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बिहार: चुनाव से पहले हिंदुत्व की शरण में CM नीतीश, क्यों पहुंचे सीता की जन्मभूमि?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने लंबे सियासी सफर में पहली बार मंदिर के जरिए संदेश दे रहे हैं. सीता की जन्मभूमि पर बना मंदिर उन्हें हिंदुत्व के साथ जोड़ रहा.

सीेएम नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
सीेएम नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
अपडेटेड 10 सितंबर , 2025

उमस भरी 8 अगस्त की सुबह बिहार के सीतामढ़ी में अनुष्ठान और तामझाम ऐसे पसरा, मानो पहले से मुकर्रर था. भूमि पूजन, शिलान्यास, हर मौके और वीआइपी आगमन पर कैमरों की दनादन क्लिक के बीच सीएम नीतीश कुमार ने बिना किसी लाग-लपेट के सीता की जन्मभूमि की चर्चा की.

उसके बाद मुखातिब हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह. उन्होंने शुरू तो किया पुनौरा धाम के विकास के लिए 'नीतीश बाबू' की तारीफ से, मगर फिर मुड़ गए अपने प्रिय सियासी विषय पर और विरोधियों पर वोट बैंक की खातिर कथित बांग्लादेशी घुसपैठियों को बचाने के तीखे आरोप पर.

बिहार विधानसभा चुनाव में अब केवल दो महीने ही बाकी हैं, ऐसे में मुद्दों को लेकर एनडीए की यह जुगलबंदी लय में दिखी. नीतीश कुमार अपने चार दशकों से ज्यादा लंबे सियासी करियर और लगभग दो दशकों के मुख्यमंत्री के दौर में शायद पहली बार मंदिर की राजनीति से खुलकर जुड़े.

उन्होंने अपने शासनकाल में ऐसे मुद्दों को पूरी तरह खारिज भले न किया हो मगर इससे दूरी बनाए रखने की निजी राजनैतिक नैतिकता बनाए रखी थी. अब वे जानकी जन्मस्थली मंदिर परिसर के पुनर्विकास के लिए जद(यू)-भाजपा सरकार की 882.87 करोड़ रुपए की परियोजना पर ट्वीट कर रहे हैं और सरकार अखबारों में पूरे पन्ने के विज्ञापन देती है.

कोई संदेह रहा भी हो तो वह इससे पूरी तरह दूर हो गया कि उसे अयोध्या के राम मंदिर की तर्ज पर बनाया जाएगा. इसमें परिक्रमा पथ, आध्यात्मिक उद्यान, संग्रहालय, धर्मशालाएं, सांस्कृतिक स्थल और 67 एकड़ का धार्मिक गलियारा शामिल होगा. उसका प्रतीक भी उतना ही विशाल और सशक्त है—वह यह कि मिथिला की पुत्री सीता स्थानीय सांस्कृतिक प्रतीक हैं.

मिथिला का गुणा-भाग
मिथिला ऐसा सांस्कृतिक-भाषाई इलाका है जहां क्षेत्रीय पहचान और आस्था रोजमर्रा की जिंदगी में गहराई से गुंथी हुई है. इसके मुख्य जिले दरभंगा, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, शिवहर, वैशाली, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा में लगभग 69 विधानसभा सीटें हैं, जो बिहार की कुल 243 सीटों का करीब 29 फीसद है.

यहां सीता का मंदिर विकास का भव्य रंगमंच तैयार करता है. राज्य सरकार इस योजना को विरासत-आधारित विकास के रूप में पेश कर रही है. उसमें बेहतर सड़क और रेल संपर्क, बड़े होटलों की शृंखला, राष्ट्रीय तीर्थयात्रा सर्किट में स्थान और आजीविका का वादा है. यह संस्कृति की थाती है.

राज्य सरकार ने इस परियोजना को मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाले एक ट्रस्ट के तहत रखकर उसका राजनीतिकरण करने की कोशिश की है. वहां विकास आयुक्त और जिला मजिस्ट्रेट धार्मिक प्रतिनिधियों के साथ मिलकर काम करेंगे.

इस वजह से यह सरकारी कार्यक्रम बन गया है; इससे सरकार को भूमि अधिग्रहण, निर्माण और पर्यटन सुविधाओं के लिए व्यवस्था करने का मौका मिल जाता है, मगर इससे राजनैतिक गुणा-भाग समाप्त नहीं होता. वादे के मुताबिक, सुविधाओं को साकार होने में वर्षों लग सकते हैं, लेकिन चुनाव फौरी सुविधाओं के आधार की मांग करते हैं. यूं नीतीश के लिए भगवा गमछा धारण करने का मंच तैयार हो गया है, जिसे वे अब तक छुपाए रहे हैं.

खास बातें
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अयोध्या की तर्ज पर नीतीश कुमार ने सीतामढ़ी में जानकी जन्मस्थली मंदिर परियोजना का उद्घाटन किया.

> सीता की कथा मिथिला की संस्कृति में रची-बसी है और यह उनकी पौराणिक जन्मभूमि है.

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