scorecardresearch

ओडिशा : घास खिलाने से लेकर नाले का पानी पिलाने तक की सजा! कंगारू अदालतें कैसे तोड़ रही कानून?

आदिवासी कंगारू अदालतें अजीबो-गरीब दंडात्मक आदेश सुना रहीं हैं. इनकी वजह से दलितों पर अत्याचार और दुष्कर्म की वारदातों में तेज इजाफा हुआ है.

कंगारू अदालतें (फाइल फोटो)
कंगारू अदालत (फाइल फोटो)
अपडेटेड 20 अगस्त , 2025

इस हफ्ते बालेश्वर में 20 वर्षीया कॉलेज छात्रा के आत्मदाह की घटना भले ही राजनैतिक विवाद की वजह से राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में छाई हो लेकिन वास्तविकता यही है कि ओडिशा हर मोर्चे पर कानून-व्यवस्था के संकट से जूझ रहा है.

जरा उस घटना पर भी गौर कीजिए जिसमें एक आदिवासी जोड़े को सिर्फ इसलिए पीटा गया और बैलों की तरह बांस के जुए से बांधकर खेत जोतने को मजबूर किया गया क्योंकि वे एक-दूसरे को प्यार करते थे और उन्होंने गुपचुप शादी रचा ली थी.

यह सब प्राचीन या मध्यकालीन भारत में नहीं घटा है. यह सब 9 जुलाई, 2025 को हुआ था. ओडिशा के रायगढ़ जिले के कंजमजोडी गांव में यह अमानवीय कृत्य उसी वक्त हो रहा था, जब एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में था.

दूसरे लोगों को सबक सिखाने के इरादे के साथ यह सजा एक कंगारू अदालत ने सुनाई थी. दरअसल शादी करने वाला जोड़ा रिश्तेदार था. युवक और उसके पिता की चचेरी बहन दोनों करीब 32 वर्ष के थे, और साथ रहने की हिम्मत करके उन्होंने पुरानी वर्जनाएं तोड़ी थीं. बाद में जोड़े को एक मंदिर ले जाया गया, और 'शुद्धिकरण अनुष्ठान' के बाद गांव से निकाल दिया गया.

ऐसा नहीं है कि राज्य में ऐसी घटना पहली बार हुई. बल्कि यह तो उस राज्य की सबसे भयावह तस्वीर सामने लाती है जो लगातार पतन की ओर जाता दिख रहा है. भाजपा के सत्ता में आने के बमुश्किल साल भर बाद ही ओडिशा एक ऐसे संकट के दौर से गुजर रहा है, जिसकी कल्पना शायद ही किसी ने की हो. लेकिन थोड़ा पीछे मुड़कर देखें तो लगता है कि यह तो होना ही था. मोहन माझी सरकार के कार्यकाल में भय, अपमान और दंड का सामाजिक माहौल कायम होता जा रहा है जिसमें दलित, महिलाएं, धार्मिक अल्पसंख्यक, और प्रेम करने का साहस दिखाने वाले युवा जोड़े खुद को असुरक्षित पाते हैं.

गंजम के धाराकोट में पाना समुदाय के दो दलित पुरुषों पर मवेशी तस्करी का आरोप लगाकर उन्हें मुंह में घास भरकर रेंगने और सीवर का पानी पीने को मजबूर किया गया. विरोध बढ़ने पर नौ गिरफ्तारियां हुईं लेकिन कथित तौर पर हिंदुत्ववादी समूहों से जुड़े लोगों ने जितने आत्मविश्वास के साथ इस अपराध को अंजाम दिया, वह समाज में एक खतरनाक चलन दर्शाता है.

मध्य जून से जुलाई शुरुआत के बीच ओडिशा में दुष्कर्म के सात भयावह मामले दर्ज किए गए—गोपालपुर समुद्र तट पर 10 पुरुषों ने एक महिला का सामूहिक बलात्कार किया; गंजम में एक क्लिनिक मालिक ने 17 वर्षीया लड़की की आबरू लूटी; गंजम में ही दूर के एक रिश्तेदार ने स्कूल के शौचालय में सातवीं कक्षा की 11 वर्षीया छात्रा को बांधकर दुष्कर्म किया; मयूरभंज में 31 वर्षीया महिला का सामूहिक बलात्कार; क्योंझर में एक किशोरी का शव पेड़ से लटका मिला, जिस पर चोट के निशान थे, परिवार ने दुष्कर्म और हत्या का आरोप लगाया. कुछ गिरफ्तारियां हुईं लेकिन फिर थोड़ी-बहुत आलोचना के बाद सब शांत हो गया.

शर्मनाक गंजम जिले में दो दलित घास खाने को मजबूर किए जाते हुए

21 जून को मलकानगिरि के कोटमाटेरु गांव में अच्छी खेती के लिए आयोजित ईसाइयों की एक प्रार्थना सभा में कुल्हाड़ियों और लाठियों से लैस करीब 400 लोगों ने धावा बोल दिया. इस खूनी संघर्ष में कम से कम 30 ईसाई घायल हो गए—जिनमें सात की हालत गंभीर है. ईसाई समुदाय के नेताओं का आरोप है कि हमले की साजिश के पीछे बजरंग दल का हाथ है. लेकिन पुलिस इसे 'भाइयों का झगड़ा' बता रही है. कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. कुछ दिनों बाद कंधमाल की ही तर्ज पर उसी जिले में भोजन के दौरान ईसाई परिवारों पर भीड़ के हमले की घटना सामने आई.

फिर पुलिस की तरफ से कोई ठोस कदम न उठाए जाने से इस धारणा को बल मिला कि राज्य प्रशासन या तो कार्रवाई में अक्षम है या फिर कोई कार्रवाई करना नहीं चाहता. दरअसल, आज ओडिशा में आदिवासी कंगारू अदालतों की सक्रियता, जातिगत भीड़ हिंसा, सामूहिक दुष्कर्म, सांप्रदायिक हमले और सरकारी कर्मियों की हत्या जैसी घटनाओं के बाद एक ही बात मुख्य तौर पर उभरकर सामने आती है कि प्रशासनिक निष्क्रियता इसी पैटर्न का एक हिस्सा है.

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अनिल बिस्वाल इनमें से किसी भी घटना से इन्कार नहीं करते लेकिन उनका दावा है, ''सभी मामलों में हमने तुरंत कार्रवाई की. बीजद शासन के दौरान कम से कम 100 मामले ऐसे थे जिनमें सीधे तौर पर उनके नेता शामिल थे, अब ऐसा नहीं है. बालेश्वर की घटना पर यूजीसी ने जांच शुरू की है, और राज्य सरकार ने भी एक उच्चस्तरीय जांच समिति गठित की है.''

खास बातें

> मध्य जून से जुलाई की शुरुआत के बीच राज्य में दुष्कर्म के सात चौंकाने वाले मामले सामने आए.

> मलकानगिरि के कोटामाटेरु गांव में एक हमले में कम से कम 30 ईसाई घायल हो गए.

> भुवनेश्वर नगर निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी की उनके कार्यालय में कथित तौर पर भाजपा से जुड़े गुंडों ने पिटाई की.

Advertisement
Advertisement