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उत्तर प्रदेश: दलित-आदिवासी महापुरुषों के जरिए कैसे पैर जमाने की कोशिश कर रही BJP?

मुरादाबाद में संविधान पार्क और दलित-आदिवासी महापुरुषों के स्मारकों के जरिए योगी सरकार जातीय सम्मान का संदेश दे रही है

संविधान निर्माण से जुड़ी शख्सियतों की प्रतिमाएं
अपडेटेड 15 सितंबर , 2025

देश में आपातकाल लागू होने की पचासवीं बरसी पर 25 जून को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने देश भर में संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाया. वहीं उत्तर प्रदेश की आदित्यनाथ सरकार ने पश्चिमी यूपी के जिले और पीतल नगरी के नाम से मशहूर मुरादाबाद में इसी दिन अनोखे संविधान पार्क की शुरुआत की.

मुरादाबाद से दिल्ली रोड पर बुद्धि विहार फेज दो इलाके में दो एकड़ जमीन पर बदहाल पड़े पार्क को मुरादाबाद नगर निगम ने देश में अपनी तरह के पहले संविधान पार्क में तब्दील किया है. डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा से लेकर 'प्रीएंबल' की पत्थर पर नक्काशी तक, यह पार्क भारतीय संविधान की निर्माण यात्रा को एक भव्य स्मारक के रूप में दर्शा रहा है.

मुरादाबाद नगर निगम की तरफ से 20 करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत से बनकर तैयार हुई 'संविधान साहित्य वाटिका' में प्रवेश करते ही सामने डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा खड़ी है. इसके पीछे एक बड़ी दीवार पर भारतीय संविधान के बारे में रोचक तथ्य प्रदर्शित किए गए हैं. पार्क के दाईं ओर गलियारे में पत्थर की दीवार पर 'सिंहासन खाली करो कि जनता आती है' के नारे के साथ आपातकाल के बारे में विस्तृत जानकारी उकेरी गई है. साथ में जवाहरलाल नेहरू से लेकर संविधान निर्माण प्रकिया से जुड़ी हरेक शख्सियत की पत्थर की मूर्तियां भी हैं.

पार्क में संविधान ड्राफ्टिंग कमेटी के सभी सदस्यों की एक साथ पत्थर की प्रतिमा तो है ही, दूसरी तमाम जानकारियां भी पत्थर की मूर्तियों के जरिए दी गई हैं. संविधान पार्क के एक हिस्से में जिगर मुरादाबादी और हुल्लड़ मुरादाबादी से लेकर देश के सभी प्रसिद्ध साहित्यकारों के भित्ति चित्र हैं. इन चित्रों के सामने लगे बार कोड के जरिए साहित्यकारों के बारे में सारी जानकारी हासिल की जा सकती है.

इस पार्क की अनूठी विशेषता पत्थर की विशाल संविधान की प्रति है, जिस पर प्रोजेक्शन मैपिंग तकनीक की मदद से संविधान की धाराओं और बारीकियों को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया है. 6 अगस्त को मुरादाबाद दौरे पर पहुंचे मुख्यमंत्री ने पार्क के निरीक्षण के दौरान इसी किताब के सामने फोटो खिंचवाकर संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की थी.

मुरादाबाद में संविधान की नींव पर राजनीति का नया शिलान्यास भी हो गया है. योगी सरकार ने संविधान पार्क (संविधान साहित्य वाटिका) खोलकर विकास के साथ-साथ विपक्ष के 'संविधान विरोधी' नैरेटिव को सीधा जवाब देने की कोशिश की है. वहीं विपक्ष इसे सजावटी ढोंग बताते हुए अपने असंतोष का इजहार कर रहा है. मुरादाबाद की कांठ विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी (सपा) विधायक कमाल अख्तर ने संविधान पार्क को अगामी चुनावों के मद्देनजर हवा देने वाला प्रचार भरा कदम बताया है. वे कहते हैं, ''विकास के नाम पर संवैधानिक भावना को थोपने की कोशिश की जा रही है, जो सही नहीं है.''

मुरादाबाद शहर में हो रहे बदलाव भले ही विकास, सौंदर्यीकरण और पर्यटन को ध्यान में रख कर हो रहे हों लेकिन इनके राजनैतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं. रामपुर से सड़क के रास्ते मुरादाबाद में प्रवेश करने पर रामगंगा पुल पार करते ही दाहिनी ओर 'आदि विद्रोही पथ' स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बिरसा मुंडा के जीवन की संघर्ष गाथा सुना रहा है. बिरसा मुंडा की जयंती के मौके पर पिछले साल 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस पर इस पथ का लोकार्पण हुआ था. आदिगौरव पथ पर जनजातीय नायकों तिलका मांझी, तांत्या भील, रानी गाइदिन्ल्यू, सिद्धू मुर्मू और कान्हू मुर्मू के साथ बिरसा मुंडा को समर्पित वॉर म्यूरल बनाया गया है.

रामपुर रोड पर आदि विद्रोही पथ के ठीक सामने 'नारी शक्ति पथ' में लगीं सावित्री बाई फुले, रानी लक्ष्मी बाई से लेकर कल्पना चावला तक की प्रतिमाएं नारी सम्मान और सशक्तीकरण की जीवंत प्रतीक हैं. इसी तरह मुरादाबाद में सड़कों के किनारों को विभिन्न महापुरुषों को समर्पित गलियारे के रूप में तब्दील कर दिया गया है. इनमें पूर्व राष्ट्रपति और भारतरत्न डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को समर्पित 'विज्ञान पथ', श्रीकृष्ण, गुरु गोरखनाथ और भगवान कल्कि की मूर्तियों से सजे 'योग पथ' के अलावा संगीत पथ, साहित्य पथ और संस्कृति पथ मुख्य हैं.

मुरादाबाद शहर में हुए बदलाव के आर्किटेक्ट नगर आयुक्त और स्मार्ट सिटी के सीईओ दिव्यांशु पटेल कहते हैं, ''हमने सड़कों के किनारे नगर निगम की जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराकर एक गलियारे का रूप दिया ताकि इन पर चलते हुए कोई भी बड़ी आसानी से सभी स्मारकों और पथ को देख सके.'' पटेल बताते हैं कि नगर निगम ने मुरादाबाद शहर के बुनियादी ढांचे के निर्माण के साथ-साथ पूरे शहर को थीम और विचारों से सजाया है, जिससे हर मार्ग, हर दीवार और हर सुविधा के पीछे एक उद्देश्य हो.

राजनैतिक विश्लेषक मुरादाबाद के विकास कार्य में एक स्पष्ट राजनैतिक संदेश भी देख रहे हैं. मुरादाबाद के हिंदू कॉलेज में डिफेंस स्टडीज विभाग के प्रोफेसर ए.के. सिंह बताते हैं, ''मुरादाबाद में संविधान पार्क के अलावा ज्यादातर स्मारक दलित या पिछड़ी जाति से ताल्लुक रखने वाले महापुरुषों को समर्पित किए गए हैं. इसके अलावा राणा सांगा का भी एक स्मारक है. इससे यह संकेत जाता है कि विकास कार्यों के जरिए न केवल विपक्ष की पीडीए रणनीति का काउंटर किया जा रहा है बल्कि सत्तारूढ़ भाजपा के समर्थकों को सकारात्मक संदेश भी मिल रहा है.'' लेकिन मुरादाबाद की सांसद रुचिवीरा इस पूरे घटनाक्रम से खफा दिखती हैं.

उनकी शिकायत है कि मुरादाबाद के अधिकारी केवल सरकार के इशारों पर ही काम कर रहे हैं और मुरादाबाद में सजावट का ढोंग किया जा रहा है. उनके मुताबिक, ''पीतल उद्योग को कच्चे माल और बिजली की बढ़ी लागत, वैश्विक मंदी से घटते निर्यात, सस्ते विकल्पों की प्रतिस्पर्धा, युवाओं के पलायन, सरकारी सहायता की कमी, प्रदूषण नियंत्रण की चुनौतियों और बिचौलियों के शोषण जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इससे कारीगरों की आजीविका संकट में पड़ गई है और सरकार का ध्यान इस ओर नहीं है.''

असल में मुरादाबाद मंडल भाजपा के लिए राजनैतिक रूप से हमेशा से एक दुरूह किला ही साबित हुआ है (देखें बॉक्स). पिछले लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने इस इलाके पर खास ध्यान देना शुरू किया. इसका असर विधानसभा उपचुनाव में दिखा. नवंबर 2024 में मुरादाबाद जिले की कुंदरकी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार रामवीर सिंह को मिली जीत ने सियासी पंडितों को हैरान कर दिया था. 65 फीसद मुस्लिम आबादी वाली कुंदरकी सीट पर रामवीर ने सपा उम्मीदवार हाजी रिजवान को 1.44 लाख मतों से हराया था. कुंदरकी के एक इंटर कॉलेज में लेक्चरर मोहम्मद शारिक बताते हैं, ''रामवीर अपने सामाजिक कार्यों की बदौलत मुस्लिम बिरादरी में काफी पैठ रखते हैं. विधानसभा उपचुनाव में भारी अंतर से जीत इस बात का सबूत है.''

अब रामवीर सिंह मुरादाबाद मंडल में भाजपा का चेहरा बनकर उभरे हैं. 6 अगस्त को मुरादाबाद के दौरे पर आए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने 1,172 करोड़ रुपए की परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया, जिनमें 16 प्रोजेक्ट कुंदरकी के भी हैं. लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार मुख्यमंत्री मुरादाबाद में रुके और साथ में पड़ोस के जिले संभल का भी दौरा किया. उन्होंने संभल को भगवान कल्कि के अवतरण की पावन भूमि बताते हुए इसे 'कल्कि धाम' के रूप में विकसित करने का ऐलान कर सपा के गढ़ में हिंदू कार्ड खेला. यह भी महज संयोग नहीं है कि मुरादाबाद में योगी के हाथों लोकार्पित स्पंदन सरोवर में म्यूजिकल फाउंटेन और लेजर शो में भगवान कल्कि के अवतरण की कहानी है.

योगी की घोषणा के बाद मुरादाबाद शहर में गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य चल रहा है. इस वर्ष यहां की कुछ कक्षाओं में प्रवेश भी शुरू हुए. गुरु जम्भेश्वर को विश्नोई समाज अपना आराध्य मानता है. मुरादाबाद में इस समाज के 65,000 से ज्यादा मतदाता हैं. मुरादाबाद के वार्ड 10 लोदीपुर विशनपुर में गुरु जम्भेश्वर का 493 वर्ष पुराना मंदिर है, जिसके जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण की एक बड़ी योजना पर मुहर लग चुकी है.

संविधान पार्क के अलावा दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के महापुरुषों के स्मारकों के जरिए योगी सरकार ने मुरादाबाद में एक ऐसा प्रतीक खड़ा किया है, जो सामाजिक न्याय की भाषा बोलते हुए भी हिंदुत्व की छाया में चलता है. यह रणनीति भाजपा को जातीय समीकरण साधने के साथ-साथ विपक्ष के 'संविधान विरोधी' नैरेटिव का जवाब देने का कितना धारदार औजार देती है, यह आने वाले चुनाव ही बताएंगे. 

हर प्रोजेक्ट कुछ कहता है- 

> हनुमान वाटिका बुद्धि विहार में 'रिसाइकिल मेटल' से बनीं मूर्तियों और भित्ति चित्र के जरिए हनुमान जी के जीवन प्रसंगों का प्रदर्शन. यहां बिना सपोर्ट के 44 फुट ऊंची अनोखी गदा भी लगी है.

> प्रोजेक्ट जटायु  पुराने वाहनों को आधुनिक रूप देकर उनमें 15 किमी रेंज वाले दो हाइटेक ड्रोन तैनात किए गए हैं.

> वॉर मेमोरियल हनुमान वाटिका के सामने बन रहे स्मारक में असली टैंक, पनडुब्बी और लड़ाकू विमान प्रदर्शित होंगे.

> एकता चौराहा मुरादाबाद के प्रसिद्ध पीली कोठी चौराहे पर सरदार वल्लभ भाई पटेल की 11 फुट ऊंची कांसे की भव्य प्रतिमा स्थापित कर इसे 'राष्ट्रीय एकता चौराहा' नाम दिया गया है.

> राणा सांगा स्मारक गागन तिराहे पर बने इस स्मारक में मेवाड़ के शासक रहे योद्धा राणा सांगा के साथ पृथ्वीराज चौहान, भामाशाह, हसन खां और भील सेनापति की प्रतिमाएं हैं.

> अटल घाट रामगंगा नदी के किनारे अटल बिहारी वाजपेयी की 16 फुट ऊंची धातु की प्रतिमा स्थापित है. इसके चारों ओर अटल की कविताएं फाउंडेशन के पत्थर पर लिखी हुई हैं.

> सौ फुट तिरंगा मुरादाबाद में चाहे सड़क मार्ग से प्रवेश करें या फिर एयरपोर्ट से, शहर के सभी प्रमुख एंट्री पॉइंट पर नगर निगम की ओर से 100 फुट ऊंचा तिरंगा फहराया गया है.

> खेल गैलरी मुरादाबाद को दिल्ली से जोड़ते लोकोशेड पुल की दीवारें उन भारतीय खिलाड़ियों के कटआउट से सजी हैं जिन्होंने विभिन्न खेलों में देश का गौरव बढ़ाया है.

> 26/11 स्मारक मुंबई में हुए आतंकी हमले में सेना और पुलिस के शहीदों की याद में दिल्ली रोड पर स्मारक.

> सांस्कृतिक राष्ट्रवाद वॉल दिल्ली रोड के किनारे एक दीवार पर ठोस पत्थर से बने पैनल पर छत्रपति शिवाजी से लेकर राम मंदिर, कोणार्क मंदिर जैसे देश के प्रमुख मंदिर प्रदर्शित किए गए हैं.

भाजपा का मुश्किलों भरा सफर 

> मुरादाबाद मंडल में पांच जिले हैं: मुरादाबाद, अमरोहा, बिजनौर, संभल और रामपुर. इसमें छह लोकसभा सीटें संभल, रामपुर, अमरोहा, मुरादाबाद, नगीना और बिजनौर हैं. इस मंडल में कुल 27 विधानसभा सीटें हैं.

> वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में मुरादाबाद मंडल की कुल 27 विधानसभा सीटों में भाजपा को महज 11 पर विजय मिली थी. सपा ने 16 सीटें जीती थीं. रामपुर सदर, स्वार और कुंदरकी सीट पर हुए विधानसभा उपचुनाव जीतकर भगवा दल की सीटें 14 पर पहुंच गई हैं.

> मुरादाबाद जिले में कुल छह विधानसभा सीटें हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा बड़ी मुश्किल से केवल एक मुरादाबाद नगर विधानसभा सीट ही जीत पाई थी. पिछले साल कुंदरकी सीट पर विधानसभा उपचुनाव जीत कर भाजपा की सीटें दो हो गईं.

> अप्रैल 2022 में मुरादाबाद-बिजनौर स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र सीट पर हुए विधान परिषद चुनाव में भाजपा के सत्यपाल सैनी को जीत मिली थी. इससे पहले 2016 में इस सीट पर सपा के परवेज अली जीतकर एमएलसी बने थे.

> पिछले साल लोकसभा चुनाव में भाजपा ने मुरादाबाद मंडल की छह में से एक सीट अमरोहा पर विजय हासिल की थी. भाजपा की सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल ने बिजनौर सीट जीती थी. चार सीटें विपक्ष के खाते में आई थीं.

> राजनैतिक अनुमान के मुताबिक, मुरादाबाद लोकसभा सीट पर 8.85 लाख मुस्लिम मतदाता (अंसारी 4 लाख, शेखजादा 2 लाख, कुरैशी 1 लाख, सैयद-पठान 1 लाख शामिल हैं), 1.85 लाख जाटव, 1.60 लाख ठाकुर, 1.50 लाख सैनी, 1 लाख वैश्य, 80,000 ब्राह्मण मतदाता हैं.

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