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ओडिशा: मोहन माझी की सरकार ने क्यों बदल दिया 9 सरकारी योजनाओं का नाम?

ओडिशा में BJD सरकार के समय शुरू की गई जनकल्याणकारी योजनाओं के नाम बदलने पर सत्ताधारी और मुख्य विपक्षी दल आमने-सामने है

ओडिशा के सीएम मोहन माझी (फाइल फोटो)
ओडिशा के सीएम मोहन माझी (फाइल फोटो)
अपडेटेड 16 अक्टूबर , 2025

इस साल बीते 5 मार्च को ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक का 109वां जन्मदिन था. पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हें याद करते हुए लिखा, ''बीजू बाबू को उनकी जयंती पर याद करते हुए हम ओडिशा के विकास और लोगों को सशक्त बनाने में उनके योगदान को स्मरण करते हैं.''

दूसरी तरफ मोहन माझी सरकार ने बीजू पटनायक के नाम पर चल रही योजनाओं का नाम बदल, नया राजनैतिक शिगूफा छोड़ दिया है. मौजूदा सरकार ने अपने एक साल के कार्यकाल के दौरान एक नहीं, बल्कि नौ-नौ योजनाओं का नाम बदल दिया है.

माझी सरकार ने बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना को गोपबंधु जन आरोग्य योजना, बीजू पक्का घर योजना को अंत्योदय गृह योजना, बीजू सेतु योजना को सेतु बंधन योजना, बीजू युवा सशक्तीकरण योजना को गोदाबरिस विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना, बीजू शहर अंचल विद्युतीकरण योजना को ओडिशा शहर अंचल विद्युतीकरण योजना, बीजू कालाहांडी बलांगीर कोरापुट (केबीके) को केबीके विकास योजना, बीजू कंधमाल ओ गजपति योजना की जगह कंधमाल ओ गजपति विकास योजना, बीजू शिशु सुरक्षा योजना को जसोदा और बीजू कन्या रत्न योजना को मुख्यमंत्री कन्या रत्न योजना कर दिया है.

इसी कड़ी में बीजू स्पोर्ट्स अवार्ड का नाम बदल कर राज्य क्रीड़ा सम्मान किया गया. लेकिन इस पर हंगामा हो गया और सरकार ने फैसला बदल दिया. माझी ने सफाई पेश की कि उन्हें इस फैसले की जानकारी नहीं थी. यही नहीं, पहले बीजू पटनायक के जन्मदिन 5 मार्च को 1993 से 2024 तक पंचायती राज दिवस मनाया जाता था, इसे बदल कर अब 24 अप्रैल कर दिया गया है. यही नहीं, बलांगीर और महांगा जैसे इलाकों में बीजू पटनायक की प्रतिमाएं भी तोड़ी गईं.

हासिल क्या होगा?
आखिर उनके नाम को कमतर आंकने की इस जुगत से भाजपा क्या हासिल करना चाहती है? सीएम मोहन माझी कहते हैं, ''बीजू बाबू ने जो औद्योगिकीकरण किया था चाहे वह शुगर मिल हो, स्पिनिंग मिल हो, क्योंझर में आयरन प्लांट हो, उन्हें तो खुद नवीन पटनायक ने बंद कर दिया. बीजू पटनायक ओडिशा के लिए हमेशा एक वटवृक्ष की तरह रहेंगे. लेकिन सीएम के नाम पर हमें भी तो कुछ करना है.''

वहीं भाजपा प्रदेश महासचिव डॉ. जतिन मोहंती कहते हैं, ''सवाल यह नहीं है कि भाजपा को क्या हासिल होगा, असल बात है जनता के टैक्स के पैसे से बीजेडी का प्रचार रुकेगा. वे अहंकार से कहते थे कि ये हमने दिया, जबकि हमारी सरकार कह रही है कि आपके पैसे से आपको ही दिया है. यहां व्यक्ति नहीं, संस्थान महत्वपूर्ण है. इनमें कई सारी योजनाएं ऐसी थीं जिनका बजट तक नहीं बना था. बीजू पक्का घर योजना तो केवल रिश्वतखोरी के लिए बनाई गई थी.''

जवाब में बीजेडी नेता और नवीन पटनायक के राजनैतिक सलाहकार संतृप्त मिश्र कहते हैं, ''यह ओछी राजनीति है. बीजू पटनायक ही नहीं, अगर कोई सरकार नेहरू या फिर वाजपेयी के नाम पर चल रही योजनाओं का नाम बदलती है, तो हम इसका भी विरोध करेंगे. ये सब लोग एक नाम नहीं, अनुष्ठान हैं. उन्हें ध्वस्त करने का अधिकार किसी को नहीं.'' वे यह भी कहते हैं, ''मोहन सरकार छोटी राजनीति से ऊपर नहीं उठ पा रही. कुछ बड़ा करने की योजना नहीं होती है तो ऐसी हरकत की जाती है? भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को इसका संज्ञान लेना चाहिए और बीजू पटनायक के नाम को फिर से स्थापित करना चाहिए.''

वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पांच बार के विधायक तारा प्रसाद बहिनीपति दोनों दलों की तीखी आलोचना करते हैं. वे कहते हैं, ''यह किसी के बाप का पैसा है क्या? जनता के टैक्स के पैसे से पहले बीजेडी और अब भाजपा, दोनों ही बस रंग और नाम बदलने का काम कर रही हैं. कभी बस का, कभी एंबुलेंस का, कभी भवनों का रंग बदल दिया जा रहा है.'' पार्टी के ओडिशा से एकमात्र सांसद सप्तगिरि शंकर उलाका भी तारा प्रसाद की बात से पूरी तरह सहमत दिखते हैं.

विचारधारा को स्थापित करने की लड़ाई में मोहन माझी ने एक और कदम बढ़ाया है. अब ओडिशा में सरकारी कर्मियों को आरएसएस की शाखा में जाने की मनाही नहीं है. पिछले 25 साल से अघोषित मनाही थी. मोहन माझी फिर कहते हैं, ''जो सरकारी नौकरी में हैं, वे पहले से स्वयंसेवक हैं.'' लेकिन मिश्र इसे कानूनन गलत मानते हैं.

वैसे, ओडिशा पूर्व प्रांत के संघचालक समीर कुमार मोहंती इसे स्वागत योग्य फैसला मानते हैं. वे कहते हैं, ''इससे संघ को ओडिशा में अपने काम के विस्तार में मदद मिलेगी. हालांकि पहले भी सरकारी कर्मी शाखा में आते रहे हैं. लेकिन हिचक के साथ. अब वे बेहिचक आ सकेंगे.

दोनों दलों के तर्क अपनी जगह हैं. राज्य और देश की थातियों का सम्मान बने रहना चाहिए. इन सब के बीच मूल बात यह है कि आम जन को इससे क्या हासिल हो रहा है?

खास बातें

माझी सरकार ने बीजू पटनायक के नाम वाली नौ यौजनाओं का नाम बदल दिया.

सरकारी कर्मचारियों को संघ की शाखा में जाने की छूट दी, जिसकी 25 साल तक अघोषित मनाही थी.

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