
चाहे किसी वैज्ञानिक खोज की अगुआई करनी हो, ओलंपिक स्वर्ण जीतना हो, सरकार चलाना हो या किसी विचार को सफल उद्यम में तब्दील करना हो, महिलाओं की उपलब्धियों की कोई सीमा नहीं. इसी 'स्त्री शक्ति' का जश्न मनाने के लिए हाल ही दिल्ली में आयोजित इंडिया टुडे वीमेन समिट 2025 में विभिन्न क्षेत्रों की अगुआ महिलाएं एकसाथ जुटीं.
दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता ने 'शी इज द बॉस:' दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की राजधानी की कर्ताधर्ता' शीर्षक अपने सत्र में बातचीत का स्वर तय करते हुए कहा, ''साहस और निर्णय क्षमता का कोई जेंडर नहीं होता.'' कानून विशेषज्ञ पल्लवी एस. श्रॉफ ने समानता की मिसाल देते हुए कहा कि यह कोई सिर चढ़ाने या लाड-प्यार पाने का मामला नहीं, बल्कि कड़े फैसलों के लिए भरोसेमंद साबित होने की बात है.
वरिष्ठ आइएएस अधिकारियों मुग्धा सिन्हा और अंजू शर्मा ने नौकरशाही में स्त्रियों की परोक्ष अड़चनों का जिक्र किया. विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने कहा, ''आकाश मेरी मुट्ठी में हो गया क्योंकि किसी ने मुझ पर भरोसा किया.'' कर्नल आकृति शर्मा ने जोर दिया कि स्त्रियां अब सिर्फ भाग नहीं लेतीं—वे कमान संभालती हैं.
पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की पूनम मुत्रेजा ने प्रजनन अधिकारों में लैंगिक असंतुलन की ओर ध्यान दिलाया और जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की डॉ. धृति बनर्जी ने बताया कि महिलाएं पारिस्थितिकीय और संस्थागत कमियों को कैसे दूरी कर रही हैं. खेल, ओटीटी, उद्यमिता और सुरक्षा के पैनल ने दिखाया कि स्त्रियां महज मौके नहीं मांग रहीं, बल्कि वे व्यवस्था गढ़ रही हैं. समिट ने साफ कर दिया सिर्फ भविष्य ही नहीं बल्कि वर्तमान भी महिलाओं का है.
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि साहस या निर्णय क्षमता का कोई जेंडर नहीं होता. अगर आपके अंदर साहस है, अगर आप निर्णय ले सकती हैं, अगर आप मेहनत कर सकती हैं, तो आप आसमान छू सकती हैं; आप कहीं भी पहुंच सकती हैं.
रेखा गुप्ता अपने घर में घुसकर नहीं बैठी है; 24/7 दिल्ली की सड़कों पर रहकर, दिल्ली के लोगों के बीच में, सामाजिक-धार्मिक आयोजनों में जाकर, प्रतिनिधिमंडलों से मिलते हुए, जनसुनवाई करते हुए, जनता के बीच में काम करती है.
मैं उनकी तरह जनता के पैसे पर अय्याशी नहीं कर सकती. मैं जनता के समय को खराब नहीं कर सकती. मेरा एक-एक क्षण और शरीर का हर कतरा जनता के लिए है. मैं जनहित में नीतियां बनाती हूं, अपने हित में नहीं.
भविष्य महिलाओं का: नए सिरे से नियम-कायदे गढ़ रहीं, सियासत बदल रहीं
लोकसभा सांसद शांभवी चौधरी ने कहा, ''हम केवल अपनी विचारधारा की लड़ाई नहीं लड़ रहे, बल्कि पितृसत्ता के खिलाफ भी संघर्ष कर रहे हैं. यह दो मोर्चे की लड़ाई है, और इसमें साहस और सहनशीलता दोनों की जरूरत होती है.''
लोकसभा सांसद इकरा हसने ने कहा, ''मैं रणनीतिक नारीवादी हूं. मैंने कभी अपना सिर नहीं ढका मगर अब ऐसा करती हूं क्योंकि मेरे ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र में सभी जाति और धर्म की महिलाएं सिर ढकती हैं. इससे मुझे उनसे जुड़ने में मदद मिलती है.''
सांसद सायोनी घोष ने कहा. ''मैं अच्छी सांसद बनना चाहती हूं. मैं इस तरह याद रखी जाना चाहती हूं कि और ज्यादा महिलाएं सियासत में आने के लिए प्रोत्साहित हों तथा सभी तबकों की महिलाओं को आगे बढ़ने और अगुआई करने के लिए प्रेरणा मिले.''

आगे की राह: महिलाएं और हमारे सशस्त्र बल
इंडियन एयर फोर्स में विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने कहा, ''निडर रहें. खुद पर यकीन करें, आप जो भी सोचती हैं हासिल कर सकती हैं. अपनी सोच पर भरोसा रखें, अपनी काबिलियत पर यकीन करें. हां, आपको उन्हें गढ़ना होगा. एक रोडमैप बनाएं, ख्वाब देखें.''
इंडियन आर्मी में कर्नल आकृति शर्मा ने कहा, ''भारतीय सेना में कमांडिंग अफसर बनने के सफर में जम्मू-कश्मीर से होने के अपने कुछ फायदे हैं तो कुछ नुक्सान भी हैं. मैंने सीखा कि सशस्त्र बलों में नेतृत्व सहूलत से नहीं बल्कि संकट का सामना करने की आपकी काबिलियत से तय होता है.''

शिष्ट मगर सख्त: भारत के फौलादी ढांचे को संचालित करने वाली महिलाएं
आइटीडीसी की मैनेजिंग डायरेक्टर मुग्धा सिन्हा ने कहा. ''अपना मकसद खोजें और उसे अपनी ताकत बनाएं. ताकतवर होने का मतलब है खुद को, अपनी क्षमताओं को पहचान जाना. अगर आपकी जिंदगी का मकसद आपकी ताकत बन जाता है तो आप समाज के लिए बेहतर कर्ताधर्ता साबित हो सकते हैं.''
गुजरात सरकार में अतिरिक्त मुख्य सचिव, कृषि अंजू शर्मा ने कहा, ''आप सच्चे, ईमानदार, निष्पक्ष और सकारात्मक दिखाई पड़ने चाहिए. अगर आप में विनाशकारी प्रवृत्तियां नजर आएंगी तो लोग आपको पसंद नहीं करेंगे.''

खेल के गौरव: बिहार के पथप्रदर्शक
रग्बी खिलाड़ी अल्पना कुमारी ने कहा, ''रग्बी के लिए साहस, टीमवर्क और पूर्वाग्रहों को तोड़ने की जरूरत होती है. बिहार की टीम के लिए खेलते हुए हमने दिखाया कि आखिर किस तरह की सहनशीलता और लचीलापन होना चाहिए.''
तीरंदाज अंशिका कुमारी ने कहा, ''तीरअंदाजी ने मुझे सब्र और सटीकता की सीख दी. मेरा हर तीर बिहार की तरफ से दुनिया को एक संदेश होता है—वह यह कि हम भी ऊंची उड़ान उड़ सकते हैं.''
जैवलिन थ्रोअर ने निशि कुमारी ने कहा, ''मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं इस मुकाम तक पहुंचूंगी. बिहार के एक छोटे-से कस्बे से होने की वजह से मुझे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. आज जैवलिन थ्रोअर के तौर पर मैं बड़े मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व कर रही हूं, हमारा सफर बस शुरू हुआ है.''