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पश्चिम बंगाल: 'सेक्सुअल हैरेसमेंट' के कई मामलों में आरोपी होने के बावजूद कैसे बच रहा था मोनोजीत मिश्रा?

25 जून को कस्बा स्थित साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज में रेप की एक दर्दनाक घटना सामने आई, जिसका मुख्य आरोपी मोनोजीत मिश्रा लंबे समय से TMC से जुड़ा था.

मोनोजीत मिश्रा
मोनोजीत मिश्रा
अपडेटेड 30 जुलाई , 2025

एक और हिंसक बलात्कारी, एक और पीड़िता. यह प्रतीकात्मक तुलना है, पर वास्तविक भी है. यह घटना कोलकाता में पिछले अगस्त में आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुए बलात्कार के बाद हत्या की भयावहता की याद दिलाती है. 25 जून को कस्बा स्थित साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज में उसका दोहराव देखा गया.

आरोपी के सत्ता पर काबिज लोगों से जुड़े होने की चर्चा शुरू हो गई है. गुस्साए कोलकातावासी फिर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. चुनाव साल भर में होने वाले हैं, इसलिए राजनैतिक माहौल गरमाने लगा है. राहत इतनी है कि पीड़िता अपनी कहानी सुनाने के लिए जीवित है.

24 वर्षीया युवती दोपहर बाद कैंपस पहुंची, पहले सेमेस्टर की परीक्षा के फॉर्म भरे और कुछ देर आराम करने के लिए कॉमन रूम में चली गई. उसी समय कॉलेज का पूर्व छात्र 31 वर्षीय मोनोजीत मिश्रा वहां आया. गुंडागर्दी तथा लड़कियों का यौन उत्पीड़न करने का उसका लंबा इतिहास रहा है. फिर भी वह किसी कार्रवाई या निष्कासन से बचा रहा.

इसकी वजह लड़की के शिकायत पत्र में दर्ज है कि वह कहने को कॉलेज का हिस्सा है पर अनौपचारिक रूप से टीएमसीपी (तृणमूल छात्र परिषद) की इकाई का प्रमुख है. इसीलिए उसके पास 'काफी ताकत है...’ हर कोई उसकी सुनता है.

कोलकाता में कस्बा दुष्कर्म पीड़ित को न्याय देने के लिए 30 जून को प्रदर्शन करते विद्यार्थी

उस दिन वह विद्यार्थियों को पद बांट रहा था. उसने पीड़िता को लड़कियों की नई सचिव के पद से नवाजा. बाद में शाम चार बजे के आसपास जब कक्षाएं खाली हो गईं और गलियारे में थोड़े लोग बचे तो लड़कियों की निवर्तमान सचिव फालतू की बातों में उलझाकर उसे कॉमन रूम में वापस लेकर गई. यहां, मोनोजीत और उसके चमचे मौजूद थे. यह खतरे की हल्की आहट थी, जिसे उसने यह कहकर भंग किया कि तुमसे अकेले में बात करनी है.

शांत गलियारे में उसने फुसफुसाते हुए प्यार का इजहार किया और विवाह का प्रस्ताव रखा. उसने यह कहते हुए शालीनता से इन्कार कर दिया कि उसका एक प्रेमी है. वहां घेरेबंदी गहरी होती चली गई. शाम छह बजे के बाद मोनोजीत ने बाहर निकलना चाह रहे कुछ बच्चों को रोका. शाम साढ़े सात बजे निवर्तमान सचिव बहाना बनाकर बाहर चली गई. पीड़िता का रास्ता अवरुद्ध हो गया, दरवाजा बंद कर दिया गया.

मोनोजीत के पहले हमले में, उसके होशो-हवास उड़ गए और सांस उखड़ने लगी. उसने अस्पताल ले जाने की गुहार लगाई. उसने अपना इनहेलर मांगा तो किसी तरह दिया गया. वह बाहर आई, लेकिन मुख्य द्वार बंद था.

मोनोजीत ने गार्ड के कमरे में उसके साथ बलात्कार किया, उसे हॉकी स्टिक से मारा, धमकी दी कि अगर विरोध करने या किसी को बताने की हिम्मत की तो उसके प्रेमी को मार दिया जाएगा और माता-पिता को जेल भेज भिजवा दिया जाएगा. गार्ड दो गुंडे लड़कों—20 वर्षीय प्रमित और 19 वर्षीय जैब के साथ बाहर खड़ा था, जिन्होंने वीडियो बनाया और तस्वीरें भी उतारीं. रात 10:50 पर उसे छोड़ दिया गया, तब बहुत उमस के बीच वह पस्त हो गई थी.

खतरे से निकलते ही उसने साहस के साथ शिकायत दर्ज कराई. उसके शब्दों में कड़वी विडंबना है. उसने कहा: ''एक कानून की छात्रा, मैं अब पीड़ित हूं. मुझे न्याय चाहिए.’’ तीनों को 26 जून को गिरफ्तार किया गया था. मेडिकल टेस्ट और निगरानी फुटेज ने उसकी कहानी के काफी बड़े हिस्से की पुष्टि की.

मोनोजीत का घिनौना अतीत और राजनैतिक संबंध जग-जाहिर है और इसी वजह से वह अब तक बचता रहा है. उसके सोशल मीडिया पेज अभिषेक बनर्जी, फिरहाद हकीम, चंद्रिमा भट्टाचार्य जैसे टीएमसी के नेताओं के साथ उसकी तस्वीरों से भरे पड़े हैं. छात्रों, वकीलों और राजनैतिक दलों के विरोध के कारण कॉलेज बंद कर दिया गया है. लेकिन आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. भाजपा की एक तथ्य-खोजी टीम ने राज्य पर पीड़िता के परिवार को चुप कराने की कोशिश करने का आरोप लगाया. बदले में, टीएमसी ने मध्य प्रदेश में बढ़ते यौन अपराधों का हवाला दिया. बहरहाल, महिलाओं के उत्पीड़न में खामोशी टूटे, इसकी बहुत जरूरत है.

अभियुक्त नंबर 1
मोनोजीत मिश्रा, कस्बा रेप कांड का मुख्य अभियुक्त है. यह 31 वर्षीय व्यक्ति साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज का पूर्व छात्र है और अघोषित रूप से टीएमसी की कॉलेज की छात्र इकाई की अगुआई कर रहा.

वह कई बार कानून के फंदे में फंस चुका है. पिछले 12 साल में उसके खिलाफ 11 केस दर्ज हुए और वह पांच बार गिरफ्तार हुआ है.
उसे 2017 में कालीघाट हिंसा में गिरफ्तार किया गया था. वर्ष 2019 में उस पर चोरी के आरोप लगे. साथ ही उसी यूनियन रूम में एक महिला पर हमले के आरोप लगे जहां ताजा वारदात में उसने हमला शुरू किया था. वर्ष 2022 में उस पर छेड़खानी का केस दर्ज हुआ और 2024 में गार्ड पर हमले का.

हैरानी की बात है गवर्निंग बॉडी की सिफारिश पर उसे अस्थायी कर्मचारी के तौर पर नियुक्त भी कर दिया गया.
तृणमूल कांग्रेस के विधायक और गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन अशोक कुमार देब ने अपनी सीधी भूमिका से इनकार किया है. लेकिन मोनोजीत के सोशल मीडिया अकाउंट्स तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की तस्वीरों से भरे पड़े हैं.

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