
अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद लोगों के जीवन में कैसा बदलाव आया है, इसका सबसे सीधा उदाहरण रानोपाली की फौजी कॉलोनी में रहने वाले 24 वर्षीय राजकमल कन्नौजिया हैं. उनका बचपन बेहद कठिन परिस्थितियों में बीता. पिता एक निजी कंपनी में ड्राइवर थे और घर खर्च मुश्किल से चलता था. वर्ष 2021 में ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद उनके सामने दो रास्ते थे, नौकरी तलाशें या खुद कुछ शुरू करें.
उसी समय अयोध्या में श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही थी. राजकमल ने जोखिम उठाया और एक पुरानी कार खरीदकर छोटी-सी ट्रैवल एजेंसी शुरू कर दी. जनवरी 2024 में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद हालात तेजी से बदले. अयोध्या में आने वाले पर्यटकों की संख्या कई गुना बढ़ गई. बढ़ती मांग ने राजकमल को दो नई कारें खरीदने के लिए प्रेरित किया.
उन्होंने प्रशिक्षण लेकर टूरिस्ट गाइड के रूप में अपना पंजीकरण भी कराया. अब वे न सिर्फ टैक्सी सेवा देते हैं, बल्कि पर्यटकों को मुफ्त गाइड भी करते हैं. उनकी मासिक कमाई 40,000-50,000 रुपए तक पहुंच गई है.
शहर के बहुत-से दूसरे युवाओं की भी कुछ ऐसी ही कहानी है. स्वर्गद्वार मुहल्ले में रहने वाले 30 वर्षीय होम्योपैथिक डॉक्टर प्रज्ज्वल सिंह पहले क्लिनिक चलाते थे. मंदिर निर्माण के बाद बढ़ती भीड़ ने उनके लिए एक नया अवसर खोला. उन्होंने घर की पहली मंजिल पर बने पांच कमरों को होमस्टे में बदल दिया.
रामघाट और मंदिर के करीब होने से इन कमरों की मांग बढ़ गई. पहले खाली रहने वाली यह जगह अब उनके लिए स्थायी आय का जरिया बन चुकी है. बदलाव केवल सेवाओं और होमस्टे तक सीमित नहीं. हनुमानगढ़ी चौराहे पर प्रसाद बेचने वाले नंदलाल गुप्ता बताते हैं, ''2020 से पहले रोज बमुश्किल 5-10 किलो लड्डू बिकते थे, जबकि अब रोज 50 किलो से ज्यादा उठ रहे हैं. पहले जहां दो कारीगर काफी थे, अब 15 लोग लगातार काम करते हैं. फिर भी मांग पूरी नहीं कर पाते.’’
दरअसल यह उस तेज आर्थिक उफान की झलक है जिसने राम मंदिर निर्माण के बाद अयोध्या की पूरी अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी है. अगस्त, 2020 में राम मंदिर का शिलान्यास होने के बाद से यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में 40 गुना से ज्यादा की बढ़ोतरी हो चुकी है. इसी क्रम में शहर में रोजगार, कारोबार और उम्मीद भी साथ-साथ बढ़ रहे हैं.

इस बदलाव ने अयोध्या को शोध का विषय भी बना दिया है. डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या के ग्रामीण अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर विनोद कुमार श्रीवास्तव की निगरानी में ''अयोध्या क्षेत्र में आय और रोजगार की वृद्धि के मामले में भगवान राम के मंदिर का योगदान’’ विषय पर शोध शुरू हुआ है.
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड इकोनॉमिक एसोसिएशन के सहयोग से शोध छात्रा किरण पांडेय की टीम ने विस्तृत सर्वे रिपोर्ट तैयार की है. प्रो. श्रीवास्तव के मुताबिक, ''शोध में पता चला है कि अयोध्या आने वाला श्रद्धालु औसतन ढाई से तीन हजार रुपए खर्च करता है. बीते वर्ष अयोध्या पहुंचे श्रद्धालुओं ने यहां पर 10,000 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए, जिसने इलाके की अर्थव्यवस्था बदल कर रख दी है.’’
अवध विश्वविद्यालय के शोध में सामने आया है कि राम मंदिर निर्माण पूरा होने के बाद से रामलला की मूर्ति बनाने के व्यवसाय ने जोर पकड़ा है. इसे बेच कर लोग अच्छी आमदनी कर रहे हैं. इसके अलावा सरयू के पानी को बोतलों में भरकर बेचने, तुलसी की माला और गेहूं के डंठल से बनी राम मूर्ति के कारोबार ने भी छोटे दुकानदारों की आय में इजाफा किया है. प्रो. श्रीवास्तव बताते हैं, ''विभाग की टीम ने उन 300 दुकानदारों की स्थिति का भी अध्ययन किया जिनकी दुकानें अयोध्या के निर्माण कार्य की जद में आकर तोड़ दी गई थीं. इन्हें दूसरी जगह दुकानें दी गईं.
पहले ये लोग जहां औसतन 500 रुपए रोज कमाते थे, वहीं अब इनकी आय 2,000 रुपए प्रति दिन हो गई है.’’ प्रो. श्रीवास्तव के मुताबिक, अयोध्या आज जिस तेज बदलाव से गुजर रही है, उसकी रफ्तार उत्तर प्रदेश के किसी भी शहर से अलग है. भव्य राम मंदिर के उद्घाटन के बाद यह बदलाव और तेज हुआ है. भीड़, कारोबार, निर्माण, आवाजाही, तकनीक और निवेश, शहर में हर कहीं नई हलचल दिखती है. पिछले एक साल में अयोध्या ने जिस तरह आर्थिक मानचित्र पर खुद को स्थापित किया है, वह इसे राज्य के सबसे गतिशील शहरी केंद्रों में खड़ा करता है.
अयोध्या धीरे-धीरे राज्य की पर्यटक राजधानी बन रहा है. इस दावे के पीछे जमीनी तथ्य हैं. मंदिर बनने से पहले सालाना 5.75 करोड़ लोग यहां आते थे. मंदिर के खुलते ही यह संख्या 16 करोड़ तक पहुंच गई. धार्मिक पर्यटन में बढ़ोतरी ने छोटे कारोबारियों की जिंदगी बदल दी है. हनुमानगढ़ी के पास गायत्री भोग प्रसाद भंडार के संचालक जितेंद्र गुप्ता बताते हैं, ''पहले दैनिक कारोबार 3,000 रु. था. अब यह 10,000 रु. तक पहुंच गया है.’’ कनक भवन के पास दुकान चलाने वाले श्यामजी राय कहते हैं कि व्यापार चार गुना बढ़ा है. वे पहले नौकरी करते थे, अब दुकान संभाल रहे हैं.
पर्यटन का यह उफान अयोध्या को प्रदेश की उभरती हुई 'सर्विस इकोनॉमी’ का नया चेहरा बना रहा है. वर्ष 2020 से मंदिर बनाने और उससे जुड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 2,150 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए गए हैं. राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण मंदिरों की पहचान करने और उन्हें ठीक करने के लिए नई गाइडलाइंस भी जारी की हैं, जिसमें सीएसआर, ग्रांट या डोनेशन के जरिए 50 फीसद तक फंडिंग की इजाजत है.
अयोध्या के जिलाधिकारी निखिल टीकाराम फुंडे बताते हैं, ''रेलवे स्टेशनों को मॉडर्न बनाया गया है और एयरपोर्ट और एयर-कनेक्टिविटी को अपग्रेड और बेहतर किया गया है. इससे सेवा क्षेत्र, ट्रांसपोर्ट और रियल एस्टेट में अभूतपूर्व विकास दिखा है.’’ अयोध्या में लखनऊ-गोरखपुर हाइवे के दोनों तरफ प्रीमियम होटल तो टेढ़ी बाजार से रामघाट के बीच होमस्टे और सस्ते होटल भी बड़ी संख्या में खुल रहे हैं.
अशर्फी भवन चौराहे से लेकर लक्ष्मण किला (गोला घाट) तक का इलाका होटल व्यवसाय का नया हब बनकर उभर रहा है. पर्यटन विभाग के अनुमान के मुताबिक, अयोध्या के होटल और होम स्टे व्यवसाय ने 10,000 से ज्यादा नई नौकरियां सृजित की हैं. अयोध्या में पहले ठहरने के लिए सीमित कमरे मिलते थे, आज राम मंदिर के आसपास ही 2,000 से ज्यादा कमरे उपलब्ध हैं. निर्माण कार्य की रफ्तार देखते हुए इनकी संख्या जल्द दोगुनी हो सकती है. यहां 5-सितारा और 4-सितारा श्रेणी के 42 होटल तैयार हो रहे हैं. यह शहर को अंतरराष्ट्रीय पर्यटक मानकों के अनुकूल बना रहा है.
अयोध्या की अर्थव्यवस्था में आए बदलाव की एक मजबूत झलक जिले के वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह में दिखती है. वर्ष 2023 में अयोध्या प्रदेश के सभी जिलों से आगे था. अकेले श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने पिछले साल 275 करोड़ रुपए जीएसटी का भुगतान किया. यह एक धार्मिक केंद्र के लिए असाधारण आंकड़ा है. निर्माण सामग्री के कारोबार में उछाल सबसे ज्यादा दिखाई देता है.
पहले की तुलना में अब यहां ब्रांडेड और महंगी सामग्री की भारी मांग है. हार्डवेयर व्यवसायी अंजनी गर्ग बताते हैं, ''पहले महंगे टाइल्स, आधुनिक सीट या डिजाइनर फिटिंग्स बहुत कम बिकती थीं, अब अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों की मांग बढ़ गई है.’’ छोटे घरों की जगह ऊंची इमारतें खड़ी हो रही हैं. सुरक्षा नियमों और धार्मिक क्षेत्र से जुड़े प्रतिबंधों के कारण भवन ऊंचाई सीमित रखी गई है, नहीं तो यहां गगनचुंबी इमारतें भी बन सकती थीं.
पिछले वर्ष प्राण प्रतिष्ठा के समय यहां खाने-पीने का संकट पैदा हो गया था क्योंकि मांग अचानक कई गुना बढ़ गई थी. यही अनुभव इस वर्ष कुंभ के दौरान भी दिखा. यह स्थिति दिखाती है कि शहर सेवाओं और सप्लाइ चेन के स्तर पर कितना विस्तार मांग रहा है. इसी मांग की आपूर्ति के लिए देश-विदेश की कई कंपनियां अयोध्या के बाजार में कूद पड़ी हैं.
अयोध्या में ट्रांसपोर्ट का काम करने वाले सत्येंद्र त्रिपाठी बताते है, ''उडुपी, करी लीफ, पिज्जा हट, डोमिनोज जैसी फूड चेन और घर-घर खाद्य सामग्री पहुंचाने वाली सेवाटएं अब यहां भी उपलब्ध हैं. इनमें डिलिवरी बॉय जैसी सेवाएं भी रोजगार का माध्यम बनी हैं. और कुछ नहीं तो बड़ी संक्चया में स्थानीय लोग ई-रिक्शा चला कर ही कमा ले रहे हैं.’’ अयोध्या में लोगों के केवल आर्थिक स्तर में ही नहीं बल्कि रहन-सहन में भी अंतर दिख रहा है. शिक्षा के लिए कभी केवल गिनती के संस्थान थे, अब उच्च शिक्षा में भी रामायण विश्वविद्यालय जैसे संस्थान आ रहे हैं.
फिलहाल, यह शहर राज्य की कुल जीडीपी में करीब 1.5 प्रतिशत का योगदान करता है, और आगामी वर्षों में इसमें तेजी की उम्मीद है. अयोध्या के जिलाधिकारी फुंडे बताते हैं कि शहर को विश्वस्तरीय सुविधाओं से जोड़ने पर जोर है. अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन का सुंदरीकरण पूरा हो चुका है. महर्षि वाल्मीकि एयरपोर्ट चालू है.
1,150 एकड़ की ग्रीनफील्ड टाउनशिप और वशिष्ठ कुंज जैसी योजनाएं शहर के नए रूप की बुनियाद बना रही हैं. दशरथ समाधि से अयोध्या-लखनऊ फोर लेन तक 13 किमी. का नया मार्ग शहर के प्रवेश और आवागमन को नया आकार देगा. सरयू पर दो नए पुल और आउटर रिंग रोड भी आने वाले वर्षों में भीड़ और यातायात दबाव कम करेंगे. हनुमानगढ़ी से श्रीराम जन्मभूमि तक भक्ति पथ का निर्माण हुआ है. सहादतगंज से नया घाट तक चार लेन सड़क का काम पूरा है और धर्मपथ को भी चार लेन कर दिया गया है.
नई सड़कें कारोबार और निर्माण उद्योग को गति दे रही हैं. शहर को छह भव्य प्रवेश द्वार मिले हैं, श्रीराम, लक्ष्मण, भरत, हनुमान, गरुड़ और जटायु. 11 ब्लॉकों में 55 वैदिक वन विकसित किए गए हैं. 'नव्य अयोध्या’ योजना के तहत ग्रीनफील्ड टाउनशिप, हाइटेक वेलनेस सिटी, मेडिकल जोन और टेक्नोलॉजी पार्क जैसी परियोजनाओं पर काम चल रहा है.
यह कहना गलत न होगा कि राम मंदिर अयोध्या की अर्थव्यवस्था का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ है. यह प्रदेश की अर्थव्यवस्था का नया पावरहाउस बन रहा है, जहां धर्म, विकास और कारोबार एक साथ आगे बढ़ रहे हैं.

