आइपीएल/ हैदराबाद। जनाबेआली, तो तस्वीर अब करीब-करीब साफ है. बस थोड़ी ही देर में आइपीएल -11 का पहला प्लेऑफ शुरू होने को है सनराइजर्स हैदराबाद और चेन्नै सुपर किंग्स के बीच. इसके अलावा कोलकाता और आखिरी फ्लाइट से पहुंचकर राजस्थान ने भी एंट्री मारी है.
इन टीमों का खेल अगर आप देखते आए हैं तो जज्बात की वजह से जाहिर भले न करें लेकिन आगे की तस्वीर का अंदाजा तो आपको भी हो ही चुका होगा. बशर्ते किसी मैच में किसी खिलाड़ी पर कोई 'आत्मा' न उतर आए और वह अकेले ही तिया-पांचा कर डाले. इसको हटाकर देखें तो अगले इतवार को फाइनल में मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में चेन्नै और कोलकाता भिड़ती नजर आती हैं.
आज भिड़ंत तो हैदराबाद और चेन्नै में हो रही है लेकिन लगता है हैदराबाद का सफर अब पूरा हुआ. मजा देखिए कि प्लेऑफ में पहुंचने वाली वह पहली टीम थी. हारते मैच उसने जीतकर दिखाए.
टीम स्पिरिट का हाल यह था कि छोटा टोटल देकर भी केन विलियमसन की अगुआई में इसके जियाले जैसे चींटे-मांटे और ततैयों की तरह 'शत्रु' को घेरकर उसे पंगु कर देते. तमाम दर्शक तो इसमें टेस्ट मैच का सा लुत्फ उठाते.
पर आखिर तक पहुंचते-पहुंचते उसकी आग कुम्हला गई लगती है. खिलाड़ियों की सीमाएं साफ नजर आने लगी हैं. पूरे टूर्नामेंट में टीम के कुल रनों में से आधे तो उसके सलामी बल्लेबाजों विलियमसन और शिखर धवन ने ही कूटे हैं.
हेल्स, मनीष पांडेय, दीपक हुड्डा और यूसुफ पठान वगैरह से अब कोई बहुत उम्मीद करना बेमानी है. बेंगलूरू के खिलाफ आखिरी मैच में तो पांडे जी ने 60 से ऊपर रन जरूर बनाए पर आखिरी ओवरों में वक्त पर अंधे की लकड़ी की तरह बल्ला पकड़े खड़े रह गए. 'अरे! गेंद आई और निकल भी गई! हमें तो पता ई नहीं चला.' कुछ ऐसा ही अंदाज रहा उनका.
उधर चेन्नै के बल्लेïबाजों को देखिए: शेन वाट्सन, अंबाती रायडू, सुरेश रैना, डु प्लेसिस, ड्वेन ब्रावो...ये दूसरी टीम से चुनौती बाद में, पहले तो आपस में ही एक-दूसरे को एक स्वस्थ चुनौती देते दिख रहे हैं कि मुझसे ज्यादा रन बनाके दिखाओ.
कप्तान (महेंद्र सिंह धोनी) धोनी को तो इसमें गिना ही नहीं गया है, जो विकेट पर पहुंचकर कोई भी असंभव दिखता टार्गेट भी पकड़ में ला के दिखा दे. हैदराबाद के गेंदबाजों ने जो शुरू में माहौल बनाया था, वह धीरे-धीरे धुंधला गया है.
शुरू में हीरो रहे भुवनेश्वर कुमार का देखिए क्या हाल हो गया है. हां, राशिद खान की गेंदों में लहरा अब भी उठता है पर उनसे निबटने की तरकीब कम से कम चेन्नै के बल्लेबाजों ने निकाल ली है. दूसरी ओर, चेन्नै में लौटकर आए दक्षिण अफ्रीका के लुंगी आंगड़ी ने लगता है, अकेले ही अंगीठी जला दी है और बल्लेबाजों का दम घोंटे दे रहे हैं.
आज के मैच में देखने लायक बात यही है कि एक-एक कदम मजबूती के साथ रखती आई हैदराबाद क्या कोई जज्बा दिखा पाती है? क्या उसके खिलाड़ियों में यह एहसास पैदा हो सकेगा कि बहुत हुआ अंडरडॉग-अंडरडॉग. आज दिखा ही देते हैं. पर आप 11 में से एक-एक पर उंगली रखिए और दिल से पूछिए कि कौन है वह खिलाड़ी, खासकर चेन्नै के खिलाड़ियों के बरक्स.
आज हारने पर भी हैदराबाद के पास दूसरा मौका भी रहेगा. लेकिन दूसरी तरफ की टीमों की आग-पानी देखते हुए लगता है कि कोलकाता आगे बढ़ेगी और फिर हैदराबाद को रौंदते हुए फाइनल में जा भिड़ेगी, जहां उसके खुद भी शहीद होने की संभावना ज्यादा है.
यहां से वक्त शुरू होता है जब आप अपने-अपने हिसाब से लेकिन किंतु परंतु जोड़ें और इन धारणाओं की धज्जियां उड़ाएं. 20-20 है ही कितनी देर का खेल! क्यों जनाबेआली?
***