लॉकडाउन काल में सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूर यूपी के ग्रामीण इलाकों में पहुचे हैं. इन मजदूरों को रोजगार दिलाने के लिए प्रदेश सरकार नए-नए उपाय कर रही है. फौरी तौर पर मनरेगा के तहत इन मजदूरों को रोजगार दिलाकर इन्हें व्यस्त रखने की योजना है. मजदूरों के ग्रामीण इलाकों में पहुंचने के कारण खेती पर पड़ने वाले दबाव से निबटने के लिए प्रदेश सरकार भूमि सुधार का एक अभियान शुरू करने की तैयारी में है. इसकी कार्य योजना बनाई जा रही है.
यूपी में खेतों की गुणवत्ता सुधारने के लिए कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा की अध्यक्षता में एक कमेटी नए उपायों पर विचार कर रही है. इन्हीं उपायों में उत्तर प्रदेश भूमि सुधार निगम को उसका स्वरूप बदलकर उसे फिर से सक्रिय करने की योजना बनाई जा रही है. भूमि सुधार निगम का प्रदेश के ज्यादातर जिलों में सशक्त नेटवर्क है जो कुछ समय पूर्व तक ऊसर-बंजर अथवा बीहड़ भूमि को सुधार कर उसे खेती लायक बनाने में लगा हुआ था. इसमें विभिन्न एनजीओ और एफपीओ समेत निगम के अपने अनुभवी कर्मचारी एवं अधिकारी भी शामिल थे.
इसके अलावा फील्ड में किसानों से सीधा इसका सम्पर्क और संवाद था. अब नए स्वरूप में निगम का कार्य प्रदेश में मिट्टी की सेहत को सुधारने का रहेगा. अधिकारियों का विचार है कि कुछ माह पूर्व पूरी तरह से ठप हुआ निगम का नेटवर्क एवं इंफ्रास्ट्रक्चर उसके नए कार्य में काफी सहायक हो सकता है. प्रदेश की खेतों की खराब होती सेहत को सुधारना इसका नया कार्य होगा. प्रदेश में अनाजों के उत्पादन एवं उत्पादकता के लगातार गिरते ग्राफ को सुधारने के लिए सरकार ने भूमि सुधार निगम को चुना है.
विश्व बैंक से पोषित रहे निगम को फिर से चालू करने और उसके नए कार्य में लगने वाले धन का इंतजाम कहां से हो सकेगा, सरकार इसकी भी संभावना तलाश रही है. सरकार एक उच्च स्तरीय समिति को इसकी जिम्मेदारी सौंपने जा रही है, जो यह पता लगाएगी कि निगम को नए स्वरूप में चलाने के लिए धन कहां से और किस रूप में आसानी से मिल सकेगा. इसके अलावा इस संबंध में नीति आयोग से भी संपर्क किया गया है.
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