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पश्चिम बंगाल और असम जैसे राज्यों में गेहूं की उत्पादकता बढ़ी

रबी की कटाई के साथ ही देश में गेहूं की प्रति हेक्टेयर पैदावार बढ़ने के अनुमान लगाए गए हैं. एजेंसियों के अनुमान के मुताबिक, गेहूं की उत्पादकता में वृद्धि पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश और असम जैसे गेहूं के गैर-पारंपरिक राज्यों में दर्ज की गई है.

फोटोः रॉयटर्स
फोटोः रॉयटर्स
अपडेटेड 6 मई , 2020

लॉकडाउन की वजह से शुरुआती गड़बड़ियों के बाद खेती-बाड़ी का काम तेजी से चल निकला है और कटाई-मड़ाई का काम देश भर में होने लगा है. रबी की पूरी फसल इस बार बेहतर बारिश और तापमान के पर्याप्त और अनुकूल रहने से अच्छी हुई है. 31 जनवरी को कृषि मंत्रालय के जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछली साल इसी अवधि की तुलना में 12.3 फीसद अधिक गेहूं की बुआई हुई थी.

जहां तक गेहूं के उत्पादन के अनुमान की बात है, गेहूं के उत्पाकता के राष्ट्रीय औसत में थोड़ा सुधार दिख रहा है. 2013-14 में जो औसत 3000 किग्रा प्रति हेक्टेयर था वह 2018-19 में 2400 किग्रा प्रति हेक्टेयर हो गया.

स्काइमेट के मौसम विज्ञानियों का कहना है कि उत्पादकता में यह बढ़ोतरी न सिर्फ उच्च उत्पादकता वाली नस्लों को अपनाने से आई है बल्कि दूसरे इनपुट्स का भी इसमें योगदान है. पंजाब और हरियाणा जैसे पारंपरिक गेहूं उत्पादक राज्यों की उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से अधिक है. फिर भी, हरियाणा की उत्पादकता में हाल के वर्षों में कमी आई है. लेकिन अच्छी बात यह है कि फसल की उत्पादकता में वृद्धि गेहूं के गैर-पारंपरिक राज्यों मसलन, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश और असम में दर्ज की गई है.

स्काइमेट ने मार्च 2020 तक गेहूं के मुख्य उत्पादक राज्यों में पैदावार की गणना की है जो वास्तविक वर्षा, तापमान और मृदा की नमी पर आधारित है.

स्काईमेट के वैज्ञानिकों का कहना है कि 2019 के रबी (यानी जिसकी कटाई अभी हो रही है) में गेहूं का राष्ट्रीय औसत उत्पादन 3381 किग्रा प्रति हेक्टेयर रहने की उम्मीद है. इसके आधार पर देशभर में 11.37 करोड़ टन गेहूं की पैदावार होने की संभावना है. इसके आधार पर पिछले साल की तुलना में पैदावार का 9.7 फीसद अधिक होगा.

पिछले रबी सीजन में 299.3 लाख हेक्टेयर रकबे में गेहूं बोया गया था जबकि इस साल के सीजन में यह 336.2 लाख हेक्टेयर था. बुआई में सबसे अधिक उछाल महाराष्ट्र में देखा गया था और 89 फीसद अधिक बुआई हुई थी, जबकि इसके बाद महाराष्ट्र में 73 फीसद, मध्य प्रदेश में 33 फीसद, गुजरात में 73 फीसद और राजस्थान में 17 फीसद अधिक रकबे में गेहूं की बुआई हुई थी. बाकी गेहूं उत्पादक राज्यों में पिछले साल जितनी बुआई ही हुई थी.

मिट्टी में पर्याप्त नमी की मौजूदगी की वजह से बुआई का रकबा बढ़ गया था. मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली निजी एजेंसी स्काइमेट के मुताबिक, “पश्चिमोत्तर भारत में फरवरी और मार्च में शीत लहर जैसी स्थिति और हल्की बारिश जैसी स्थितियों ने जुताई-निराई को आसान बना दिया और इससे बढ़िया उपज सुनिश्चत हो गई.”

लॉकडाउन में कुछ खबरें तो अच्छी भी हैं.

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