतीक जोशी, राजस्थान के बांसवाड़ा के रहने वाले, अपने तीन बच्चों- आठ साल की मिराया, और पांच साल के जुड़वां बेटों प्रद्युत और नकुल- के साथ फ्लाइट AI171 में सवार थे. यह परिवार लंदन में नई जिंदगी शुरू करने जा रहा था. कोमी, जो उदयपुर के पैसिफिक हॉस्पिटल में पैथोलॉजिस्ट थीं, ने पिछले महीने अपनी नौकरी छोड़ दी थी ताकि वह अपने लंदन में डॉक्टर पति प्रतीक के साथ रह सकें. प्रतीक तीन दिन पहले ही बांसवाड़ा लौटे थे, ताकि अपने परिवार को लंदन ले जा सकें.

उड़ान से पहले, प्रतीक ने एक सेल्फी ली, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. इस तस्वीर में कोमी और प्रतीक एक तरफ बैठे मुस्कुरा रहे थे, जबकि उनके तीनों बच्चे दूसरी तरफ बैठे थे. मिराया चमकती आंखों से और प्रद्युत-नकुल अपनी मासूम मुस्कान के साथ कैमरे की तरफ देख रहे थे. यह सेल्फी उनके उत्साह और नई शुरुआत की खुशी को दिखा रही थी. लेकिन कुछ ही मिनटों में, यह तस्वीर उनकी आखिरी याद बन गई. उनके रिश्तेदार नयन जोशी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “कोमी एक महीने से इस यात्रा की तैयारी कर रही थी. वे लोग बहुत खुश थे.” 

जांच और जवाबदेही

विमान का ब्लैक बॉक्स हॉस्टल की छत पर मिला है. DGCA, अमेरिकी नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (NTSB), और ब्रिटेन की एयर एक्सीडेंट्स इन्वेस्टिगेशन ब्रांच (AAIB) जांच में जुट गए हैं. विमान, जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर VT-ANB था, 2014 में एयर इंडिया को डिलीवर हुआ था और इसके 41,000 उड़ान घंटे थे. हादसे का कारण अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन पक्षी से टकराने, तकनीकी खराबी, या रखरखाव की कमी की आशंका जताई जा रही है.

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