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क्यों सरकारी अधिकारियों को बैठे-बिठाए तनख्वाह दे रही है हेमंत सरकार?

झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन (JPSC) से आए 39 DSP का साल 2023 में प्रशिक्षण पूरा हुआ. वे आज तक पोस्टिंग का इंतजार कर रहे हैं

समीक्षा बैठक करते मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर
अपडेटेड 26 नवंबर , 2025

बैठे-बैठे क्या करें करना है कुछ काम, शुरू करो अंताक्षरी, लेकर हरि का नाम. झारखंड के बाबू यानी नौकरशाह इन दिनों बैठ कर अंताक्षरी ही खेल रहे हैं क्योंकि उन्हें पद तो मिल गया है लेकिन पोस्टिंग नहीं. राज्य सरकार उन्हें बैठे-बिठाए तनख्वाह दे रही है.

हालांकि बाबू वर्ग इससे बहुत खुश नहीं, खासकर वे जो नए-नए बहाल हुए हैं. झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन (जेपीएससी) से आए 39 डीएसपी का साल 2023 में प्रशिक्षण पूरा हुआ. वे आज तक पोस्टिंग का इंतजार कर रहे हैं.

जेपीएससी के ही 40 अन्य अफसर चार महीने से तो इंस्पेक्टर से डीएसपी बने 64 अधिकारी भी नई पोस्टिंग की बाट जोह रहे हैं. यही नहीं, 2024 बैच के आए आठ आइएएस और सात आइपीएस अफसर भी ट्रेनिंग पूरी कर बीते तीन महीने से पोस्टिंग की प्रतीक्षा में हैं जबकि पूरे राज्य में कई विभाग प्रभार में चल रहे हैं, जहां एक-एक अधिकारी को कई विभागों का प्रभार दे दिया गया है.

झुंझलाए अधिकारी कभी अपनी जाति के नेताओं के पास पैरवी लेकर जा रहे हैं तो कोई पैरवी करने वालों को ढूंढ़ रहा है. हालत यह है कि जहां बीडीओ (खंड विकास अधिकारी) नहीं हैं, वहां सीओ (अंचल अधिकारी) को प्रभार दिया गया है. जहां सीओ नहीं हैं, वहां बीडीओ पर काम का अतिरिक्त बोझ है जबकि बीडीओ, सीओ पदों पर पोस्टिंग के लिए 40 अफसर इंतजार कर रहे हैं. बीते सितंबर में इन अधिकारियों का एक डेलिगेशन गृह सचिव वंदना डाडेल से मिला. उन्होंने आश्वासन दिया कि वे सीएम के सामने इस मुद्दे को उठाएंगी.

टॉप ब्यूरोक्रेसी और सत्ताधारी दलों के नेता कोई वजह बताने को तैयार नहीं. सचिवालय में चल रही चर्चा के मुताबिक, सत्ताधारी दल के मंत्री, नेता एक पद पर कई अधिकारियों की पैरवी कर रहे हैं, ऐसे में सामंजस्य न बैठने की स्थिति में सीएम संबंधित फाइल को हर बार ठंडे बस्ते में डाल दे रहे हैं. मुख्य विपक्षी दल भाजपा इसे हेमंत सरकार की अक्षमता बता रही है. 

वित्त विभाग ने वेटिंग फॉर पोस्टिंग या अन्य कारणों से काम न करने की अवधि के वेतन को लेकर दिशा-निर्देश जारी कर रखा है. विभाग ने 1998 में जारी पत्र में कहा था कि बिना काम वेतन का भुगतान करना गंभीर वित्तीय अनियमितता है. वर्ष 2022 में जारी संकल्प पत्र में फिर स्पष्ट किया गया कि बिना काम या सेवा के वेतन का भुगतान करना गंभीर वित्तीय अनियमितता है. इस पर पूरी तरह से पाबंदी लगना जरूरी है, एक सप्ताह के भीतर विभाग पोस्टिंग की कार्रवाई शुरू करे. किसी भी सूरत में पोस्टिंग में 15 दिन से अधिक समय नहीं लगना चाहिए. ऐसा होने पर जिम्मेदारों के वेतन से भुगतान की गई राशि काटने का प्रावधान है. यह भी कहा गया है कि पोस्टिंग में देरी के कारणों की समीक्षा भी की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसा न हो. लेकिन न तो समीक्षा हुई, न ही पोस्टिंग. 

विधानसभा में बजट के साथ हर साल फिस्कल पॉलिसी स्ट्रेटजी स्टेटमेंट ऐंड मीडियम टर्म फिस्कल प्लान पेश होता है. इसमें राज्य के कर्मचारियों और अधिकारियों का स्वीकृत पद और कार्यरत लोगों का ब्योरा रहता है. इसमें वर्ष 2022 में 5.33 लाख और वर्ष 2023 में 4.66 लाख स्वीकृत पदों का विभागवार ब्योरा था. साल 2024 में पेश हुए बजट के दौरान स्वीकृत पदों की संख्या घटकर 3.27 लाख हो गई.

इसमें भी स्वीकृत पदों में से 1.59 लाख अब भी खाली पड़े हैं. आखिर महीनों से ऐसी स्थिति क्यों बनी हुई है? राज्य के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर कहते हैं, ''मैं मानता हूं कि अधिकारी लंबे समय तक वेटिंग फॉर पोस्टिंग में नहीं रहने चाहिए. अगर ऐसी स्थिति है, तो इसके बारे में स्पष्ट जानकारी मेरे विभाग के पास नहीं है. ज्यादा जानकारी गृह सचिव या डीजीपी दे पाएंगे.'' डीजीपी अनुराग गुप्ता कहते हैं, ''मैं इस पर फिलहाल कोई जवाब नहीं दे पाऊंगा.'' 

इधर, बीते 19 अक्तूबर को राज्य सरकार ने वित्त वर्ष 2026-27 के बजट संबंधित तैयारियों की प्रक्रिया शुरू कर दी है. वित्त वर्ष का पुनरीक्षित बजट भी तैयार होगा, जिसमें पता चलेगा कि किस मद में कितना पैसा खर्च हुआ और कहां नहीं हो पाया. अधिकारियों की कमी की वजह से बीते वर्ष भी कई विभागों के बजट 50 से 80 फीसद तक खर्च ही नहीं हो पाए थे. आशंका है कि इस बार भी हालात कुछ अलग नहीं दिखेंगे.

खास बातें

> राज्य में 150 से ज्यादा अफसर कर रहे हैं पोस्टिंग की प्रतीक्षा जबकि कई विभाग अतिरिक्त प्रभार पर चल रहे.

अधिकारियों को मिल रहा बैठे-बिठाए वेतन जबकि वित्त विभाग के नियमों के हिसाब से ऐसे भुगतान गंभीर वित्तीय अनियमितता हैं.

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