मध्य प्रदेश में सवर्णों के आंदोलन की आग अभी ठंडी भी नहीं हो पाई उधर यूपी में ब्राह्मणों ने एकजुट होकर हुंकार भरने की चेतावनी देनी शुरू कर दी है. सर्व ब्राह्रमण विकास परिषद के बैनर तले आंदोलन की खिचड़ी खदबदाने लगी है.
ब्राह्मण समुदाय का यह संगठन काफी पुराना है. समुदाय के लोगों के बीच यह हमेशा सक्रिय रहा है लेकिन एससीएसटी एक्ट में मौजूदा एनडीए सरकार का रवैया देखकर इस संगठन ने राजनैतिक रूप अख्तियार कर लिया है.
इस संगठन के अध्यक्ष पंडित कमल किशोर अवस्थी ने बताया कि एससीएसटी कानून के सामान्य वर्ग विरोधी स्वरूप को अगर जल्द नहीं बदला गया तो सरकार को ब्राह्मण समाज के एकजुट विरोध का सामना करना पड़ेगा. यह विरोध केवल नारों या श्लोगनों तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि लोकसभा चुनाव में मौजूदा सरकार को इसके नतीजे भुगतने पड़ेंगे.
हर रविवार को होने वाली बैठक में शामिल होने वाले एक कर्मकांडी युवा ब्राह्मण ने बताया ''ऐसा पहली बार हो रहा है कि कर्मकांडी ब्राह्मण एकजुट होकर एक निश्चित स्थान पर एक साथ विचार-विमर्श कर रहे हैं. नहीं तो कर्मकांडी ब्राह्मण किसी सभा सम्मेलन में नहीं जाते.''
वे कहते हैं, एससीएसटी एक्ट को सख्त करना सरकार की सबसे बड़ी गलती है. एक तो आरक्षण के नाम पर ब्राह्मणों के साथ भेदभाव और दूसरे दलित एक्ट के तहत झूठे केस लगाकर ब्राह्मणों पर अत्याचार किए जा रहे हैं. पंडित कमल किशोर की माने तो इस संगठन से यूपी भर में पांच लाख लोग जुड़े हुए हैं.
एमपी में जिस तरह से समान्य पिछड़ा अल्पसंख्यक संस्था यानी सपाक्स ने शिवराज सरकार के खिलाफ बिगुल फूंक दिया उसे देखते हुए यूपी में ब्राह्मण संगठन का ये गुस्सा सामान्य वर्ग के भीतर पनप रहे गुस्से को भड़काने में चिंगारी जैसा काम कर सकता है.
यूपी में करीब साढ़े आठ प्रतिशत वोट ब्राह्मणों के हैं. ऐसे में एमपी के बाद अब यूपी में भाजपा के खिलाफ पनप रहा गुस्सा विधानसभा चुनाव ही नहीं लोकसभा चुनाव में भी सत्तासीन पार्टी पर भारी पड़ सकता है.
दो अक्टूबर को ब्राह्मणों के घर लगेंगे काले झंडे
गांधी जयंती के दिन दो अक्टूबर को हर ब्राह्मण के घर में काले झंडे लगाए जाएंगे. सरकार के खिलाफ शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. हम पहले सरकार से विनयपूर्वक कहेंगे कि ब्राह्मण समाज के ऊपर किया जा रहा अत्याचार बंद हो. अगर नहीं हुई तो फिर दिसंबर के तीसरे सप्ताह में एक विशाल रैली की जाएगी.
संगठन की तीन मांगे
पंडित कमल किशोर अवस्थी ने कहा, संगठन की खासतौर पर तीन मांगे हैं.
1-पहली '' एससीएसटी एक्ट को हल्का किया जाए. सरकार एससीएसटी एक्ट को सख्त करने का अपना फैसला वापस ले. दरअसल केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटते हुए एससी/एसटी एक्ट को वापस मूल स्वरूप में बहाल कर दिया. हाल ही में ये संशोधित एससी/एसटी (एट्रोसिटी एक्ट) फिर से लागू किया है. अब फिर से इस एक्ट के तहत बिना जांच गिरफ्तारी संभव हो गई. ऐसे में सामान्य वर्ग इसके विरोध में उतर आया है.
-दूसरा प्राइमरी से बारहवीं तक एक-एक संस्कृत का टीचर रखा जाए. ये भर्तियां जल्द से जल्द हों. तीसरा संस्कृत आयोग बनाया जाए.''
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