दिल्ली के फैले-पसरे शहरी लैंडस्केप में, जहां ऊंची इमारतों की शीशे की दीवारों के बीच कॉर्पोरेट महत्वाकांक्षाएं जन्म लेती हैं, वहां अजय सिंह ने छोटी-सी राह पर कदम रखते हुए नए सफर की शुरूआत की.
यह राह उन्हें कॉर्पोरेट पेशेवर से उस व्यावहारिक ज्ञान तक ले गई जिसमें उनके पास आज 300 बकरियों का फार्म है. हरियाणा के चरखी दादरी के बरसाना गांव के एक सीआरपीएफ सब-इंस्पेक्टर के बेटे अजय ने बतौर एकाउंटेंट प्रशिक्षण लिया और बैंकिंग का काम किया.
2011 में प्रॉपर्टी की तेजी के बीच उन्होंने पेशा बदला और रियल एस्टेट कंपनी खोली. उन्होंने राजस्थान में अलवर के पास 35 एकड़ खेतिहर जमीन खरीदी जिसका मकसद उसके प्लॉट्स बेचना था. 2015 में रियल एस्टेट बाजार बुरी तरह लड़खड़ा गया. फार्म प्लॉट डेवलप करने में लगे अजय ने अपनी बचत उस जमीन में निवेश की थी जिसे अब कोई खरीदने वाला न था. वे याद करते हैं, ''एक वक्त ऐसा भी था जब मेरे पास अपने बच्चों के लिए अंडे और ब्रेड तक खरीदने के पैसे न थे.’’
अजय ने जब खेती में हाथ आजमाइश शुरू की तो अलवर के इलाके में बड़े स्तर पर हो रहे बकरीपालन पर उनका ध्यान गया. उन्हें बुजुर्गों का कहा याद आया कि बकरी का दूध औषधीय गुण की वजह से निरोगी होता है. लैक्टोज न पचा सकने वाले कुछ लोग गाय के दूध के मुकाबले इसे बेहतर बताते थे. अजय ने यह भी सुना था कि डेंगू, चिकनगुनिया और टायफाइड के मरीजों को प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए डॉक्टर बकरी के दूध की सलाह देते हैं. उन्होंने दूध के लिए एक बकरी पाल रखी थी क्योंकि उसका चारा-पानी सस्ता था और उसे कभी भी दुहा जा सकता था. यहीं से उनके मन में दिल्ली के ग्राहकों को बकरी का दूध उपलब्ध कराने का विचार आया.
2016 में अजय ने कोर्टयार्ड फार्म्स की स्थापना की. गूगल और जस्ट डायल पर विज्ञापन दिए और ग्राहकों को ट्रैक करने में कामयाब रहे. उन्होंने किसानों से भी बकरी का दूध खरीदना शुरू किया. साल भर के भीतर ही वे रोजाना 40 लीटर दूध बेचने लगे. दो साल में उनके ग्राहकों की संख्या लगभग 8,000 हो गई. अजय अपना कारोबार एलआइजी फ्लैट से दिल्ली के संत नगर में 700 वर्ग फुट की जगह पर ले गए. फिर इसे उन्होंने 2,000 वर्ग फुट क्षेत्र तक बढ़ा लिया.
सफलता मिल रही थी लेकिन 2018 आते-आते अजय को एहसास होने लगा कि लोग बकरी का दूध असल में हेल्थ सप्लीमेंट के तौर पर लेते हैं. अजय ने इससे घी और दही बनाने का फैसला किया जिसे अच्छा रिस्पॉन्स मिला. फिर उन्होंने बकरी के दूध से बेहतरीन उत्पाद बनाया—गोट चीज.
इस बारे में सीखने-जानने के लिए उन्होंने यूट्यूब देखना शुरू किया. इसके बाद उन्होंने भारत और विदेश में चीज़ बनाने वालों से संपर्क किया; गुणवत्ता और स्वाद के लिए शेफ और खाद्य सलाहकारों से सलाह मांगी. साल भर के भीतर उन्होंने बिना प्रिजर्वेटिव इस्तेमाल किए गोट फेटा और शेव्रा चीज़ लॉन्च किया. दोनों इतने स्वादिष्ट थे कि शौकीन लोग चकित रह गए. उनके उत्पादों को इंपोर्टेड, प्रिजर्वेटिव युक्त चीज़ की तुलना में प्राथमिकता मिलने लगी. जल्द ही इंडियन एक्सेंट और कोमोरिन जैसे शीर्ष रेस्तरां उनके नियमित ग्राहक बन गए.
अजय इससे भी संतुष्ट नहीं हुए और प्रयोग करते रहे. उन्होंने बकरी के दूध से दूसरे उत्पाद भी बनाए. दूध की सप्लाइ बनी रहे, इसके लिए उन्होंने खुद बकरियां पालनी शुरू कर दीं. 2021 में उन्होंने गोट कैफिर (फर्मेंटेड दूध से बना पेय) लॉन्च किया, जिसके बाद उन्होंने मैरिनेटेड फेटा रेंज शुरू की.
अजय की प्रोडक्ट रेंज में 2023 तक बकरी के दूध पर आधारित कंडेंस्ड मिल्क, कैजेटा स्प्रेड और कई तरह के ग्रीक योगर्ट शामिल हो गए. अब इनका उत्पादन ओखला औद्योगिक क्षेत्र में 6,000 वर्ग फुट के परिसर में कड़े गुणवत्ता नियंत्रण वाले सेटअप में किया जाता है. कोर्टयार्ड फार्म्स का वित्त वर्ष 2024-25 का कारोबार 2.25 करोड़ रुपए रहा.
अजय कहते हैं, ''भारत में गोट चीज़ के लगभग 12 करोड़ रुपए के बाजार में इंपोर्टेड चीज का हिस्सा 70 प्रतिशत से ज्यादा है.’’ वे चूल्हे पर बनी रोटी पर शेव्रा लगाते हुए कहते हैं, ''तीन साल में मेरा लक्ष्य इंपोर्टेड चीज़ में भारी कमी लाना है.’’