मोहाली जिला अदालत के बाहर 2 जुलाई को नाटकीय दृश्य देखने को मिला जब शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री बिक्रमजीत सिंह मजीठिया विजिलेंस ब्यूरो (वीबी) के अफसरों के घेरे में कोर्ट पहुंचे. नारेबाजी हुई और अकाली दल के कार्यकर्ताओं ने बैरिकेडों पर पुलिस से धक्का-मुक्की की. इस दौरान मजीठिया हाथ बांधे खड़े थे. अधिकारी जल्दी से उन्हें अंदर ले गए.
25 जून को उन्हें अमृतसर में उनके आवास से हिरासत में लिया गया. अकाली नेता की 540 करोड़ रुपए की आय से अधिक संपत्ति के मामले में जांच हो रही है, जिसमें उन पर 'नशे की रकम’ को सफेद करने का आरोप है. मजीठिया का दावा है कि इन केस में पुराने आरोपों को ही दोहराया गया है.
गिरफ्तारी के बाद उन्होंने सहयोगियों से कहा, ''मैंने ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) और पिछली कांग्रेस सरकार का भी सामना किया है...यह दौर भी गुजर जाएगा.’’ अकाली नेता मजीठिया मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ-साथ राज्य में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के सबसे कटु आलोचकों में से एक रहे हैं. आलोचना यह भी की जा रही है कि यह बदला है.
अबकी मामला नया है. मजीठिया के खिलाफ चरणजीत चन्नी की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 2021 में नारकोटिक ड्रग्स ऐंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंसेज (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था. यह मामला 2018 की ईडी रिपोर्ट के आधार पर दर्ज हुआ था. केस में अभी तक खास प्रगति नहीं हुई है, लेकिन विजिलेंस ब्यूरो नई एफआइआर में प्रगति का दावा कर रहा है.
जिस तरह से उनकी गिरफ्तारी की गई—तड़के सुबह उनके फार्महाउस पर खुफिया महकमे के दर्जन भर लोग पहुंच गए और छापे शुरू कर दिए—वह अकाली नेतृत्व को ठीक नहीं लगा. पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने इसे ''बदले की भावना से की गई कायराना कार्रवाई’’ बताया. उनके विरोधी पूर्व मुख्यमंत्री चन्नी, भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख सुनील जाखड़ जैसे अन्य नेताओं ने भी गिरफ्तारी के मामले में मान सरकार के सख्त रवैए की आलोचना की है.
लेकिन वे भी बहुत भरोसे के साथ बचाव नहीं कर पाए क्योंकि इनमें से कई नेता लंबे समय से मजीठिया के 'नशे के संपर्कों’ पर उंगली उठाते रहे हैं (वे पहली बार 2022 में जेल गए थे जब चन्नी मुख्यमंत्री थे). मामला पूरी तरह साफ नहीं है—ड्रग्स के आरोप लगाने वालों में से आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल समेत कुछ को बाद में उस समय सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी पड़ी, जब अकाली नेता ने उन्हें अदालत में घसीट लिया.
पंजाब में जड़ें जमाए बैठे नशा माफिया के नेटवर्क के खिलाफ मुख्यमंत्री मान ने हाल ही नए सिरे से अभियान चलाया है. इस साल एक मार्च से आप सरकार ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का 'बुलडोजर मॉडल’ अपना लिया है—कथित तस्करों और गिरोहबाजों के अवैध निर्माणों को ढहाना. मोगा से लेकर मलेरकोटला तक हाल के हफ्तों में पूरे पंजाब में सौ से ज्यादा ऐसे निर्माणों को निशाना बनाया गया है.
जांच अधिकारियों ने अकाली दल के पूर्व विधायक अमरपाल सिंह बोनी अजनाला और मजीठिया के लंबे समय तक सहयोगी रहे तलबीर सिंह गिल के बयान दर्ज किए हैं. अजनाला अब भाजपा में हैं जबकि गिल 2024 में आप में शामिल हो गए. विजिलेंस के अधिकारियों ने ईडी के पूर्व उप निदेशक निरंजन सिंह और विवादास्पद पूर्व डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय के बयान भी दर्ज किए हैं. इन दोनों अधिकारियों ने पहले मजीठिया के खिलाफ जांच की अगुआई की थी.
पंजाब में नशे के खिलाफ पहले भी कार्रवाई की गई है, अक्सर सुर्खियों में रही मगर शायद ही कभी टिक पाई. इस ताजा घटना में न्याय मिलता है या फिर यह भी दिखावे की राजनीति की एक और बानगी बनकर रह जाएगी.