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महाराष्ट्र के इस मिनी दुबई में लाखों मास्क बनाने में जुटी हैं महिलाएं

कोरोना संकट से निपटने में महाराष्ट्र के एक गांव निभा रहीं अहम भूमिका, एकजुट हो बना रहीं मास्क.

मास्क बनाने में जुटीं समूह की महिलाएं
मास्क बनाने में जुटीं समूह की महिलाएं
अपडेटेड 6 अप्रैल , 2020

महाराष्ट्र के नासिक जिले के निफड तालुका का एक गांव है पिंपलगांव बसवंत. अंगूर और प्याज की अत्याधुनिक खेती से अर्थव्यवस्था को मजबूत रखने वाले इस गांव की पहचान 'मिनी दुबई' के रूप में है. यहां का ग्राम पंचायत भी एशिया का सबसे अमीर ग्राम पंचायत माना जाता है.

अब यह गांव कोरोना संकट के समय में भी अपनी अलग पहचान बना रहा है. कोरोना प्रकोप से बचाने के लिए जहां देशभर में सैनिटाइजर और मास्क की आवश्यकता है वहीं इन दोनों चीजों की कमी भी महसूस की जा रही है. ऐसे में इस गांव के बचत गुट (ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने वाला समूह) से जुड़ी महिलाएं अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभा रही हैं. खासतौर से 'स्वागत हिरकणी उद्योग गट' की महिलाएं एक लाख से ज्यादा मास्क बनाने में जुटी हुई हैं. ये महिलाएं न नुकसान न आमदनी के आधार पर काम कर रही हैं.

जिला कलेक्टर सूरज मांढ़रे और जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी लिना बनसोड ने इन महिलाओं को मास्क बनाने के लिए प्रेरित किया है. इसके बाद ये महिलाएं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए कोरोना के खिलाफ जंग में शामिल हुई हैं. 'स्वागत हिरकणी उद्योग गट' दो महीना पहले ही तैयार हुआ था जिसमें 15-20 महिलाएं शामिल हैं और ये महिलाएं 14-15 अलग-अलग बचत गट से आई हैं.

प्रारंभ में इस गट को पंचायत समिति से दो लाख रूपए का अनुदान मिला था जिससे छह सिलाई मशीनें खरीदी गई. गट की महिलाएं 'प्लास्टिक मुक्त महाराष्ट्र' अभियान में शामिल हुईं और कागज एवं कपड़े की थैलियों का उत्पादन शुरू किया.

इसके बाद कोरोना महामारी को लेकर जागरूकता अभियान के तहत इन महिलाओं ने मास्क बनाने का काम शुरू किया. इनके समाज के प्रति समर्पण और लगन को देखते हुए सबसे पहले 'कल्याणी स्वयंसेवी संस्था' ने इन महिलाओं को 25 हजार कपड़े का मास्क बनाने का काम दिया जिसे इन महिलाओं ने समय पर बनाकर दे दिया. इसके बाद गांव के मेडिकल दुकानदारों ने 10 हजार मास्क बनाने की जिम्मेदारी दी. इसमें भी इन महिलाओं ने सफलता हासिल की. अब गट की महिलाओं ने न नुकसान न आमदनी के फार्मूले पर 50 हजार मास्क तैयार करने का काम स्वीकार किया है.

सामाजिक कार्य में सहयोग देने वाले इस महिला गट को पंचायत के माध्यम से एक हॉल उपलब्ध कराया गया है. यहां पर चार-पांच महिलाएं मास्क की कटिंग करती हैं और फिर इसे उन महिलाओं के पास भेजा जाता है जो सिलाई मशीन पर काम करती हैं. वहां पर सुबह 9 से शाम 7 बजे तक मास्क की सिलाई का काम पूरा किया जाता है. इन महिलाओं की सामाजिक भावना को देखते हुए अब इस महिला बचत गट को शिवभोजन थाली केंद्र भी खोलने के लिए तैयार किया गया है जहां पर महाराष्ट्र सरकार के निर्देश पर इन दिनों गरीबों के लिए पांच रूपए में थाली भोजन की बिक्री होगी.

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