पहाड़ों ने फिर अपना रौद्र रूप दिखाया है. 5 अगस्त को उत्तराखंड में खासी ऊंचाई पर स्थित उत्तरकाशी जिले में भीषण बारिश के कारण भूस्खलन और अचानक बाढ़ आ गई.
इससे खीर गंगा नदी का जलस्तर बढ़ गया और सैलाब अपने साथ चट्टान, पेड़-पौधे और आसपास की पहाड़ियों से निकले कीचड़ से बना भारी मलबा रास्ते में नीचे बहाता ले गया.
इस बहते कीचड़ वाले मलबे ने दोपहर करीब 1.50 बजे धराली गांव पर मानो कहर बरपा दिया और वहां के घरों, होटलों और वाहनों को चपेट में ले लिया. कई लोग उसमें दब गए. आगे बढ़ते हुए इस सैलाब ने हर्षिल और फिर सुक्की में तांडव मचाया.
इस विभीषिका में 100 से ज्यादा लोगों के लापता होने का अंदेशा है, जिसमें हर्षिल के अपने कैंप के 10 भारतीय सैनिक भी हैं. हालांकि, सेना के जवानों, राज्य आपदा मोचन बल, प्रशासन और पुलिस की ओर से चलाए गए बचाव अभियान ने कई लोगों को बचाया और हताहतों के आंकड़ों को बढ़ने नहीं दिया. फिर भी नष्ट हो चुकी सड़कों की वजह से आपातकालीन राहत कार्य में अड़चन आ रही थी.
ऐसे में भारतीय वायु सेना के हेलिकॉप्टरों को राहत कार्य में लगाया गया. तलाशी/बचाव उपकरणों और टीमों को भेजा गया तथा नीचे स्थित शहरों भटवारी, मनेरी, गंगोरी और उत्तरकाशी को आगाह किया गया है. अगले कुछ दिन बेहद अहम होंगे. गढ़वाल हिमालय में सिलसिलेवार आपदाओं की फेहरिस्त में यह नवीनतम त्रासदी थी.
जून, 2013 में गंगा के ऊपरी क्षेत्र में बादल फटने के बाद आए बाढ़ और भूस्खलन के शिकार हजारों लोग बने थे. फरवरी 2021 में चमोली आपदा के दौरान ऋषिगंगा के ऊपरी जलक्षेत्र में पहाड़ों से भारी मात्रा में बर्फ के गिरने से भूस्खलन हो गया था और तकरीबन 200 लोग मारे गए थे. इन सिलसिलेवार हादसों ने 'प्राकृतिक आपदाओं' की वजह बनते जलवायु परिवर्तन, कस्बों का अव्यवस्थित विकास, जलविद्युत बुनियादी ढांचे और मनमाने सड़क निर्माण सरीखे 'मानवजनित कारकों' को लेकर चिंता पैदा कर दी है.
100+ से ज्यादा लोग उत्तरकाशी में अचानक आई तूफानी बाढ़ के बाद से गायब हैं, जिनमें सेना के 10 जवान भी शामिल हैं. हादसे में अब तक पांच लोगों के मरने की पुष्टि हुई. वहीं 190 लोगों को धराली गांव में बचाया गया.