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असम में जुबीन गर्ग की मौत पर क्यों शुरू हुआ सियासी विवाद?

जुबीन गर्ग की मौत पर न्याय के लिए असम के लाखों लोगों की तरफ से की गई भावनात्मक अपील ने भाजपा सरकार को उनकी मांग मानने पर बाध्य कर दिया है

हेमंत बिस्व सरमा 21 सितंबर को दिल्ली एयरपोर्ट पर ज़ुबीन गर्ग को श्रद्धांजलि देते हुए
अपडेटेड 19 नवंबर , 2025

अगर हम जुबीन गर्ग को न्याय न दिला पाएं तो 2026 में हमें वोट मत देना.'' 19 सितंबर को संगीतकार जुबीन गर्ग की मौत के बमुश्किल एक हफ्ते बाद यह एक लाइन बोलकर असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने शोकाकुल माहौल को एक सियासी दांव में तब्दील कर दिया. असम के सितारे जुबीन के असामयिक निधन पर सामूहिक शोक की भावना देखते-देखते विरोध प्रदर्शनों में बदल गई. मौके की नजाकत भांपते हुए सरमा ने जांच पर दांव लगा दिया. उन्होंने जुबीन के बड़े 'जेन ज़ी' फैन बेस को प्रभावित करने के नाटकीयता की हद तक प्रयास किए. 

सितंबर के उस त्रासद दिन पूर्वोत्तर भारत महोत्सव में हिस्सा लेने पहुंचे 52 वर्षीय जुबीन की सिंगापुर के सेंट जॉन्स द्वीप पर तैरते समय मौत हो गई. अधिकारियों ने इसे डूबने से हुई मौत बताया. लेकिन लाखों असमियों ने इसे साजिश माना और सचाई सामने लाने के लिए सोशल मीडिया पर अभियान शुरू हो गया. लोगों के शक की सुई दो लोगों पर केंद्रित थी: पूर्वोत्तर महोत्सव के आयोजक श्यामकानु महंत और जुबीन के मैनेजर सिद्धार्थ शर्मा. अटकलें लगाई गईं कि दोनों ने सेहत से जुड़े तथ्यों को नजरअंदाज किया जो जानलेवा साबित हुआ. दरअसल, जुबीन दो वर्ष पहले दिल के दौरे के शिकार हुए थे और डॉक्टरों ने उन्हें पानी में न जाने की सलाह दी थी.

श्यामकानु दो प्रभावशाली हस्तियों, असम के सूचना आयुक्त और पूर्व डीजीपी भास्कर महंत और गुवाहाटी विश्वविद्यालय के कुलपति और हाल तक असम सरकार में कैबिनेट रैंक के शिक्षा सलाहकार रहे ननी गोपाल महंत के भाई हैं. सरमा के करीबी सहयोगी ननी गोपाल आरएसएस से भी गहराई से जुड़े हैं और अपने आवास पर दो बार आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की मेजबानी कर चुके हैं. श्यामकानु की तस्वीरें वायरल हुईं, जो सत्ता तंत्र में उनकी गहरी पैठ दर्शाती हैं. कहा गया कि गायक को पता चल गया था कि श्यामकानु और सिद्धार्थ उनके नाम का इस्तेमाल कर पैसे बना रहे हैं. इसलिए उनकी आवाज बंद करा दी गई. अगले कुछ दिनों में 60 से ज्यादा एफआइआर दर्ज की गईं, जिनमें दोनों पर आपराधिक लापरवाही से लेकर हत्या तक में शामिल होने के आरोप लगाए गए.

तेजी से बदला रुख
शुरू में सरमा ने सिंगापुर के अधिकारियों के निष्कर्षों का हवाला देते हुए किसी गड़बड़ी की बात को खारिज कर दिया था. लेकिन जनाक्रोश देखकर उन्होंने अपना रुख बदला. सिंगापुर में हुए शव परीक्षण की रिपोर्ट आने के पहले ही सरमा ने 23 सितंबर को गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दूसरा पोस्टमॉर्टम कराने का आदेश दिया. जहरीले पदार्थों की जांच के लिए विसरा के नमूने दिल्ली भेजे गए, जिससे जहर दिए जाने की साजिश की अटकलों को बल मिला. दस सदस्यीय एसआइटी (विशेष जांच दल) गठित कर दो हफ्ते में रिपोर्ट देने का आदेश जारी किया गया. इसके अलावा एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक सदस्यीय न्यायिक आयोग भी बना दिया. सरमा नेपाल की जेन ज़ी आंदोलन जैसी अशांति रोकने को पूरी तरह तैयार दिखे. 

सीआइडी ने 1 अक्तूबर को श्यामकानु और सिद्धार्थ को गैर-इरादतन हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. लेकिन यह बात किसी से छिपी नहीं थी कि मामला कानूनी तौर पर कमजोर है. फिर सरकार ने वित्तीय अनियमितता के आरोप लगाए और श्यामकानु की जांच प्रवर्तन निदेशालय को सौंप दी. मामला तब और भी उलझ गया जब सिंगापुर में मौजूद रहे जुबीन के बैंड के साथी शेखर ने पुलिस से अपने पिछले बयान के उलट कहा कि श्यामकानु और सिद्धार्थ ने गायक को जहर दिया था. इस आधार पर पुलिस ने सिंगापुर से एक गायिका, और जुबीन के चचेरे भाई संदीपन गर्ग को भी गिरफ्तार कर लिया. 11 अक्तूबर को सरकार की तरफ से जुबीन को मुहैया कराए गए दो निजी सुरक्षा अधिकारियों—नंदेश्वर बोरा और परेश बैश्य को संदिग्ध बैंक गतिविधियों के आरोप में गिरफ्तार किया गया. 

लाखों असमियों के आदर्श जुबीन गर्ग

सार्वजनिक तमाशा
इस बीच मामले से जुड़ी हर बात लाखों सोशल मीडिया पोस्ट में बनी रही. लोगों ने सवाल उठाया कि एसआइटी ने 'घटनास्थल' का निरीक्षण क्यों नहीं किया. आखिरकार, दो सदस्यों की एक टीम वहां भेजी गई. बढ़ते दबाव के बीच, सिंगापुर के अधिकारियों ने यह दोहराया कि कोई गड़बड़ी नहीं हुई है, लेकिन कोरोनर्स ऐक्ट के तहत जांच शुरू कर दी, जो संदिग्ध मौतों के मामले में एक मानक प्रक्रिया है. 

राजनैतिक दलों ने जनता के आक्रोश का फायदा उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. विपक्षी नेताओं में कांग्रेस के गौरव गोगोई और रायजोर दल के अखिल गोगोई (जो कभी जुबीन के आलोचक रहे थे) ने सीबीआइ जांच की मांग उठाई और आरोप लगाया कि सीएम श्यामकानु को बचा रहे हैं. सरमा ने सार्वजनिक तौर पर वादा किया कि अगर एसआइटी जांच में कोई कमी रही तो वे मामला सीबीआइ को सौंप देंगे.

जैसे-जैसे गोगोई ये आरोप लगाते रहे कि गिरफ्तारी, घर सील होने और बैंक खातों को फ्रीज किए जाने के बाद भी श्यामकानु को खास सुविधाएं मिल रही हैं, अधिकारियों ने भी जरूरत से ज्यादा सख्ती दिखानी शुरू कर दी. इसी क्रम में श्यामकानु को विचाराधीन कैदियों के बुनियादी अधिकारों से वंचित कर दिया गया. 

गोगोई ने 17 अक्तूबर को राहुल गांधी को जुबीन के अंतिम संस्कार स्थल पहुंचने के लिए राजी करके कांग्रेस आलाकमान को भी इस मामले में शामिल कर लिया. 19 अक्तूबर को विपक्ष ने गुवाहाटी में एक सार्वजनिक स्मारक पर अपनी एकजुटता दिखाई, जिसमें कांग्रेस, रायजोर दल, असम जातीय परिषद के नेताओं के अलावा सांस्कृतिक हस्तियां भी मौजूद थीं.

अखिल गोगोई ने मुख्यमंत्री की पत्नी रिनिकी भुइयां सरमा पर आरोप लगाया कि जुबीन की मौत की खबर मिलने के बावजूद उन्होंने सिंगापुर नॉर्थईस्ट फेस्टिवल में अपने ब्रांड गोल्डन थ्रेड्स ऑफ असम का फैशन शो जारी रख 'असंवेदनशीलता' दिखाई. रिनिकी ने इस आरोप को खारिज कर आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया है.

सोनापुर में ज़ुबीन के अंतिम संस्कार स्थल पर राहुल गांधी

मिया का मसला 
इस बीच, मिया समुदाय यानी प्रवासी मूल के बंगाली भाषी मुसलमान भी जुबीन को एक साझी सांस्कृति का प्रतीक बता रहे हैं. असम में सरमा की लोकप्रियता आंशिक तौर पर मियाओं के प्रति उनके सख्त रुख के कारण ही उपजी है, जिन्हें अधिकांश मूल असमी लोग सांस्कृतिक और जनसांख्यिकीय खतरा मानते हैं. उनके आलोचक अब इस बात को रेखांकित कर रहे हैं कि जुबीन धर्म और जाति को उतना महत्व नहीं देते थे. सरमा ने इसके जवाब में उनके शिव टैटू और असम को अवैध प्रवासियों से मुक्त कराने से जुड़े एक गाने का हवाला दिया. जुबीन की विरासत को हथियाने की कोशिश सरमा की प्रवासी-विरोधी राजनीति के लिए एक चुनौती भी बन सकती है, खासकर ऊपरी असम में, जहां गौरव गोगोई के उभरने से अहोमों का समर्थन भाजपा के हाथ से छिटक सकता है. मिया पहले ही कांग्रेस का पारंपरिक जनाधार रहा है और इसे देखते हुए ये दोनों ताकतें 2026 में भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती हैं. 

ध्यान भटकाने की राजनीति
जुबीन की मौत पर जनाक्रोश चुनाव में घातक साबित न हो, इसे ध्यान में रखकर सरमा सरकार कई हथकंडे अपना रही है. 22 अक्तूबर को सरमा ने घोषणा की कि नवंबर में होने वाले आगामी विधानसभा सत्र में 'ऐतिहासिक विधेयक' पेश किए जाएंगे, जिनमें 'लव जिहाद' और बहुविवाह के खिलाफ बिल भी शामिल हैं. कांग्रेस नेता देवव्रत सैकिया ने कहा कि सरमा अगले साल होने वाले चुनाव के मद्देनजर ध्रुवीकरण में जुटे हैं.

जुबीन की मौत असम में भावनाओं के उबाल, पहचान और सत्ता के बीच जटिल संबंधों को दर्शाने का आईना बन चुकी है. हैशटैग अभियान, जांच और राजनैतिक दांव-पेच बताते हैं कि मामला अभी खत्म नहीं हुआ है. बहुत संभव है कि इस घटना से उठा सियासी बवंडर ही यह तय करे कि 2026 के बाद असम पर किसका शासन होगा.

त्रासदी के किरदार

जुबीन गर्ग की मौत से जुड़े झंझावात में फंसे प्रमुख नाम

असमिया गायक और मशहूर शख्सियत जुबीन गर्ग 19 सितंबर को सिंगापुर के सेंट जॉन्स द्वीप के नजदीक तैरते हुए मौत के मुंह में समा गए. वे अपने मैनेजर, पुलिस अधिकारी कजिन और कई असमिया प्रवासियों सहित करीब दर्जन भर लोगों के साथ यॉट (नाव) पर पार्टी कर रहे थे. वे नॉर्थईस्ट इंडिया फेस्टिवल में शामिल होने के लिए सिंगापुर में थे

उनकी अचानक मौत से असम में जबरदस्त आक्रोश फैल गया. कई लोगों ने नॉर्थईस्ट फेस्टिवल के आयोजक श्यामकानु महंत (बाएं) और जुबीन के मैनेजर सिद्धार्थ शर्मा (दाएं) को इस बात के लिए दोषी ठहराया कि वे बीमार जुबीन को सिंगापुर ले गए और दो साल पहले दौरा पड़ने के बाद जलीय गतिविधियों से दूर रहने की चिकित्सा सलाह के बावजूद उन्हें तैरने दिया

फेस्टिवल के आयोजक श्यामकानु और जुबीन के मैनेजर सिद्धार्थ शर्मा (दाएं)

विपक्षी दलों और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा अपने पारिवारिक रिश्तों की वजह से श्यामकानु को बचा रहे हैं

श्यामकानु असम के सूचना आयुक्त और पूर्व डीजीपी भास्कर ज्योति महंत (बाएं), और गुवाहाटी विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर ननी गोपाल महंत (दाएं, सरमा के करीबी सहयोगी, जिन्होंने अपने घर दो बार आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत की मेजबानी की थी) के भाई हैं

सिंगापुर की तरफ से किसी भी गड़बड़ी से इनकार के बावजूद षड्यंत्र की थ्योरियां चल रही हैं. दूसरी ऑटोप्सी का आदेश देकर सरकार ने जांच दल बना दिया और गैरइरादतन हत्या के लिए श्यामकानु तथा सिद्धार्थ को गिरफ्तार कर लिया

बाद में पुलिस ने गायिका अमृतप्रभा महंत (बाएं), बैंड के सदस्य शेखर ज्योति गोस्वामी (दाएं) और जुबीन के कजिन डीएसपी संदीपन गर्ग (नीचे) को गिरफ्तार कर लिया, जो सभी नाव पर मौजूद थे

शेखर ज्योति ने आरोप लगाया था कि जुबीन को श्यामकानु और सिद्धार्थ ने जहर दिया था, जिससे मामला हत्या की जांच में बदल गया. बाद में जुबीन के दो सरकारी सुरक्षा गार्डों, नंदेश्वर बोरा और परेश बैश्य, को संदिग्ध बैंक लेनदेन के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया

जुबीन की पत्नी गरिमा सैकिया गर्ग ने शुरुआत में सिद्धार्थ का बचाव किया, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया हुई और दोनों के बीच संबंध के आरोप लगाए गए. बाद में उन्होंने अपना रुख बदल लिया, और गड़बड़ी का आरोप लगाया. हालांकि उन्हें ऑटोप्सी रिपोर्ट दी गई, लेकिन उन्होंने पढ़ने से इनकार कर दिया, और कहा कि उन्हें सरकार पर भरोसा है.

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