लव जिहाद और 'चावल के कट्टे' के बल पर धर्मांतरण जैसे दो नारों का आपस में कोई मेल नहीं. मुसलमानों के खिलाफ पहला वाला गढ़ने में चर्च शामिल था लेकिन दूसरे में वह खुद घिरा हुआ है.
छत्तीसगढ़ में हाल में दो ननों की गिरफ्तारी से यह बात जाहिर होती है. लेकिन ये दोनों कदम अब एक बार फिर सुर्खियों में हैं क्योंकि भाजपा शासित महाराष्ट्र और गोवा (इस राज्य में एक-चौथाई ईसाई आबादी) धर्मांतरण विरोधी कानून की तैयारी कर रहे हैं.
मकसद है 'धोखाधड़ी' से होने वाले धर्म परिवर्तन को रोकना. लेकिन माहौल को देखते हुए अल्पसंख्यक समूहों को अंदेशा है कि इस कानून का दुरुपयोग उन्हें बदनाम करने और निशाना बनाने को किया जा सकता है, और इन कानूनों में 'हिंदुत्व की घुसपैठ' हो सकती है.
बढ़ता तनाव
यह अचानक नहीं हुआ है. महाराष्ट्र में भाजपा नेता—मसलन मत्स्य पालन और बंदरगाह मंत्री नीतेश राणे—धर्मांतरण विरोधी कानून के लिए अभियान चला रहे हैं. राज्य के ईसाई समूह जुलाई के मध्य में विरोध प्रदर्शन पर उतर आए थे जब पार्टी विधायक गोपीचंद पडलकर ने अपने ओबीसी ढांगर (गड़रिया) समुदाय में कथित तौर पर धर्मांतरण कराने वाले ईसाई पादरियों से मारपीट करने पर 11 लाख रुपए तक के इनाम का ऐलान किया था.
धर्मांतरण विरोधी कानून से मारपीट की इस भावना को खुलेआम बल मिलेगा. जुलाई में गृह (ग्रामीण) राज्य मंत्री पंकज भोयर ने विधान परिषद को बताया था कि यह विधेयक शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, ''भारत के 11 राज्यों में पहले से ही धर्मांतरण विरोधी कानून हैं. हम 12वें राज्य होंगे. हमारा कानून अन्य 10 राज्यों के कानूनों से ज्यादा सख्त होगा.''
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, जो गृह मंत्री भी हैं, का कहना है कि इस कानून का मकसद संदिग्ध तरीकों से धर्मांतरण रोकना है. वे कहते हैं, ''ऐसे कई मामले सामने आए हैं.'' उन्होंने कहा कि इस कानून को और मजबूत बनाने का सुझाव देने को एक समिति बनाई गई है.
गोवा विधानसभा में राज्य के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने लगभग फडणवीस की ही बात दोहराई और कहा कि उन्हें ''जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून की जरूरत'' महसूस हुई है. गृह मंत्री के रूप में उन्होंने ''पूरी मंशा से कराए गए लव जिहाद के कई मामलों'' का जिक्र किया. लव जिहाद शब्द का अर्थ है, हिंदू (या गैर-मुस्लिम) महिलाओं को मुस्लिम पुरुष जान-बूझकर रिश्ते या शादी की आड़ में धर्म परिवर्तन के लिए फंसाते हैं.
गोवा में रोमन कैथोलिक समुदाय में भाजपा नई पैठ बना रही है. इसके बावजूद हिंदुओं के कुछ तबकों ने राज्य के जख्मी अतीत का इस्तेमाल भावनाओं को भड़काने के लिए किया है. यह इतिहास मंदिरों के विध्वंस और पुर्तगालियों के तहत धर्माधिकरण से जुड़ा है. जो बात नहीं कही गई, वह यह कि हिंदुओं के उत्पीड़न के अलावा धर्माधिकरण का निशाना मुख्य रूप से नए बने ईसाई थे क्योंकि उन पर अपने पुराने धर्म और उसकी प्रथाओं की ओर लौटने का अंदेशा था.
यहां तक कि ईसाइयों ने भी पुर्तगाली शोषण को चुनौती दी थी. लेखिका शर्मिला पेस और प्रजल सखरदांडे बताती हैं कि कैसे गोवा के पादरी मैटेस डी. कास्त्रो (1594-1678) ने स्थानीय लोगों के प्रति उपनिवेशवादियों के नस्ली पूर्वग्रह को उजागर किया और स्थानीय पादरियों के नेतृत्व में पिंटो विद्रोह (1787) ने ऐसे ही अन्याय के खिलाफ पुर्तगाली राज को उखाड़ फेंकने की कोशिश की.
जरूरत है भी या नहीं?
''गोवा में कोई धर्मांतरण नहीं हो रहा. कानून लाने की क्या जरूरत है?'' कर्टोरिम से निर्दलीय विधायक एलीक्सो रेजिनाल्डो लौरेंको पूछते हैं. वे सावंत के नेतृत्व वाली राज्य सरकार का समर्थन कर रहे हैं. ''हम (कैथोलिक) ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं. गोवा एक शांतिपूर्ण राज्य है जहां लोग सद्भाव से रहते हैं.''
महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी के विधायक रईस शेख भी इस अंदेशे को दोहराते हैं: ''कोई भी जबरन धर्मांतरण का समर्थन नहीं करता लेकिन सरकार की मंशा पर शक है. किसी भी कानून का इस्तेमाल समुदायों को बदनाम करने में होगा.'' विहिप के मिलिंद परांडे यह कानून देशभर में लागू करने की मांग करते हुए कहते हैं, ''हिंदू दूसरों का धर्मांतरण नहीं करते. ईसाई धर्म और इस्लाम की विस्तारवादी प्रवृत्तियों के कारण हिंदू नुक्सान में रहते हैं.''
राज्य के पुराने कानूनों में धर्मांतरण के लिए प्रक्रियाएं तय हैं जिनमें अक्सर पहले से अधिकारियों को बताना जरूरी होता है. आलोचकों की राय में वास्तव में असली मामलों में भी डर रहता है क्योंकि कानून लागू करने वाले अक्सर पहली ही नजर में दोषी ठहरा देते हैं—इससे अल्पसंख्यकों में सामूहिक भय का माहौल पैदा हो जाता है.
खास बातें
> सीएम फडणवीस और सावंत मनमाने ढंग से धर्मांतरण रोकने को कानून की जरूरत बताते हैं.
> मंत्री नीतेश राणे और विधायक गोपीचंद पडलकर ने इस बारे में विवादास्पद बयान दिए हैं.
> यूपी, एमपी, ओडिशा और कर्नाटक समेत 11 राज्यों में पहले से ऐसे कानून हैं.