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गोवा: 'जंपिंग चिकन’ क्या है, जिसके नाम पर मचा हंगामा?

गोवा के रेस्तरां के मेन्यू से मेढक के पैर के अवैध मांस को हटाने का एक नया जागरूकता अभियान जोर पकड़ रहा

वनों की कटाई के कारण संकट में मेढक
अपडेटेड 17 जुलाई , 2025

वर्ष 2020 में गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर गोवा की झांकी में हरे रंग के एक विशाल मेढक को गिटार बजाते दिखाया गया. मगर राज्य में यह अक्सर खाने की प्लेट में दिखता है. चोरी-छिपे इसका लुत्फ उठाने वाले मांसाहार प्रेमियों के बीच यह 'जंपिंग चिकन' के नाम से लोकप्रिय है.

मेढक को बतौर व्यजंन पेश करने में रेस्तरां से लेकर शिकारियों तक पूरी कड़ी जुड़ी है, जो खासकर बारिश यानी प्रजनन के मौसम में इन्हें ट्रैक करते हैं. सबसे ज्यादा शिकार की जाने वाली प्रजातियां इंडियन बुल फ्रॉग और जेरडन बुल फ्रॉग हैं. दोनों के पिछले पैर काफी मांसल होते हैं और इसी हिस्से को तला जाता है या फिर करी के साथ परोसा जाता है.

यह जानना भी अहम है कि खुद मेढक क्या खाते हैं. वयस्क और टैडपोल मच्छरों के अंडे और लार्वा खाते हैं, और इस तरह प्राकृतिक ढंग से जलजनित बीमारियों से दूर रखने में मददगार होते हैं. वे खेतों में पाए जाने वाले कई तरह के कीट-पतंगों को भी खाते हैं, जिससे फसलों का नुक्सान कम होता है. ऐसे में मेढक का अवैध शिकार पारिस्थितिकी, सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि और खाद्य सुरक्षा पर प्रतिकूल असर डालता है.

यह वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 का भी उल्लंघन है. मेढक एक संरक्षित प्रजाति है, जिनका शिकार करने पर आपको तीन साल की जेल हो सकती है. गोवा में अब रेस्तरां मेन्यू से मेढक का मांस हटाने की कोशिश हो रही है. मई में राज्य के वन मंत्री विश्वजीत राणे ने मेढक बचाओ अभियान शुरू किया.

पारिस्थितिकी के लिहाज से मेढकों को पश्चिमी घाट से लगे पूरे क्षेत्र की सेहत का एक बैरोमीटर माना जाता है जो शहरीकरण, वनों की कटाई और राजमार्ग आदि रैखिक परियोजनाओं के कारण भी संकट से जूझ रहे हैं. एक्टिविस्ट क्लिंटन वाज कहते हैं कि उन्हें मेन्यू से हटाने की जागरूकता महज शुरुआत है, उन्हें बचाने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है.

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